जनपद पंचायत में विवाद…अमजद जाफरी की वापसी के बाद भी नागेश का कब्ज़ा…शासन का आदेश दरकिनार

जाने पूरा मामला
गरियाबंद बीते दिनों जिले में प्रशासनिक कसावट के नाम पर कई अफसरों की जिम्मेदारियां बदली गईं ताकि कामकाज बेहतर और सुचारू ढंग से चल सके। लेकिन सूत्रों के अनुसार, जब मामला जनपद पंचायत गरियाबंद का आता है तो प्रशासन का रुख कुछ अलग ही नजर आता है ।

गरियाबंद पंचायत विवाद राज्य शासन का आदेश जाफरी को मगर नियम विरुद्ध बैठे नागेश

राज्य शासन के आदेश पर 26 जून 2024 को अमजद जाफरी को प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) जनपद पंचायत गरियाबंद नियुक्त किया गया था। मगर स्वास्थ्यगत कारणों से वे 13 मई से दो महीने की छुट्टी पर चले गए। इस दौरान 9 मई को के.एस. नागेश को जनपद सीईओ का प्रभार सौंपा गया। अब सवाल यह है कि जाफरी की वापसी के बाद भी प्रभार नागेश के पास क्यों बरकरार है?


आदेश तो साफ था, फिर भी संशय क्यों?
सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ शासन ने 11 अप्रैल 2025 को आदेश जारी किया था जिसमें साफ लिखा था कि जनपद पंचायत के सीईओ द्वितीय श्रेणी अधिकारी होंगे और उनका चयन लोक सेवा आयोग के माध्यम से होगा। चूंकि यह पद अनुसूचित क्षेत्र से जुड़ा है, इसलिए योजनाओं के क्रियान्वयन में इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। फिर भी गरियाबंद जिला कार्यालय ने नागेश को यह कहते हुए प्रभार दिया कि करारोपण अधिकारी को सीईओ बनाया जा सकता है। मजे की बात यह है कि नागेश की मूल पदस्थापना मैनपुर में है, लेकिन यहां पंचायती राज अधिनियम का हवाला देकर उन्हें गरियाबंद जनपद के सीईओ पद विराजमान किया जा चुका है ।

सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव, छत्तीसगढ़ शासन ने 11 अप्रैल 2025 को आदेश जारी किया था जिसमें साफ लिखा था कि जनपद पंचायत के सीईओ द्वितीय श्रेणी अधिकारी होंगे और उनका चयन लोक सेवा आयोग के माध्यम से होगा। चूंकि यह पद अनुसूचित क्षेत्र से जुड़ा है, इसलिए योजनाओं के क्रियान्वयन में इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। फिर भी गरियाबंद जिला कार्यालय ने नागेश को यह कहते हुए प्रभार दिया कि करारोपण अधिकारी को सीईओ बनाया जा सकता है। मजे की बात यह है कि नागेश की मूल पदस्थापना मैनपुर में है, लेकिन यहां पंचायती राज अधिनियम का हवाला देकर उन्हें गरियाबंद जनपद के सीईओ पद विराजमान किया जा चुका है ।


छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम, 1993 की धारा 82 के अनुसार सरकार को करों के संग्रह और प्रबंधन के लिए अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार है। यानी राज्य कार्यालय चाहे तो करारोपण अधिकारी को सीईओ बना सकती है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि प्रशासन ने इसी प्रावधान की आड़ लेकर नागेश को दोहरी जिम्मेदारी सौंप दी। जनता इस पर तंज कस रही है । धारा 82 को तो अब धारा नागेश स्पेशल कहा जाना चाहिए। क्योंकि यहां कानून का मतलब वही है जो कुर्सी पर बैठे साहब चाहें।

निवास स्थान और मूल पदस्थापना पर भी सवाल

सूत्रों के अनुसार, नागेश का निवास स्थान जिला मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर ग्राम साढ़ौली है और वे लगभग पाँच वर्षों से गरियाबंद जिला पंचायत में पदस्थ हैं। वर्तमान में वे जिला पंचायत के आदेश के तहत गरियाबंद जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का कार्य देख रहे हैं । और उनका मूल पद सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी है जिसकी पोस्टिंग मैनपुर में है। नियमों के जानकार बताते हैं कि राज्य शासन के आदेश में साफ उल्लेख है कि किसी अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार देने या प्रभाव बदलने के लिए राज्य कार्यालय से अनुमोदन लेना अनिवार्य है। यदि जिला कार्यालय स्तर पर ही इस तरह के बदलाव किए जाते हैं तो यह सीधे-सीधे न्यायालयीन मामला बन सकता है और इसकी जिम्मेदारी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों पर आएगी।

शिकायत और जांच पत्र पर सन्नाटा
सूत्रों के अनुसार, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष और वर्तमान सदस्य संजय नेताम लगातार इस पूरे मामले को लेकर मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन से शिकायत कर रहे हैं। बताया जाता है कि उनके दबाव के बाद मुख्य सचिव कार्यालय से जिला पंचायत को जांच का पत्र भी भेजा गया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस पत्र की जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई। जनता तंज कस रही है । पत्र आया जरूर है, मगर लगता है फाइलों में कहीं दबाकर रख दिया गया है, ताकि समर्थन पत्र की चमक फीकी न पड़े।


जनता का सवाल और प्रशासन की चुप्पी
गडरिया बन जिला कार्यालय में जहाँ कसावट के नाम पर कई अफसर बदल दिए गए, वहीं जनपद पंचायत में कसावट की जगह नागेश के लिए ढील नजर आ रही है। अब जनता पूछ रही है ।क्या प्रशासन नियमों से चलता है या समर्थन पत्र और सुविधा से? फिलहाल गरियाबंद की गलियों में यही चर्चा है । यहां कुर्सी की गद्दी पर बैठने के लिए योग्यता नहीं, बल्कि व्याख्या चाहिए… और नागेश साहब इस कला में माहिर हैं।

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *