आस्था, प्रकृति और जैवविविधता संरक्षण का पर्व वट सावित्री व्रत
दिलीप गुप्ता
सरायपाली। आज पूरे देश में वट सावित्री त्योहार मनाया जा रहा है । नगर में भी विभिन्न विभिन्न स्थानों पर विभिन्न समाज से जुड़ी महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर उपवास रह रही हैं।
आज सुबह से ही थाना परिसर में विद्याल वट वृक्ष की नगर की अनेक महिलाएं जिनमे अग्रवाल समाज, गुप्ता समाज के साथ ही विभिन्न समाज से जुड़ी महिलाओं ने विधिवत पूजा अर्चना की।
ज्ञातव्य हो कि हमारे पुरखे प्रकृति पूजक थे, उन्होंने जैवविविधता के महत्व को समझा एवं अपने धार्मिक कार्यों का प्रकृति को केन्द्र बिंदू बनाया, क्योंकि उन्हें ज्ञात था कि प्रकृति से सह अस्तित्व के बिना मनुष्य का जीवन कष्टकारी ही होगा। भारतीय संस्कृति में त्योहार केवल धार्मिक आस्था से जुड़ी परंपराएं नहीं होते, बल्कि वे प्रकृति से मानव के संबंध को भी सुदृढ़ करते हैं। वट सावित्री व्रत इसी प्रकार का एक पर्व है, जिसे विशेष रूप से विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना हेतु करती हैं। यह व्रत भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं, जो भारतीय परंपरा में अत्यंत पूज्य और पवित्र माना गया है।
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