:राघवेंद्र पांडेय:
रायपुर। आज की जनधारा में प्रकाशित खबर का बड़ा असर हुआ है। राजधानी रायपुर के
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में अक्टूबर 2024 से पेंशन से वंचित 20 से अधिक सेवानिवृत्त प्रोफेसरों के मामले में अब सरकार हरकत में आ गई है।
कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए पेंशन फंड की जांच के लिए परीक्षण दल गठित किया है।
इस दल में वित्त विभाग के संयुक्त संचालक स्तर के अधिकारी, छत्तीसगढ़ राज्य संपरीक्षा प्रतिनिधि, वित्त विभाग के संयुक्त संचालक तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान सेवाओं के संचालक व अन्य अधिकारी शामिल किए गए हैं। परीक्षण दल को एक माह के भीतर अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

कई महीनों से पेंशन न मिलने से परेशान थे प्रोफेसर
आज की जनधारा ने अपनी रिपोर्ट में उजागर किया था कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त करीब 20 से अधिक प्रोफेसर पिछले एक साल से पेंशन न मिलने से परेशान हैं।
सेवानिवृत्त प्रोफेसरों का कहना था कि सेवानिवृत्ति के बाद 90% पेंशन तुरंत मिल जानी चाहिए, लेकिन वित्त विभाग के कंट्रोलर उमेश अग्रवाल द्वारा अब तक भुगतान नहीं किया गया।
पेंशनर शिक्षक संघ के अध्यक्ष एन.के. चौबे ने पहले जनधारा से कहा था कि “वित्त विभाग के कंट्रोलर द्वारा जानबूझकर प्रोफेसरों को प्रताड़ित किया जा रहा था। 2024 तक नियमित रूप से पेंशन दी जाती रही, पर उसके बाद से प्रक्रिया रोक दी गई।”
2007 और 2010 के वित्तीय आदेशों का उल्लंघन
वित्तीय आदेश 2007 और 2010 के अनुसार, सेवानिवृत्ति से पहले ही पेंशन प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए, ताकि रिटायरमेंट के साथ ही भुगतान शुरू हो सके। ऐसा न होने पर जिम्मेदारी संबंधित वित्त नियंत्रक की होती है और उस पर कार्रवाई का प्रावधान है।
अब होगी जांच, तय होगी जिम्मेदारी
राज्य शासन ने अब यह स्पष्ट किया है कि 1 जनवरी 2016 से पहले और उसके बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सातवें वेतनमान के अनुसार पेंशन दी जानी चाहिए।
इसी दिशा में गठित परीक्षण दल अब पूरे मामले की जांच करेगा और एक माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
आज की जनधारा की खबर का असर अब साफ दिख रहा है — सरकार ने जांच शुरू कर दी है और लंबे समय से पेंशन के इंतजार में बैठे प्रोफेसरों को अब जल्द राहत मिलने की उम्मीद है।