:राजकुमार मल:
भाटापारा- और गर्म होगा गोंद। इस संकेत से औषधि निर्माण इकाइयों
और स्वीट काॅर्नरों के पसीने छूटने लगे हैं। सकते में हैं रिटेल काउंटर
जिन्होंने अभी-अभी सीजन के पूर्व की तैयारी शुरू की है।
मांग के विपरीत उत्पादन महज 50 फ़ीसदी। बन सकती है शॉर्टेज की स्थिति। इस आशंका ने गोंद में गर्मी लानी शुरू कर दी है। यह तब, जब शीत ऋतु की मांग के लिए खुदरा बाजार तैयार हो रहा है। गोंद की उपलब्ध दोनों किस्मों में 100 से 200 रुपए की तेजी आ चुकी है।

इसलिए उत्पादन आधा
घटता वन क्षेत्र। उपलब्ध वृक्षों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर अनदेखी। नए रोपण में गंभीरता का अभाव। यह परिस्थितियां धावड़ा और बबूल की कमजोर होती संख्या की वजह बन रहीं हैं। असर गोंद के उत्पादन पर पड़ रहा है, जिसमें इस बरस 50 फ़ीसदी की गिरावट की आशंका व्यक्त की जा रही है।
धावड़ा शिखर पर
औषधि निर्माण इकाइयों की मांग में हमेशा शीर्ष पर रहता आया है धावड़ा गोंद लेकिन इस बार इसमें 600 से 1000 रुपए किलो की जो कीमत तय की हुई है, उससे इकाइयां सकते में हैं। बबूल लाल गोंद 200 से 450 रुपए किलो और बबूल सफेद गोंद ने 300 से 600 रुपए किलो पर पहुंचकर स्वीट काॅर्नरों की चिंता बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

असर इन पर
शीत ऋतु में गोंद के लड्डू खूब मांग में रहते हैं। तेजी के बाद अब स्वीट कॉर्नरों के अलावा घरेलू उपभोक्ताओं को भी अतिरिक्त रकम देकर गोंद की खरीदी करनी पड़ेगी। इधर औषधि निर्माण ईकाइयां सतर्क हैं। पूरे साल की डिमांड को ध्यान में रखते हुए यह मांग क्षेत्र अग्रिम खरीदी और भंडारण का विचार कर रहा है क्योंकि तेजी की धारणा अभी से व्यक्त की जा रही है।
