कंबोडिया और थाईलैंड के बीच विवादित सीमा क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुंच गया है। दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष में कम से कम 9 नागरिकों की मौत हो गई है। थाईलैंड ने कंबोडिया के दो सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले भी किए हैं। इससे पहले, दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर तक कम कर दिया था।

झड़प कहाँ और कैसे शुरू हुई?
कंबोडियाई सरकार के एक सूत्र के अनुसार, थाईलैंड के सुरिन प्रांत और कंबोडिया के ओद्दार मीनची प्रांत के बीच स्थित सीमा पर दो प्राचीन मंदिरों के पास गुरुवार सुबह फिर से हिंसा भड़क उठी।
थाई सेना के अनुसार, स्थानीय समयानुसार सुबह 7:35 बजे कंबोडियाई ड्रोन की आवाज सुनाई दी। इसके बाद छह सशस्त्र कंबोडियाई सैनिक (जिनमें से एक रॉकेट लॉन्चर लेकर चल रहा था) थाई चौकी के पास पहुँचे। थाई सैनिकों ने चेतावनी दी, लेकिन सुबह 8:20 बजे कंबोडियाई सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी।
दोनों देशों के आरोप-प्रत्यारोप
- कंबोडिया का आरोप है कि थाई सेना ने उसके क्षेत्र में घुसपैठ करके हमला किया। कंबोडियाई रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा कि उनकी सेना ने “आत्मरक्षा में जवाबी कार्रवाई की”।
- थाईलैंड ने कंबोडिया पर पहले हमला करने और नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। थाई सेना के अनुसार, कंबोडियाई रॉकेट हमले में सुरिन प्रांत के एक गाँव में तीन लोग घायल हुए।
राजनयिक तनाव भी बढ़ा
इस झड़प से कुछ घंटे पहले ही कंबोडिया ने थाईलैंड के साथ राजनयिक संबंधों को न्यूनतम स्तर पर लाने की घोषणा की। उसने अपने अधिकांश राजनयिकों को वापस बुला लिया और थाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।

आर्थिक प्रभाव
- थाईलैंड ने सीमा पार आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- कंबोडिया ने थाईलैंड से कुछ आयात रोक दिए हैं।
पृष्ठभूमि
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद काफी पुराना है, विशेष रूप से प्रीह विहियर मंदिर (Preah Vihear Temple) को लेकर। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है और दोनों देश इस पर अपना दावा करते हैं। पिछले कुछ हफ्तों से इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ था।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अभी तक किसी बड़े अंतर्राष्ट्रीय संगठन (जैसे संयुक्त राष्ट्र या आसियान) की ओर से मध्यस्थता का प्रयास नहीं हुआ है, लेकिन स्थिति गंभीर होने पर दबाव बढ़ सकता है।
निष्कर्ष:
यह संघर्ष अभी और बढ़ सकता है, क्योंकि दोनों देश एक-दूसरे पर आक्रामक होने का आरोप लगा रहे हैं। यदि तुरंत कूटनीतिक समाधान नहीं निकाला गया, तो यह क्षेत्रीय संकट में बदल सकता है।