Reservation छत्तीसगढ़ में आरक्षण को लेकर जातीय संघर्ष करा रही कांग्रेस सरकार – डॉ देवेंद्र माहला

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Reservation आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर दांव चला

Reservation भानुप्रतापपुर। छत्तीसगढ़ में चल रहे सियासी हलचल के बीच कल अचानक राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ के आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर दांव चला है। पूर्व में छत्तीसगढ़ में सम्पूर्ण आरक्षण 50 फीसदी से अधिक होने के कारण माननीय उच्च न्यायालय द्वारा लागू आरक्षण को असंवैधानिक करार कर दिया था। छतीसगढ़ जैसे संवेदनशील राज्य में आरक्षण का मामला सियासी रंग लेने लगा है।

Reservation राज्य सरकार द्वारा वर्तमान में लिए गए फैसले पर डॉ देवेंद्र माहला ने कहा कि राज्य सरकार तय करले की उन्हें आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषय पर क्या करना है, इस विषय पर उनका रवैया अन्याय पूर्ण प्रतीत होता है। परिस्थिति को देखकर लगता है कि सरकार जातीय संघर्ष को बढ़ावा देना चाहती है।

Reservation ज्ञात हो की  उच्च न्यायालय ने 58 फीसदी आरक्षण को खारिज करते हुए कहा था कि 50 प्रतिशत की लिमिट को तोड़ना असंवैधानिक है। न्यायालय के फैसले के बाद एसटी के लिए 20 फीसदी, अनुसूचित जाति का कोटा 16 फीसदी तथा ओबीसी के लिए 14 फीसदी रखा गया था।

यह वही लिमिट थी जो अविभाजित मध्यप्रदेश में तय की गई थी परन्तु आज उच्चतम न्यायालय से उच्च न्यायालय के आदेश में स्टे होने तक प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अथवा पिछड़ा वर्गों को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा अर्थात शून्य की स्थिति होगी।

Reservation ऐसे में आज सरकार कभी भी कुछ भी फैसले ले रही है जो तर्कसंगत नही लगते हैं, बिना स्टे आदेश के सरकार आरक्षण प्रस्ताव के जरिये क्या साबित करना चाह रही है? क्या यह जातीय वैमनस्य बढ़ाने का गुप्त राजनैतिक मकसद तो नही?

साथ ही साथ आदिवासियों के 32% आरक्षण को निरस्त कराने की पैरोकारी करने वाले महाशय को सरकार में अहम जिम्मेदारी दे दी जाती है।

कुल मिलाकर सरकार भोले-भाले जनता की भावनाओं से खेलने का कार्य कर रही है। जिस प्रकार आरक्षण पर केंद्र सरकार का रुख साफ है परंतु भूपेश बघेल की फुट डालो और राज करो कि नीति अपना रही है जो अब नही चलेगी।

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