नान घोटाले पर eow में और FIR दर्ज, fir बढ़ सकती हैं मुश्किलें!

हिमांशु /


छत्तीसगढ़ राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण थाने में कांग्रेस सरकार में महाधिवक्ता रहे सतीश चंद्र वर्मा, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और पूर्व आईएएस आलोक शुक्ला क/ खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है। यह एफ़आइआर उन व्हाट्सएप चैटों का आधार बताती है जो राज्य में कई बार कई माध्यमों से वायरल हुए थे। व्हाट्सएप चैट के माध्यम से यह आरोप भी लगाए गए कि, हाईकोर्ट में दूषित तरीके से अग्रिम ज़मानत हासिल की गई।
एफ़आइआर में उल्लेख है

एसीबी की एफ़आइआर में उल्लेख है कि प्रकरण में व्हाट्सएप चैट एवं उनके साथ संलग्न दस्तावेज़ों के अवलोकन तथा गोपनीय सत्यापन एवं सूचना संकलन पर प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि, वर्ष 2019 से 2020 तक लगातार डॉक्टर आलोक शुक्ला एवं अनिल टुटेजा द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार में लोक सेवक के पद पर पदस्थ रहते हुए अपने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को असम्यक लाभ इस आशय से दिया गया कि, वे लोक कर्तव्य को अनुचित रुप से करने हेतु प्रेरित किया जा सके, ताकि वह लोक कर्तव्य का कार्य पालन अनुचित रुप से कराया जाए, के साथ मिलकर अपराधिक षड्यंत्र करते हुए राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ उच्चाधिकारियों के प्रक्रियात्मक एवं विभागीय कार्यों से संबंधित दस्तावेज एवं जानकारी में बदलाव कराते हुए अपने विरुद्ध दर्ज नान के मामले में (अपराध क्रमांक 09/2015) के मामले में अपने पक्ष में उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किए जाने वाले जवाब दावा बनवाए गए जिससे उन्हें अग्रिम जमानत का लाभ मिल सके, एवं प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा पंजीबद्ध

ECIR/RPSZO/01/2019 में भी अग्रिम ज़मानत का लाभ प्राप्त हो सके और साथ ही साथ अपराध क्रमांक 09/2015 के गवाहान को अपने कथनों को बदलने का दबाव भी उनके द्वारा बनवाया गया तथा राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में पदस्थ उच्चाधिकारियों से मिलकर अपराध क्रमांक 09/2015 से संबंधित दस्तावेज, व्हाट्सएप चैट के माध्यम से प्राप्त करते हुए अपराध क्रमांक 09/2015 के अभियोजन साक्ष्य को प्रभावित किया गया।
ये हैं धाराएँ

एसीबी की ओर से दर्ज एफ़आइआर में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7क, 8,13 (2) और आईपीसी की धारा 182,211,193,195- ए,166 ए और 120 बी धाराएँ प्रभावी की गई हैं।