Special programs : एक देश एक चुनाव से बचेगा मेन पॉवर और फिजूल खर्ची, जनता को मिलेंगे नए लीडर…

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Special programs : वन नेशन वन इलेक्शन विषय पर परिचर्चा का आयोजन

 

Special programs : रायपुर। पूरे देश में एक साथ चुनाव हों, यानि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की बात कही जा रही है। सरकार एक देश-एक चुनाव की दिशा में एक कदम आगे बढ़ा चुकी है. इसको लेकर बनी कोविन्द की रिपोर्ट स्वीकार की जा चुकी है. मगर मामला इतना आसान नहीं है, इसके पक्ष में और विपक्ष में- दोनों तरह के तर्क हैं.बीजेपी का दावा है कि इससे चुनावी ख़र्च कम होगा वहीं विपक्ष का दावा है कि इससे संघीय ढांचे को नुकसान होगा। एशियन न्यूज़ के खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण यानी कि बैलेंस इक्वेशन में “एक देश एक चुनाव” विषय पर चर्चा का आयोजन किया गया qजहां लोगों से चर्चा कर बैलेंस इक्वेशन तलाशने की कोशिश की गई।  इस अवसर पर अलग-अलग क्षेत्र के लोग शामिल हुए और अपनी बात रखें। इसमें कानून के जानकार, पूर्व सैनिक, राजनीतिक दलों के नेता, कर्मचारी नेता, छात्र और आम नागरिक भी शामिल हुए। अलग अलग क्षेत्र के लोगों को एक देश एक चुनाव विषय पर एशियन न्यूज के माध्यम से सभी ने मुखर होकर अपनी बात रखी।

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इस अवसर पर एशियन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि वर्तमान में हमारे देश में कई चीजे घटित हो रही है और हुई है इसमें एक वन नेशन वन इलेक्शन पर भी बात  हो रही है हमारे देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद के अध्यक्षता में एक कमेटी बनी थी और उस कमेटी ने वन नेशन वन इलेक्शन की रिपोर्ट सौंपी है जिसको मंजूर भी कर लिया गया है। एक देश-एक चुनाव (वन नेशन, वन इलेक्शन) की दिशा में देश एक कदम और आगे बढ़ गया है। हालांकि, आगे का रास्ता कठिन है. इसलिए आज इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं जो लोग इस चर्चा में शामिल हुए हैं उनसे इसपर विस्तार से जानेंगे कि अगर मोदी सरकार की यह पहल हकीकत बनी तो इसका असर क्या होगा? साथ ही, यह भी समझते हैं कि पूरे देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने का समर्थन और विरोध किन तर्कों के आधार पर हो रहा है इस देश में कई धर्म और जाति के लोग रहते हैं। लेकिन एक देश एक चुनाव एक कानून पर लोगों का क्या राय है यह जानना जरूरी है, क्योंकि इस दौर में जब लोग एक देश एक चुनाव की बात कर रहे हैं तो ऐसे में लोगों को क्या सोचना है यह अहम है।

 

Special programs : समाज सेवी अशोक चंद्रवंशी ने कहा कि हमारे देश में भौगोलिक स्थिति अलग-अलग है, यहां अलग-अलग धर्म और जाति के लोग रहते हैं हमें यह सोचना होगा कि वन नेशन वन इलेक्शन की बात कहां से आई, उन्होंने कहा कि जिस तरीके से वर्तमान में अलग-अलग समय पर अलग-अलग चुनाव होते हैं जैसे कि अभी हाल ही में जम्मू कश्मीर में हुआ है वही झारखंड में चुनाव होना है, यानी कि देश में अलग-अलग प्रदेश में साल भर में कहीं न कहीं चुनाव होते रहता है। जिससे सरकार को ज्यादा खर्च करना पड़ता है। लेकिन मेरा मानना है कि वन नेशन वन इलेक्शन से किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि इससे पहले भी एक देश एक चुनाव हो चुका है उन्होंने कहा कि 140 करोड़ आबादी वाले इस देश में अलग-अलग समय में चुनाव होने के कारण कहीं ना कहीं फिजूल खर्च भी होती है क्योंकि हम अलग-अलग समय में अलग-अलग चुनाव करवाते हैं इससे काफी धनबल लगती है। उन्होंने कहा कि आज देश में इसकी आवश्यकता इसलिए भी है ताकि हम काम कर सके, हमारा देश लोकतांत्रिक देश है जहां एक सरपंच से लेकर प्रधानमंत्री तक लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर सामने आता है उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी चुनौतियां तो है लेकिन बड़े फैसले लेने में यह सब चुनौती गौण हो जाती है.. उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन आज के समय की मांग है।

 

आम आदमी पार्टी प्रवक्ता विजय झा ने कहा कि वर्तमान में बार-बार एक पार्टी के द्वारा पुराने समय का उदाहरण दिया जाता है की इतने साल एक साथ चुनाव हुए हैं लेकिन हमको यह भी ध्यान देना होगा कि पहले की आबादी क्या थी और आपकी आबादी क्या है। एक साथ चुनाव कराने के लिए हम कितना तैयार हैं इस पर भी बात करना होगा। इतने सारे ईवीएम कहां से लाएंगे। एक साथ सभी चुनाव कैसे करवाएंगे केवल कहने भर से नहीं होता। उन्होंने कहा कि आज बात करते हैं वन नेशन वन इलेक्शन लेकिन हम कर्मचारियों के लिए वन वेतन वन पेंशन की बात क्यों नहीं करते हैं, आज जिस प्रकार से प्रदेश में लोग या कर्मचारी अपनी मांग के लिए लगातार आंदोलन कर रहे हैं तो इस पर भी लोगों को ध्यान देने की आवश्यकता है। देश में अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग हिसाब से अलग-अलग मांगे हैं अलग-अलग भौगोलिक स्थिति है ऐसे में अगर एक साथ चुनाव होते हैं तो यह व्यावहारिक नहीं है…

 

शिव सेना कार्यकर्ता संजय नाग ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर हम इसका समर्थन नहीं करते हैं क्योंकि जब इस प्रकार से इलेक्शन होगी तो इससे कहीं ना कहीं क्षेत्रीय, पार्टी क्षेत्रीय मुद्दे गौण हो जाएंगे। जो पार्टी सत्ता में आएगी 5 साल तक उसका अपना राज्य चलेगा और वह कहीं ना कहीं अपनी मनमानी करेगा इसलिए मैं इसका समर्थन नहीं करता हूं।

Special programs : समाजवादी पार्टी नेता बृजेश चौरसिया ने कहा कि भाजपा जिस प्रकार से वन इलेक्शन की बात करती है वह केवल एक एजेंडा है और वोट की राजनीति करती है।भाजपा लगातार किसी भी नीति को लागू करने की जिद्द में पड़ी है। इसके बारे में पहले किसी प्रकार से सोच नहीं रही है उन्होंने कहा कि भाजपा को जिस प्रकार से यूपी में मात मिली है उसे बौखलाई हुई है और ऐसी नीति लागू करने को सोच रही है जिससे आम जनता को काफी परेशानी होने वाली है वहीं क्षेत्रीय राजनीति पर भी असर होगा।

सपा नेता कैफ मंजूर ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन का हमारी पार्टी विरोध कर रही है उन्होंने कहा कि क्या हमारे पास इतना संसाधन है कि जिसे हम एक साथ पूरे देश भर में चुनाव करवा सकते हैं जिस तरीके से पूरे देश में अलग-अलग चुनाव में अलग-अलग पार्टी या फिर क्षेत्रीय पार्टी से अलग-अलग लोग खड़े होते हैं तो इससे क्या नुकसान नहीं होगा क्या?

 

वरिष्ट पत्रकार कृष्ण कुमार शिकंदर ने कहा कि आज चर्चा की विषय वन नेशन वन इलेक्शन है इस पर सबसे पहले हमें यह समझना पड़ेगा कि आखिर यह क्यों जरूरी है वन नेशन वन इलेक्शन को बीजेपी क्यों लाना चाहती है इसके पीछे बहुत बड़ा उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की शुरू से एजेंडा रहा है कि हम समान नागरिक संहिता लाएंगे, इसमें एक देश एक राशन कार्ड, एक देश एक शिक्षा प्रणाली, इसी प्रकार से वन नेशन वन इलेक्शन की बात सामने आई है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी एक साथ चुनाव हुए हैं। तो इस बात का भी ध्यान देना होगा की वन इलेक्शन वन इलेक्शन क्यों जरूरी है !

 

कर्मचारी नेता और पूर्व अधिकारी सीएल दुबे ने कहा कि एक देश एक चुनाव बहुत जरूरी है।इससे जहां वित्तीय भार में कमी आएगी वहीं मेन पावर का भी सही इस्तेमाल होगा। उन्होंने कहा कि ऐसे में एक साथ कहीं ना कहीं लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक ही साथ निपट जाएंगे, जितनी खर्चे में एक इलेक्शन करवाया जाता है उतना ही में दोनों इलेक्शन हो जाएंगे। लेकिन वर्तमान में जिस प्रकार से अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग समय में चुनाव होती है तो इससे अलग-अलग क्षेत्र के नेता दूसरे क्षेत्र में जाकर ज्ञान देते हैं मेरा मानना है कि एक साथ एक समय में इलेक्शन होनी चाहिए जिसे कहीं ना कहीं सभी को फायदा होगा।

पूनम ने कहा कि उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से वर्तमान में लोग ये कह रहे हैं कि इससे केवल बीजेपी पार्टी अपने फायदा के लिए कर रही है। लेकिन हमे इस बात को समझना होगा कि वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर अलग अलग दलों ने भी इसपर अपनी सहमति जताई है। और यह लोगों के साथ देश हित में हो सकता है।

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Special programs : भाजपा प्रवक्ता रितेश जी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपनी स्थापना काल से लेकर अब तक जितनी भी मेनिफेस्टो लाई है उन सभी पर काम की है चाहे वह 370 हो या युवाओं के रोजगार देने का काम करना हो, या फिर वन नेशन वन इलेक्शन के बाद हो, उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन इसलिए भी करवाया जा रहा है इससे एक साथ इलेक्शन होंगे जिससे खर्च कम होगी। इससे पहले भी एक साथ इलेक्शन हुए हैं तो यह संभव है कि हम एक साथ चुनाव करवा सकते हैं उन्होंने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन से कहीं ना कहीं नए लीडर नए नेता बनकर निकलेंगे क्योंकि अभी देखा जाता है कि कई बार एक ही लोग लोकसभा और राज्यसभा विधानसभा के चुनाव में लड़ते हैं लेकिन एक देश एक चुनाव होने के बाद अलग-अलग नेता चुनावी मैदान में होंगे और नए नेता बनकर उभरेंगे।

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