राष्ट्रीय मुक्तिबोध नाट्य समारोह…अंतिम दिन होगा ‘गांधी गाथा’ का संगीतमय मंचन

महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने सत्य और अहिंसा के बल पर पूरे देश को एक सूत्र में पिरोया। अत्याचारी ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने वाली उनकी वाणी देशवासियों के लिए स्वतंत्रता का मंत्र बन गई। गांधीजी न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि उत्कृष्ट दूरदर्शी और विचारक भी थे, जो मानव जीवन को आत्मनिर्भर, स्वतंत्र एवं आनंदमय बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। उनके विचार आज भी वर्तमान भारत की नींव में जीवंत हैं।

‘गांधी गाथा’ एक संगीतमय प्रस्तुति है, जिसमें बापू के बचपन से लेकर महानिर्वाण तक की पूरी जीवन यात्रा को संजोया गया है। यह नाटक एक कहानी के साथ-साथ संगीतमय रूपक भी है, जिसमें कलाकार गांधीजी की यात्रा को गीत-संगीत के माध्यम से जीवंत करते हैं और विभिन्न पात्रों की भूमिकाएं निभाते हैं। यह प्रस्तुति गांधीजी के महान बलिदान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

विहान रंगसंगीत की विशेषता

“बोलने का विस्तार है गाना।” विहान ड्रामा वर्क्स के अनुसार, नाटक का संगीत मात्र गीत गायन नहीं, बल्कि कथानक में एक चरित्र की तरह शामिल होता है। ध्वनियां भाव, प्रतिक्रिया या परिवेश बनकर उभरती हैं। गीत संवाद की भूमिका निभाते हैं और संवाद अचानक गायन में बदल जाते हैं। संगीत कथा को गति प्रदान करता है, रस उत्पन्न करता है तथा दृश्यों के बीच सेतु का कार्य करता है। विहान की यह प्रस्तुति विभिन्न स्थानों की ध्वनियों, प्रकृति और जीवन के विविध रंगों को समेटे हुए है।

राष्ट्रीय मुक्तिबोध नाट्य समारोह के माध्यम से दर्शकों को गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता से रूबरू होने का अवसर मिलेगा। नाट्य प्रेमियों से अपील है कि वे इस ऐतिहासिक प्रस्तुति का हिस्सा बनें।

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