स्त्री संवाद: राजेश्वरी… क्रोशिया से कार तक… सुनी अपने दिल की और बन गईं मिशाल

इस बीच राजेश्वरी की एक छोटी सी बेटी भी हो चुकी थी, जिसकी वजह से राजेश्वरी सब कुछ चुपचाप सह लेती थी, यह सोचकर कि अगर मैं इसका साथ छोड़ दूंगी तो मेरी बेटी की परवरिश कैसे हो पाएगी। लेकिन एक दिन उसकी सहनशक्ति जवाब दे गई और वो घर छोड़कर चली गई। न कोई घर न कोई ठिकाना, उसको नहीं पता था कि नन्ही सी बच्ची को लेकर जाना कहां है। काफी परेशानियों के बाद उसने एक छोटा सा कमरा किराए पर ले लिया और अपना ही काम शुरू कर दिया। उसे सिलाई और क्रोशिया का काम आता था, इसी काम को उसने शुरू किया। दो साल की बच्ची का इसी माध्यम से प्राप्त आमदनी से पालन पोषण शुरू किया। स्कूली शिक्षा पूरी करवाई।

लेकिन आमदनी इतनी नहीं थी कि सारे खर्चे सम्भल सकते इसलिए नेटवर्क मार्केटिंग करना भी शुरू कर दिया। अब उसकी बेटी भी बड़ी हो रही थी, नेटवर्क मार्केटिंग में आने के बाद मां ने अपने सपनों को देखना और उनको पूरा करना शुरू कर दिया। नेटवर्क मार्केटिंग के क्षेत्र में आज वह बहुत आगे बढ़ चुकी है। पर्याप्त आमदनी के साथ बेटी अब पोस्ट ग्रेजुएशन कर रही है। उसके पति ने दूसरी शादी कर ली थी। राजेश्वरी ने उस घर में बंधकर, घुटकर जीने की अपेक्षा अपनी राह ढूंढी।

नेटवर्क मार्केटिंग में आने के बाद उसने अपने आप को जाना, अपने अंदर के डर को निकाला और अपने हुनर को समाज के सामने लेकर आई। एक सामान्य अकेली महिला कुछ भी कर सकती है, सिर्फ हिम्मत की जरूरत होती है। शुरूआत में जब वो नेटवर्क मार्केटिंग में गई थी, तब वह साइकिल पर जाया करती थी, उसके बाद उसने एक स्कूटी खरीदी और आज वह कार में जाती है। आज राजेश्वरी अपनी पुरानी जिंदगी को पीछे छोड़कर बहुत आगे बढ़ चुकी है। गर्व के साथ सिर ऊंचा करके अपनी हिम्मत के साथ आगे बढ़ती जा रही है और दूसरों के लिए प्रेरणादायी व्यक्तित्व बन चुकी है।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *