साल का सबसे बड़ा त्यौहार दीपोत्सव…इस बार करें कुछ खास

5 दिवसीय दीपावली त्यौहार में हर दिन का है खास महत्व

लेकिन इस साल अक्टूबर महीने के शुरुआत में ही दशहरा मनाया गया और अब इसी महीने के मध्य में दीपोत्सव का त्योहार है जाहिर है लोगों की जेब पर थोड़ा असर तो पड़ेगा.बावजूद इसके लोगो के उत्साह में कोई कमी नहीं है.दीपोत्सव के पर्व को मनाने के लिए बाजार सजकर तैयार है.

कल से धनतेरस के साथ ही दीपावली महापर्व की शुरुआत हो जाएगी. इस बार खास नक्षत्र में ये त्योहार पड़ रहा है. ऐसे में इन पांच दिवसों में खास तरीके से मां लक्ष्मी का पूजन आप करेंगे तो मां लक्ष्मी की कृपा आप पर पूरे साल बनी रहेगी. आइए जानिए भैरव मंदिर रतनपुर के मुख्य पुजारी जागेश्वर अवस्थी से इन पांच दिनों के बारे में.

दीपावली (लक्ष्मी पूजा) का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर, सोमवार को रहेगा।
​शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष काल सबसे शुभ माना जाता है।


प्रमुख मुहूर्त
मुहूर्त समय (20 अक्टूबर 2025, सोमवार) अवधि
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 07:08 बजे से रात्रि 08:18 बजे तक 1 घंटा 11 मिनट
प्रदोष काल शाम 05:46 बजे से रात्रि 08:18 बजे तक –
वृषभ काल (स्थिर लग्न) शाम 07:08 बजे से रात्रि 09:03 बजे तक –
निशिता काल (महानिशीथ काल) रात्रि 11:41 बजे से 21 अक्टूबर को 12:31 बजे तक
​धनतेरस का त्योहार 18 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। यह दिन धन, समृद्धि और आरोग्य के लिए बहुत शुभ माना जाता है।


​1. शुभ खरीदारी (क्या खरीदें)
​धनतेरस पर नई चीजें खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इससे धन में 13 गुना वृद्धि होती है
वस्तु महत्व
सोना और चाँदी धन-समृद्धि का प्रतीक। चांदी के सिक्के या बर्तन खरीदना बहुत शुभ माना जाता है।
नए बर्तन पीतल, तांबे या कांसे के बर्तन खरीदना शुभ होता है। ध्यान दें कि बर्तन खाली न लाएँ, घर में प्रवेश से पहले उसमें अनाज या पानी भर लें।


झाड़ू झाड़ू को माँ लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसे खरीदने से घर की दरिद्रता दूर होती है और नकारात्मकता बाहर जाती है।
धनिया (साबुत) धन में वृद्धि का संकेत माना जाता है। पूजा में चढ़ाकर कुछ दाने गमले में बोना शुभ होता है।


लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति दिवाली पूजा के लिए मिट्टी या धातु की नई मूर्तियाँ खरीदना शुभ होता है।
कुबेर यंत्र श्री यंत्र इसे घर की तिजोरी या धन स्थान पर रखने से धन-वैभव की प्राप्ति होती है।
गौमती चक्र कौड़ी इन्हें खरीदकर पूजा करने और तिजोरी में रखने से धन की कमी नहीं होती।


पूजा विधि और अनुष्ठान
​धनतेरस पर मुख्य रूप से भगवान धन्वंतरि, माँ लक्ष्मी और कुबेर देव की पूजा की जाती है।
​सफाई और सजावट: घर की अच्छे से सफाई करें। मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएँ और दीप जलाएँ।


​पूजा की तैयारी घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में एक चौकी पर लाल पीला वस्त्र बिछाएँ। भगवान धन्वंतरि, माँ लक्ष्मी, कुबेर देव और गणेश जी की प्रतिमा चित्र स्थापित करें।
​पूजा: सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर सभी देवी-देवताओं को फल, फूल, मिठाई, हल्दी, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें। इस दिन खरीदी गई नई वस्तुओं को भी पूजा में रखें।

​मंत्र जाप: भगवान कुबेर के मंत्रों
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय नमः

का जाप करें।
​यम दीप दान (संध्या काल में धनतेरस की शाम को घर के मुख्य द्वार पर, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके, सरसों के तेल का चार मुख वाला यम दीपक जलाया जाता है। यह यमराज के लिए होता है, जिससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।

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