राजकुमार मल
Sutli Market : प्लास्टिक की सुतली खूब…निकली मांग सीजन की
Sutli Market : भाटापारा- जूट की नहीं, जमाना है प्लास्टिक की सुतली का। गति इतनी तेज है कि सुतली बाजार के लगभग 40 फ़ीसदी हिस्से पर इसका ही कब्जा हो चुका है।
6 महीने की सुस्ती के बाद अब सुतली में चुस्ती आने लगी है। खरीफ की फसल तैयार होने जा रही है, तो समर्थन मूल्य पर कृषि उपज की खरीदी की तारीख करीब आने लगी है। ऐसे में जूट और प्लास्टिक सुतली में दिए गए ऑर्डर की सप्लाई शुरू हो चुकी है। कीमत कम ही है, प्लास्टिक की सुतली की। इसलिए मांग और खरीदी में पहली प्राथमिकता इसे ही दी जा रही है।
Sutli Market : कीमत कम, मजबूती ज्यादा
तीसरा ऐसा बरस है, जब प्लास्टिक की सुतली की मांग निर्माण इकाइयों के पास ज्यादा मात्रा में पहुंची। मजबूती में जूट की सुतली से आगे निकल चुकी, प्लास्टिक की सुतली इस बरस 60 से 125 रुपए किलो की दर पर उपलब्ध हो रही है जबकि जूट की सुतली अभी भी 80 से 150 रुपए किलो पर स्थिर है। इसमें मंदी के आसार फिलहाल इसलिए नहीं हैं क्योंकि देश में जूट का उत्पादन कम होने की खबर आ रही है।
Sutli Market : यहां खूब
ऐसी इकाइयां और संस्थानें, जहां प्लास्टिक बारदाने ही उपयोग में लिए जाते हैं, वहां प्लास्टिक की सुतली के उपयोग को प्राथमिकता दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसी सुतली, प्लास्टिक की बोरियों में मजबूती के साथ पकड़ बनाए रखती है। इसकी वजह से परिवहन और भंडारण के दौरान ना ढीली पड़ती है, ना टूटती है।
Sutli Market : ध्यान छोटी मांग पर भी
ऐसे किसान जिनकी जरूरत सीमित है, उनके लिए 5, 10 और 20 नग के छोटे पैक भी आने लगे हैं। कट सुतली के नाम से इनकी खरीदी 5 से 20 रुपए में की जा सकती है। जूट की सुतली में यह सुविधा पहले से चली आ रही है लेकिन पहला साल है, जब इसे भी प्लास्टिक की सुतली से कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।