Shiva Mahapuran शिव का अर्थ ही कल्याण है, भोलेनाथ की महिमा बड़ी निराली है

Shiva Mahapuran

Shiva Mahapuran भोलेनाथ की महिमा बड़ी निराली है 

 

 

Shiva Mahapuran सक्ती !  अकलतरा में आयोजित शिव महापुराण के पांचवें दिन ब्यास पीठ से भागवताचार्य राजेंद्र शर्मा ने कहा भगवान भोलेनाथ की महिमा बड़ी निराली है l शिव का अर्थ ही कल्याण है , और भगवान भोलेनाथ संपूर्ण जगत का कल्याण करते हैं l देवताओं को अमर बनाने के लिए उन्हें अमृत प्रदान किया तथा संपूर्ण विश्व की रक्षा के लिए हलाहल विष का पान कर लिया l भगवान शिव ईश्वर हैं हुए ही सत्य है और परम सुंदर है l अकलतरा नगर के समीपस्थ ग्राम taraud मैं आयोजित सार्वजनिक शिव महापुराण कथा के पांचवें दिन महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव महिमा का वर्णन करते हुए व्यास पीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवत आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने यह उधर प्रकट किया l

आचार्य ने बताया कि ब्रह्मा जी के मन में अपनी प्रधानता साबित करने के लिए कि मैं विष्णु से बड़ा हूं, भगवान विष्णु से ही सम्मान पाने की अपेक्षा की , तब भगवान विष्णु ने कहा कि आप तो मेरे नाभि कमल से उत्पन्न हुए हो इसलिए इसमें अपनी महानता किस बात की l ब्रह्मा और विष्णु दोनों देवताओं में संवाद प्रारंभ हो गया और यह युद्ध करने लगे l

इन दोनों महान शक्तियों को परस्पर युद्ध और प्रतिकार करते हुए देखकर भगवान महादेव ने आदि मध्य और अंत से हीन विशाल तप्त ज्योतिर्लिंग का स्वरूप दिखाया था l इस दिव्य ज्योतिर्लिंग के आकार प्रकार का कोई अंत नहीं था जिसे देखने और पता करने ब्रह्मा जी ने हंस का स्वरुप बनकर ज्योतिर्लिंग की लंबाई ऊंचाई पता करने आकाश की ओर चले गए और भगवान विष्णु शूकर स्वरूप धारण कर ज्योतिर्लिंग की गहराई का पता करने पटल की ओर चले गए , किंतु दोनों ही देवताओं को ज्योतिर्लिंग की विशालता का पता ही नहीं चला।

भगवान विष्णु निराश होकर वापस आ गए किंतु ब्रह्मा जी ने ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई का पता करते हुए देखा की एक केवड़ा का पुष्प ऊपर से गिरते गिरते आ रहा है , तब ब्रह्मा जी ने केवड़ा पुष्प से पूछा हे पुष्पराज तुम कहां से और कब से गिर रहे हो ? केवड़ा पुष्पा ने बताया कि मैं लंबे कल से इस ज्योतिर्लिंग के ऊपर से गिरते गिरते आ रहा हूं, मुझे स्वयं पता नहीं कि मैं कब से गिर रहा हूं l ब्रह्मा जी ने कहा कि तुम मेरे साथ चलकर विष्णु के सामने यह कह देना की ब्रह्मा जी ने ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई को देख लिया है जिसे मैं साक्षी हूं l

केवड़ा पुष्प द्वारा झूठ वचन कहाने के कारण भगवान शिव रुष्ट हो गए और अपने सेवक भैरव को प्रकट कर दिया और शिव जी ने कहा की ब्रह्म पर आक्रमण कर दो क्योंकि इसने झूठ का सहारा लिया है , तब भैरव जी ने ब्रह्मा जी के पांच सर में से एक झूठ बोलने वाले सर को काट दिया , तब से ब्रह्मा चार सर वाले हो गए l

भगवान शिव ने ब्रह्मा से कहा कि आज से धरती में तुम्हारा कोई उत्सव और पूजा नहीं होगी और तुम्हारा मंदिर भी नहीं बनेगा l और विष्णु सर्वत्र पूजित होगा धरती में विष्णु सर्व व्याप्त होगा इनके सर्वत्र पूजा और उत्सव मनाया जाएगा l
भगवान भोलेनाथ ने कहा कि आज का दिन और रात्रि मुझे अति प्रिय होगा इस संसार में महाशिवरात्रि के नाम से सभी जानेंगे और शिवलिंग की सर्वत्र पूजा होगी। l

ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान इस धरती पर विराजमान किया और सभी शिव भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंगों का अलग-अलग स्थान पर दर्शन कर अपने जीवन को धन्य करते हैं l

पांचवें दिन की कथा में बिहारी लाल ताम्रकार , केशव कुमार कौशिक , राघव भार्गव , श्रीमती गुणवती रवि कुमार पांडेय , सनत कुमार तिवारी एवं आसपास के ग्रामों के अनेकों श्रोता उपस्थित थे l प्रतिदिन शिव रुद्राभिषेक मधुर संकीर्तन संगीत में भजन एवं जीवंत झांकियां का दर्शन लाभ श्रोताओं को प्राप्त हो रहा है l

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सार्वजनिक शिव महापुराण कथा महोत्सव के आयोजक देर गले बचाओ केसरी नंदन सुंदरकांड मित्र मंडल एवं मुख्य यजमान श्रीमती विमला मेघनाथ भेड़पाल द्वारा प्रतिदिन अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने की अपील की गई है l

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