नेटफ्लिक्स की नई सीरीज ‘मंडला मर्डर्स’ सामान्य मर्डर मिस्ट्री से हटकर है। यह सिर्फ एक अपराध कहानी नहीं, बल्कि इसमें अंधविश्वास, स्थानीय राजनीति और व्यवस्था की कठोर सच्चाइयों का मिश्रण है। हालांकि, कुछ जगहों पर अतिरिक्त तत्वों ने कहानी के प्रभाव को कमजोर कर दिया है।

कहानी का बेसिक प्लॉट
कहानी उत्तर प्रदेश के काल्पनिक गांव ‘चरंदासपुर’ में शुरू होती है, जहां कई सालों बाद रहस्यमय हत्याएं फिर से शुरू हो जाती हैं। इन हत्याओं का संबंध एक गुप्त संगठन ‘आयस्त मंडल’ से जुड़ता है। सीआईडी अधिकारी रिया थॉमस (वाणी कपूर) इस मामले की जांच करती हैं, जबकि निलंबित पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह (वैभव राज गुप्ता) भी मामले से जुड़ जाते हैं।
स्ट्रेंथ और कमजोरियां
सीरीज की शुरुआत मजबूत है – पहले कुछ एपिसोड में गांव का रहस्यमय वातावरण, जंगल और स्थानीय लोगों का डर दर्शकों को बांध लेता है। हालांकि, मिड सेक्शन में कहानी की गति धीमी हो जाती है और कुछ अनावश्यक सब-प्लॉट्स कहानी को भटकाते हैं।

वाणी कपूर की एक्टिंग पर नजर
वाणी कपूर ने अपनी ओटीटी डेब्यू में मिश्रित प्रदर्शन दिया है। जहां उनका शांत और पेशेवर अंदाज शुरुआत में प्रभावित करता है, वहीं भावनात्मक दृश्यों में उनकी एक्टिंग अपेक्षा से कमजोर लगती है। विशेष रूप से दर्द या क्रोध के मौकों पर उनके भाव पूरी तरह से प्रभावी नहीं उतर पाते।

वर्ड ऑफ माउथ
‘मंडला मर्डर्स’ एक अलग तरह की थ्रिलर है जो भारतीय ग्रामीण पृष्ठभूमि में अंधविश्वास और अपराध की जटिल बुनाई पेश करती है। हालांकि कहानी में कुछ खामियों के बावजूद, यह अपने यूनिक कॉन्सेप्ट के लिए देखने लायक है।
रेटिंग: 3/5 स्टार