पालिका का फिर तुगलकी फरमान…डिवाइडर की बंद क्रासिंग फिर खोलने का आदेश


नगरपालिका द्वारा जारी आदेश को देखने के बाद यह स्पस्ट ह्यो गया है कि बगैर किसी सोच विचार के कहीं भी कोई भी क्रासिंग छोड़ने , डिवाइडर नही बनाने व बनाने , नाली को आगे पीछे करने व अपनी सुविधानुसार कार्य कराए जाने का व अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने व तुष्टीकरण की नीति स्पष्ट दिखाई दे रही है । इन्ही सभी कारणों को देखते हुवे गौरावपथ का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो चुका है । इसके लिए सिर्फ नगरपालिका , अध्यक्ष , परिषद ही दोषी नही चहेते लोग व अनेक व्यवसायी भी जिम्मेदार है ।


नगरपालिका द्वारा जारी सूची को देखेंगे से यह आभास होता है कि अग्रसेन चौक से जयस्तंभ चौक तक डिवाइडर बनने की संभावना बढ़ गई है यह इसलिए कि राममन्दिर के सामने 4 फिट क्रासिंग छोड़े जाने का उल्लेख है जिसका अर्थ यही हुआ कि जब डिवाइडर बनेगा तब ही क्रासिंग छोड़ने की बात कही गई है ।

इसके पूर्व 16 स्थानों में ( बस स्टैंड में 2 क्रासिंग सहित ) 17 स्थानों को छोड़ने कहा गया । जिनमे भंवरपुर चौक , तहसील कार्यालय , टाटा शोरूम महलपारा , जनपद कार्यालय , बस स्टैंड में 2 , भारती हॉस्पिटल , हाईस्कूल चौक , अग्रसेन चौक , जयस्तंभ चौक , खान पम्प , मंडी , बैदपाली चौक , रेस्ट हाउस , गुरुद्वारा , झिलमिल चौक व जामबहलीन मंदिर में क्रासिंग छोड़े जाने का निर्देश दिया गया ।

फिर अपनो के दबाव में आकर इसमे फेरबदल कर 5 नए क्रासिंग छोड़ने का निर्देश देते हुवे इसे 22 स्थानों पर छुड़वाया गया । जिसके हिसाब से जो 5 नए स्थानों पर छोड़ने कहा गया उसमे पुराना नाका , पोस्ट आफिस चौक , ईदगाह , संतोषी मंदिर , कुश इलेक्ट्रिकल , जगन्नाथ पम्प व बजरंबली मंदिर को शामिल किया गया ।


दो दो बार बदलाव किए जाने के बाद भी जब अपनो को इसमे संतुष्टि नही हुई तो फिर 25 अगस्त को एक नई लिस्ट जारी कर दी गई ।जिसमे पूर्व में जो 22 स्थानों पर क्रासिंग खुलने का निर्देश था वह खुलेगा । पर 17 स्थानों पर आने जाने के लिए 4 फिट का रास्ता छोड़ने का फिर निर्देश जारी कर दिया गया । खासियत बात यह है कि जिन 17 स्थानों में 4 फिट छोड़ने कहा गया है जिसमे शुरुवात में खुले 5 स्थान जिनमे शीतला माता मंदिर , मिष्ठी चूल्हा , वन विभाग , सोसायटी व पुराना अस्पताल यह पहले से ही खुला था । जिसे बाद में बन्द कर दिया गया था ।

अब इस बन्द कर दिए गये डिवाइडरों में उपरोक्त 5 स्थानों में फिर डिवाइडरों को 4 फिट तोड़ते हुवे रास्ता खोलने कहा गया है । तो वहीं शंकर मेडिकल व शिशु मंदिर के सामने जो कि पहले से ही डिवाइडर बना हुआ था व बन्द था अब इन दो स्थानों पर पुनः 4 फिट खोलने कहा गया है ।
अदूरदर्शिता निर्णय व अपनो को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से झिलमिला चौक से तेल मिल तक की लगभग 1200 मीटर की दूरी में 7 क्रासिंग छोड़ा गया है ।

जबकि इस दूरी में सिर्फ जगन्नाथ विहार कॉलोनी व विश्वनाथ राईस मिल को छोड़ दें तो इतनी दूरी के अंदर न कोई रिहायशी घर है न ही कोई व्यवसायिक प्रतिष्ठान उसके बावजूद विश्वनाथ राइसमिल के पहले आसपास 2 क्रासिंग ( दो व्यवसायियों के लिए अलग अलग एक एक कि सुविधा ) , बजरंगबली मंदिर , उसके आगे पुल के पहले , जामबहलीन मंदिर व तेल मिल के लिए सभी पास पास क्रासिंग छोड़ा गया । बजरंगबली मंदिर व जामबहलीन मंदिर के सामने तो 60 -70 फिट लगभग चौड़ी क्रासिंग छोड़ी गई है ।

इन दूरियों व सुनसान इलाको को देखते हुवे जगन्नाथ विहार के सामने क्रासिंग छोड़ना चाहिए था शेष सभी 6 क्रासिंग को बन्द किया जाना चाहिए था ऐसा न कर नये आदेश के तहत जगन्नाथ विहार वाले क्रासिंग को बन्द किया जा रहा है । जबकि यहां स्कूली बच्चों की संख्या अधिक है । कल ही कालोनी वासियों ने इसका विरोध भी किया है ।
बजरंगबली मंदिर के सामने क्रासिंग छोड़ने का कोई तुक नही दिखता पर अपनो को फायदा पहुंचाने व जरूरतमंदों की अनदेखी कर इस तरह का निर्णय लिया गया है ।


नगरपालिका द्वारा जारी की गई नई सूची में जिन 17 स्थानों पर बनाये गए डिवाइडरों में 4 फिट का रास्ता छोड़ने का निर्देश दिया गया है वह निम्न है
शीतला मंदिर , मिष्ठी भोजनालय ,वन विभाग , सोसायटी , बालाजी ऑटो , पुराना अस्पताल ,शंकर मेडिकल , राममंदिर , इस्लाम मोहल्ला चौक ,
संतोषी पारा गली , सेवाराम कपड़ा दुकान , जैन कॉलोनी , सागर स्टेट , त्रिलोचन पटेल ,

शिशु मंदिर , गुरुद्वारा के सामने, संजय अग्रवाल घर के सामने (राज ग्रेनाईट घर के पास) कांसिंग छोड़ा जाना है । यहां पर डिवाईडर की दीवाल व ग्रील नही लगाया जायेगा ।
नगरपालिका के कार्यशैली पर यह आरोप लगता रहा है कि वह कोई भी योजना बनाते समय दीर्घकालीन सोच नही रखती इसलिए बार बार योजनाएं बदलती व बनती रहती है । इसी वजह से तोड़ो , बनाओ फिर तोड़ो व फिर बनाओ का यह सिलसिला चलता रहता है ।

इसके चलते नगरवासियो को योजनाओ का न लाभ मिल पाता है और न ही जिन उद्देश्यों को लेकर योजनाएं बनाई जाती है उसका लाभ मिल पाता है । इस तरह की कार्यशैली से नगरपालिका की विश्वसनीयता भी प्रभावित होती है तो वही निर्माण व विकास कार्यो की लागत भी बढ़ जाती है ।

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