शिक्षा विभाग में नियम कायदों की धज्जियां: 30 वर्षों से एक ही पद पर जमे ब्लॉक समन्वयक, शासन मौन

नियमानुसार, किसी भी सरकारी कर्मचारी को एक ही पद पर तीन साल से अधिक समय तक नहीं रखा जाना चाहिए ताकि प्रशासनिक कार्यकुशलता और पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन सोनहत में सारे नियम कायदों को ताक पर रखा गया है।

स्थानीय निवासियों और विभागीय सूत्रों के अनुसार, संबंधित ब्लॉक समन्वयक को अपनी वर्तमान पदस्थापना पर लगभग तीन दशक से अधिक का समय हो चुका है। सामान्यतः, विभागों में हर तीन से पांच साल में कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जाता है,

ताकि कार्य में नवीनता आए, जवाबदेही बनी रहे और किसी भी प्रकार के निहित स्वार्थों को पनपने से रोका जा सके। यह एक स्थापित प्रशासनिक प्रक्रिया है जिसका पालन न होने से विभाग के कामकाज पर नकारात्मक असर पड़ता है।

इस लंबी अवधि के कारण कार्यालय के कामकाज में अक्सर धीमी गति, लेट लतीफी और ढिलाई की शिकायतें सामने आती रही हैं। एक ही जगह पर लंबे समय तक जमे रहने से अधिकारी का रवैया उदासीन हो सकता है

और वह अपनी जिम्मेदारियों के प्रति कम जवाबदेह महसूस कर सकता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर शासन के उच्चाधिकारियों द्वारा

इस पर ध्यान क्यों नहीं दिया जा रहा है? क्या कोई विशेष संरक्षण प्राप्त है जिसके चलते इन पर कार्रवाई नहीं की जा रही है?

स्थानीय जनता और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोग इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं। उनका मानना है कि एक ही व्यक्ति का इतने लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहना न केवल विभागीय नियमों का उल्लंघन है,

बल्कि यह विभाग की कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करता है। शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग में ऐसा होना बच्चों के भविष्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर सीधा असर डाल सकता है।

जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे इस मामले का संज्ञान लें और तत्काल नियमानुसार कार्रवाई करें।

प्रशासनिक पारदर्शिता और कार्यकुशलता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि स्थानांतरण नीति का ईमानदारी से पालन किया जाए। इस मामले में शासन की चुप्पी और निष्क्रियता पर स्थानीय स्तर पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, जो सुशासन के लिए शुभ संकेत नहीं है।

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