स्त्री संवाद: डॉ. इन्दु साधवानी का बाल अधिकारों की सुनिश्चितता पर बड़ा हस्तक्षेप

20 नवम्बर; विश्व बाल दिवस पर विशेष

छत्तीसगढ़ राज्य के जांजगीर शासकीय टीसीएल कॉलेज की मनोविज्ञान विभाग की अतिथि व्याख्याता डॉ. इंदु साधवानी ने संयुक्त राष्ट्र के जिनेवा स्थित मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय में बच्चों के अधिकारों के संबंध में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

ज्ञात हो कि सयुंक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति ने जेनेरल कमेंट न. 27 | (GC 27) के मसौदे पर विश्व स्तर पर बच्चों, नागरिकों, | विशेसज्ञों, संगठनो से सुझाव, | टिप्पणी और अनुभव आमंत्रित किए थे ताकि उनसे बच्चों की | वास्तविक स्थिति और बच्चों के स्थापित न्याय प्रक्रिया को | मजबूत किया जा सके। जेनेरल कमेंट न. 27 (GC 27) संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार | समिति द्वारा तैयार किया गया एक ऐसा महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है | जिसका उद्येश्य यह स्पष्ट करना है कि बच्चे अपने अधिकारों के हनन होने पर न्याय कैसे प्राप्त करें, | कैसे अपनी शिकायत रखें और कैसे प्रभावी राहत और सुरक्षा पा सकें।

डॉ. साधवानी ने जेनेरल कमेंट न. 27 (GC | 27) में अपनी टिप्पणी साझा करते हुए कहा कि कानून से संघर्षरत बच्चों के लिए शीघ्र न्याय | सुनिश्चित करना जरूरी है। उन्होंने साक्ष्यों के आधार

विश्व बाल दिवस बच्चों के अधिकारों की रक्षा के गए ऐतिहासिक निर्णयों में बच्चों को केंद्र में बनाने के वैश्विक करता है। विश्व बाल 20 नवंबर को मनाया वर्ष पुनः 2025 में भी यह दिन उन दिया। सभी मूल्यों, अधिकारों, और

संकल्पों को याद दिलाता है जो दुनिया भर के बच्चों की भलाई और सुरक्षा के लिए आवश्यक है।

पर बताया कि न्याय में देरी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य, शिक्षा और पुनर्वास पर किस प्रकार गंभीर असर डालती है। उन्होंने बताया कि त्वरित न्याय केवल कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह बच्चों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा का आधार है।

डॉ. साधवानी ने अपने सुझावों में स्वचालित वैकल्पिक प्रणाली लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था बच्चों को अपराध की जड़ से दूर करने और समाज में पुनः स्थापित करने का बेहतर तरीका हो सकता है एवं यह भी कि प्रत्येक देश में विशेष बाल-अनुकूल न्यायालय स्थापित किए जाएँ, जहाँ डिजिटल प्रबंधन, संबंध में लिए वर्चुअल सुनवाई और इलेक्ट्रॉनिक , और भविष्य दस्तावेज जैसी आधुनिक रखकर, नीतियाँ व्यवस्थाएँ हों ताकि न्याय प्रक्रिया वादे को चिन्हित तेज और पारदर्शी हो सके। उन्होंने दिवस प्रतिवर्ष बाल-मनोविज्ञान पर आधारित जाता है। इस प्रशिक्षण अनिवार्य करने का सुझाव

डॉ. साधवानी ने त्वरित बाल न्याय मॉडल लागू करने और हर वर्ष एक बाल न्याय तालिका जारी करने का सुझाव दिया। जिससे जवाबदेही और पारदर्शिता बनी रहे। उन्होंने संरक्षित बजट की अवधारणा भी रखी ताकि बाल न्याय प्रणाली के लिए अलग वित्तीय संसाधन सुनिश्चित हों और उनका उपयोग अन्य योजनाओं में न किया जाए।

साभार: डॉ. इंदु साधवानी, असिस्टेंट प्रोसेसर साइकोलॉजी डिपार्टमेंट, गवर्नमेंट टीसीएल पीजी कॉलेज, जांजगीर।

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