श्री गुरुतेगबहादुर साहिब के 350वें शहादत दिवस पर हुआ शब्दकीर्तन…शहीदी को किया गया नमन


आज 25 नवम्बर इतिहास के पन्नों में अंकित वह दिन जब आज से 350 वर्ष पूर्व हिन्द की चादर श्री गुरुतेगबहादुर जी ने दिल्ली के चाँदनी चौक पर मुगल बादशाह औरंगजेब के फतवा पर जिसमें हिन्दुओं के तिलक और जनेऊ की रक्षा के लिए अपना शीश दिया पर शी ना किया और सनातन धर्म के लिए अपनी शहादत दी , उनकी इस शहीदी को नमन करते हुए आज प्रातः श्री गुरुद्वारा साहिब में नितनेम पाठ के बाद श्लोक महला नावां का कीरतन किया गया साथ ही उनकी स्मृति में रखें गये श्री सहज पाठों का भी समापन किया गया ।


इसके पश्चात शहीदी मार्च का आयोजन किया गया जिसमें समाज के बच्चों , युवाओं , महिलाओं और समाज के हर उम्र के सदस्यों ने भाग लिया जो श्री गुरुद्वारा साहिब से आरंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए निकाला गया जिसमें उनकी शहादत पर शब्दकीर्तन के साथ सभी ने सफेद रंग की पोशाक पहन कर मौन जुलूस (शहीदी मार्च ) में भाग लिया जो श्री गुरुद्वारा साहिब में पहुँचकर सम्पन्न हुआ ,दोपहर में उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए श्री जपजी साहिब का पाठ और गुरुबाणी का शब्दकीर्तन हुआ समाप्ति उपरांत साधसंगत के लिए लँगर की सेवा भी रखी गई थी ,


इस आयोजन में श्री गुरुतेगबहादुर साहिब जी के साथ साथ भाई सती दास , भाई मती दास और भाई दयाला जी को भी उनकी शहादत के लिए नमन किया गया इस आयोजन में विशेष रूप से दिल्ली के भाई साहब भाई परमजीत सिंघ जी ने गुरुबाणी का शब्दकीर्तन से श्री गुरु सहबान को भावांजली दी ।
इस सप्ताह भर के आयोजन में महिलाओं एवं बच्चों के साथ साथ जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्राप्त हुआ सभी के लिये समाज के अध्यक्ष स.त्रिलोक सिंघ सलूजा ने आभार प्रकट किया ।

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