Sakti Malkharoda : सक्ती मालखरौदा जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सतगढ़ में चंद्रा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा
Sakti Malkharoda : सक्ती मालखरौदा जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सतगढ़ में चंद्रा परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन व्यासपीठ से आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री (चाय वाले बाबा)ने भागवत भक्तगण श्रोताओं को बताया कि माया मनुष्य का पीछा कभी नहीं छोड़ती , यदि मनुष्य भगवान की पूजा , तपस्या , संकीर्तन और कथा श्रवण तथा देव दर्शन
Sakti Malkharoda : के लिए मंदिर भी चला जाए तो माया उसके पीछे पीछे चलती रहती है । भगवान का सत्संग और पूजा तो अपने गृहस्थ जीवन में रह करके ही किया जा सकता है । राजा जड़ भरत ने अपने पूरे साम्राज्य का राज पाठ और राज्य सत्ता का परित्याग कर वन में जाकर भक्ति और भगवान का नाम लेना करना प्रारंभ किया , किंतु एकांत वन में जाकर पूजा
अर्चना करने वन जाने से भगवान की भक्ति नहीं हो सकी और इतने बुद्धिमान राजा एक हिरणी की माया में फंस कर अपना अगला जन्म ही बिगाड़ लिए और स्वयं पशु योनी को प्राप्त हो गए । यह उद्गार सतगढ़ मे आयोजित विशाल श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री ने बताया की अंत समय में जिसकी जैसी होती होती है
वैसे ही उसकी गति भी बनती है । इसलिए मनुष्य अपने ज्ञान विवेक धर्म आदि का आश्रय लेकर अंत समय में भगवान नाम का ही आश्रय ले ,, जिससे कोई प्रारब्ध ना हो और आने वाला जन्म अभी सुधर जाए । आचार्य नरेंद्र नयन शास्त्री ने बताया कि जीवन में आशा ही दुख का कारण बन जाता है अनुकूलता और प्रतिकूलता दोनों ही परिस्थिति
आती रहती है इसलिए मन भगवान पर लगा कर ही अपने सारे कार्य और दायित्व निभाना चाहिए । जब भी मनुष्य को अपने जीवन में समय मिले भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए क्योंकि भागवत कथा ही एक ऐसी कथा है जो अजन्मा और जन्म मृत्यु से भवसागर को तारने वाली कथा है भागवत कथा श्रवण करने वाले मनुष्य को जीते जी मोक्ष की
प्राप्ति होती है भगवान भगवान अपने भक्तों पर हमेशा कृपा करते हैं तथा परिधि में संसार को रखकर कार्य करते रहने से प्रत्येक कर्म पूजा का ही स्वरूप बन जाता है । दूसरे दिन की कथा में हजारों श्रोताओं के साथ चंद्रपुर राज परिवार के रानी रत्नमाला देवी के बेटे भूपेन्द्र सिंह देव एवं बहुरानी रूपा सिंह देव ने भागवत भगवान की आरती प्रसाद ग्रहण कर भागवत कथा अमृत का लाभ एवं अक्षय पुण्य प्राप्त किया ।