(Naxalite affected Narayanpur) विश्व प्रसिद्ध माता मावली मेला के लिए मिलती है कोकोड़ी जात्रा में अनुमति

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(Naxalite affected Narayanpur) कोकोडी के राजटेका राजेशवरी माता मंदिर में वर्षो पुरानी जात्रा रस्म प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी पारम्परिक रीती-रिवाजो के साथ अदा की गई

(Naxalite affected Narayanpur) नारायणपुर – नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के कोकोडी के राजटेका राजेशवरी माता मंदिर में वर्षो पुरानी जात्रा रस्म प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी पारम्परिक रीती-रिवाजो के साथ अदा की गई |

करगाल परगना के कोकोड़ी जात्रा में 45 गाँवों के देवी देवता शामिल होकर तीन दिनों तक ढोल नगाड़ा की धुन पर नाच-गाकर करगाल परगना की देवी राजटेका राजेशवरी माता की पूजा अर्चना कर माता को प्रसन्न करने की कोशिश करते है | कोकोड़ी जात्रा के बाद ही विश्व प्रसिद्ध मावली मेला नारायणपुर के लिए माता की अनुमति मिलती है |

(Naxalite affected Narayanpur) इस जात्रा में बड़ी सख्या में महिला पुरुष और बुजुर्ग ग्रामीण शामिल होकर पूजा अर्चना करते है | नारायणपुर जिले में फसल कटाई के बाद सुख समृधि के लिए वर्षो से चली आ रही करगाल परगना कोकोडी जात्रा पर्व मनाया जाता है | इस जात्रा पर्व के बाद ही यहाँ के तीज त्योहारों और मेलो की शुरुवात हो जाती है |

(Naxalite affected Narayanpur) विश्व प्रसिद्ध मावली मेला के पहले ग्राम कोकोडी में माँ राजटेका राजेशवरी के मंदिर में तीन दिनों तक ढोल नगाडो की धुन पर नाच गाकर माता की पूजा अर्चना कर जात्रा धूमधाम से मनाया जाता है | इस जात्रा में लगभग चालीस गाँवों के लोग पहले ही दिन से बड़ी संख्या में पहुचने लगते है और जात्रा में शामिल होकर माता से अपनी मन्नत मांगते है |

माता मावली मेला के पहले कोकोडी के राजटेका राजेशवरी माता मंदिर में वर्षो पुरानी जात्रा की रस्म प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी अदा की गई | 3 दिवसीय कोकोड़ी जात्रा पर्व में 45 गाँवों के देवी देवता प्रथम दिन पहुच जाते है और रात भर देवी=देवताओं की सेवा ढोल नगाडो को बजाकर रेला-रेली गाते हुए नाचकर की जाती है और अगले दिन माता की पूजा अर्चना पुरे रीति रिवाजो के साथ की जाती है |

पूरा दिन ढोल नगाडो की गूंज पुरे माहौल को भक्तिपूर्ण बना देती है | दूर दराज से आये महिला पुरुष नाच गाकर माता की पूजा अर्चना करते है और अंतिम दिवस को सभी देवी देवताओं की विदाई की जाती है |

जिले में फसल कटाई के बाद जात्रा पर्व सुख समृधि और शान्ति के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है । कोकोड़ी जात्रा पर्व वर्षो पुराना पर्व है जिसे यहाँ के लोग आज भी पुरे विधि-विधान से मनाते आ रहे | यहाँ लगभग 40 गाँवों के देवी-देवता जात्रा में शामिल होकर ढोल नगाडो की थाप पर नाचते गाते माता की पूजा अर्चना कर माता को प्रसन्न करते है |

(Naxalite affected Narayanpur) जात्रा पर्व के बहाने एक दुसरे से मिलने का वक्त भी ग्रामीणों को मिल जाता है और एक दुसरे की ख़ुशी गम मिलकर बाँट भी लेते है | घोर नक्सल प्रभवित नारायणपुर जिले के कोकोड़ी में वर्षो पुरानी परम्परा का निर्वहन आज भी ग्रामीण नक्सली दहशत को दर्किनार कर बड़ी धूमधाम से मना रहे है जो कि इस इलाके की लुप्त होती सभ्यता और पारम्परिक रीती-रिवाजो को कही ना कही बचाने में अहम कड़ी साबित होगी !

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