Saraipali : राजयोग द्वारा मन की शांति संभव-भगवान भाई

Saraipali :

Saraipali :   5 दिवसीय उद्बोधन कार्यक्रम का आज समापन

 

Saraipali :  सरायपाली :- “राजयोग द्वारा अपने कर्मेन्द्रियों पर संयम कर कर्म में कुशलता से सकारात्मक चिंतन, सकारात्मक वृति और दृष्टिकोण की उपलब्धि होती हैं जिससे हम व्यर्थ से बच सकते हैं । राजयोग के अभ्यास द्वारा तनाव मुक्त बन हम अनेक मानसिक और शारीरिक बीमारियों से स्वंम को बचा सकते हैं। मानसिक और शारीरिक बीमारियों से बचने का राजयोग एक कवच कुंडन का कार्य करता है ।

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उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से आये हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे वे आज यहा स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवाकेंद्र एक दिवसीय राजयोग साधना कार्यक्रम में एकत्रित ईश्वर प्रेमी भाई बहनों को राजयोग का जीवन में महत्व विषय पर बोल रहे थे |

ज्ञातव्य हो कि विगत 4 दिनों पूर्व सरायपाली पहुंचे ब्रम्हकुमार भाई नगर के विभिन्न विद्यालयों व महाविद्यालयों में अपना उदबोधन दे रहे थे ।आज उनका प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में अंतिम उद्बोधन था ।

इस अवसर पर भगवान भाई ने राजयोग की विधि बताते हुए कहा कि स्वंम को आत्मा निश्चय कर चाँद, सूर्य, तारांगण से पार रहनेवाले परमशक्ति परमात्मा को याद करना, मन-बुद्धि द्वारा उसे देखना, उनके गुणों का गुणगान करना ही राजयोग हैं । राजयोग के द्वारा हम परमात्मा के मिलन का अनुभव कर सकता हैं ।

 

उन्होनें कहा की राजयोग के अभ्यास द्वारा ही हम काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, नफरत आदि मनोविकारों पर जीत प्राप्त कर जीवन को अनेक सद्गुणों से ओतप्रोत वा भरपूर कर सकते हैं । राजयोग के द्वारा मन को दिशा निर्देशन मिलती हैं जिससे मन का भटकना समाप्त हो जाता हैं।

राजयोगी भगवान भाई ने अपने अनुभव के आधार से बताया की राजयोग के अभ्यास से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक चिंतन के द्वारा मन को एकाग्र किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि वर्तमान की तनावपूर्ण परिस्थितियों में मन को एकाग्र और शांत रखने के लिए राजयोग संजीवनी बूटी की तरह काम आता हैं | उन्होनें कहा कि राजयोग के अभ्यास द्वारा सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता, अंतर्मुखता ऐसे अनेक सद्गुणों का जीवन में विकास कर सकते है । राजयोग द्वारा ही मन की शांति संभव है। उन्होनें बताया की राजयोग के अभ्यास से अतींद्रिय सुख की प्राप्ति होती हैं । जिन्होनें अतींद्रिय सुख की प्राप्ति कर ली उनको इस संसार के वस्तु, वैभव का सुख फीका लगने लगता हैं ।

उन्होंने कहा कि राजयोग के द्वारा हम अपने इंद्रियों पर सयंम रखकर अपने मनोबल को बढा सकते हैं । राजयोग द्वारा आंतरिक शक्तियाँ और सद्गुण को उभार कर जीवन में निखार ला सकते हैं

बी के आहिल्या बहन जी नें राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की अपील किया उन्होंने कहा वर्तमान की विपरीत परिस्थितियों में राजयोग हमे तनाव मुक्त रखने में बहुत ही मददगार बनेगा |

कार्यक्रम के अंत बी के भगवान भाई ने राजयोग का अभ्यास कर सभी को शांति का अनुभव कराया |

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Saraipali : कार्यक्रम कि शुरुवात दीप प्रज्वलन से किया |बी के योगेश्वरी बहन जी , बी के सुनीता बहन, बी के कुसुम बहन, बी के शेवटी बहन भी उपस्थित थी |

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