राजधानी में मित्तल हॉस्पिटल से जुड़े अल्बर्ट इक्का मामले ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। मृतक अल्बर्ट इक्का की पत्नी द्वारा जारी किए गए भावुक वीडियो ने पूरे घटनाक्रम को और संवेदनशील बना दिया है। वीडियो में उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके पति के इलाज के दौरान बाहर से सर्जन बुलाए जाने की कोई जानकारी उन्हें नहीं दी गई, जबकि दूसरी ओर सुमन मित्तल लगातार नकद पैसे जमा करवाने का दबाव बनाती रहीं। पत्नी का कहना है कि शुरुआत में उन्हें आयुष्मान कार्ड से इलाज कराने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन बाद में कहा गया कि स्थिति गंभीर है और ऑपरेशन तभी होगा जब पैसा जमा किया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया की उड़ीसा से एक व्यक्ति उनके घर में आ कर उन्हें धमकी भी दे चूका हैं।
“सर्जन के नाम पर 90 हजार लिए गए, पर जानकारी तक नहीं दी”—परिवार का आरोप
अल्बर्ट इक्का की पत्नी का कहना है कि उनसेनगद 3 लाख के करीब पैसे ऑपेरशन के नाम से लिए गए थे , लेकिन सर्जन कहां से आया, कब बुलाया गया, और किसने बुलाया—इन बातों की उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने इलाज, पैसे और प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती, जिससे परिवार पूरी तरह उलझन में पड़ गया। और हॉस्पिटल से बिल मांगने पर जवाब में कहा गया की इलाज़ आयुष्मान कार्ड से हो रहा हैं तो बिल नहीं दिया जाएगा।
आपको बता दे की सुमन मित्तल ने कहा था की बाहर से सर्जन बुलाया गया था, जिसके लिए 90 हज़ार रुपए लिए गए थे परन्तु अल्बर्ट इक्का की पत्नी ने वीडियो में बताया की उन पर पैसों के ये दवाब बनाया जा रहा था. और उनसे करीब 3 लाख रुपए नगद लिए गए थे। साथ ही बाहर से सर्जन बुलाने की उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
उड़ीसा से भेजे गए व्यक्ति की धमकी ने मामला और गंभीर बनाया
परिवार ने एक चौंकाने वाला आरोप लगाया है कि उन्हें डराने और आवाज दबाने के लिए उड़ीसा से एक व्यक्ति उनके घर भेजा गया, जिसने उनसे साफ शब्दों में कहा कि अगर वे मित्तल हॉस्पिटल के खिलाफ आवाज उठाना बंद नहीं करेंगे, तो परिणाम ठीक नहीं होंगे। पीड़ित पत्नी के अनुसार वह व्यक्ति उनकी भांजी नूपुर, जो लगातार इस मामले में न्याय की लड़ाई लड़ रही हैं, उनका पता भी जानने की कोशिश कर रहा था। इन सभी घटनाओं ने परिवार को भय और तनाव में डाल दिया है।
अल्बर्ट इक्का के बेटे ने कहा—“मैं आदिवासी हूं, एक साल से इंसाफ मांग रहा हूं”
पीड़ित परिवार के बेटे ने भी वीडियो के जरिए अपनी पीड़ा व्यक्त की। उसने कहा कि वह एक आदिवासी है और पिछले एक साल से न्याय की मांग कर रहा है, लेकिन उसके परिवार को डराया और धमकाया जा रहा है। बेटे ने प्रशासन और पुलिस से सुरक्षा और उचित कार्रवाई की मांग की है, ताकि उनका परिवार बिना डर के न्याय की लड़ाई जारी रख सके।
रिश्तेदार रोहन को भी धमकाने का आरोप, कैंटीन कर्मचारी पर शक की सुई
मामला और गंभीर तब हो गया जब पीड़ित पक्ष के रिश्तेदार रोहन के साथ भी धमकी की घटना हुई। आरोप के अनुसार, पार्सल वाले को रोककर तीन लोगों ने उससे रोहन का लोकेशन निकलवाने की कोशिश की यही नहीं, इन तीन में से एक व्यक्ति मित्तल हॉस्पिटल की कैंटीन में कार्यरत बताया जा रहा है। न्यू राजेंद्र नगर थाना पुलिस ने इस जानकारी पर कार्रवाई तो की, लेकिन सिर्फ धारा 151 के तहत, जिससे परिवार और भी ज्यादा नाराज है।

प्रशासन पर सवाल—जब कड़ियाँ हॉस्पिटल से जुड़ रहीं, तो कार्रवाई धीमी क्यों?
पूरा मामला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाता नजर आ रहा है। लगातार शिकायत, धमकी, और हॉस्पिटल के कर्मचारियों की कथित संलिप्तता के बावजूद कार्रवाई को लेकर ढिलाई साफ दिखाई दे रही है। पीड़ित परिवार और आमजन के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है? और जब पीड़ित पक्ष बार–बार पुलिस और प्रशासन से गुहार लगा रहा था, तो पहले इस मामले में ढिलाई क्यों बरती गई ?
CMHO का बयान—“कार्रवाई की अनुशंसा भेज दी है, अब फैसला राज्य सरकार का”
जब आज की जनधारा की टीम ने CMHO मिथिलेश चौधरी से बात की, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने तीन महीने की कार्रवाई की अनुशंसा राज्य सरकार को भेज दी है। उनके अनुसार, उनके अधिकार क्षेत्र में जितनी कार्रवाई हो सकती थी, उतनी वह कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आयुष्मान कार्ड से इलाज के बावजूद नकद पैसों की वसूली जैसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अब तक 10 अस्पतालों पर कार्रवाई की जा चुकी है, जिनमें से एक को एक साल के लिए निलंबित किया गया है।
मीडिया से लगातार बचती दिखीं सुमन मित्तल, सवालों पर चुप्पी बरकरार
मित्तल हॉस्पिटल की सुमन मित्तल से इस पूरे मामले में बार-बार बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने मीडिया से दूरी बनाए रखी। वह एक के बाद एक बहाने बनाते हुए कैमरे और सवालों से बचती दिखीं। उनकी यह चुप्पी इस मामले को और भी पेचीदा बना रही है और कई नए सवाल खड़े कर रही है।

पीड़ित परिवार की पुकार—“हमें सुरक्षा चाहिए, न्याय चाहिए”
लगातार धमकियों, और प्रशासनिक सुस्ती ने पीड़ित परिवार को गहरी चिंता में डाल दिया है। उनका कहना है कि जब अधिकांश कड़ियां मित्तल हॉस्पिटल की ओर जा रही हैं, तब कार्रवाई में इतनी देरी क्यों हो रही है? क्या प्रशासन को किसी अनहोनी का इंतजार है?
अब पीड़ित पक्ष इसी सवाल का जवाब चाहता है कि आने वाले दिनों में राज्य सरकार और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और उन्हें कब तक इंतजार करना पड़ेगा।