Market- ओल्ड प्लास्टिक बैग धड़ाम…!

डिमांड नहीं जूट बैग में भी

 

राजकुमार मल
भाटापारा- 2 रुपए प्रति नग। आधे में जा सकती है ओल्ड प्लास्टिक बैग में बोली जा रही यह कीमत क्योंकि डिमांड तेजी से नीचे जा रही है। सेहत उस पुराने जूट बैग की भी अच्छी नहीं है, जिसमें 5 रुपए की टूट आ चुकी है।

रबी फसल की आवक सामान्य है लेकिन गुणवत्ता असामान्य रूप से सही नहीं है। खासकर नमी की मात्रा मानक से ज्यादा आ रही है। इसलिए खाद्य प्रसंस्करण ईकाइयां अंकुरण की आशंका को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक बैग में उपज की खरीदी में अतिरिक्त सतर्कता बरत रहीं हैं। यही सतर्कता पुराने बारदाने बेचने वालों पर भारी पड़ रही है, टूटती कीमत और तेजी से घटती मांग के रूप में।

आशंका और टूट की

बेहतर रबी फसल की संभावना को देखते हुए ओल्ड जूट और प्लास्टिक बैग मार्केट ने विशेष तैयारी की थी लेकिन तैयारी काम नहीं आई। लिहाजा 7 से 9 रुपए पर बिकने वाला प्लास्टिक बैग होलसेल में एक से डेढ़ रुपए और रिटेल में दो रुपए प्रति नग पर आ चुका है। टूट की धारणा को इसलिए भी बल मिल रहा है क्योंकि इस भाव पर भी मांग नहीं है।

जूट बैग में 5 रुपए की टूट
गुजऱे खरीफ में ओल्ड जूट बैग में डिमांड अच्छी निकली। रबी की तैयारी जिस स्तर पर किसानों ने की उसे देखते हुए बारदाना बाजार ने भी बेहतर की आस में भंडारण किया था लेकिन मांग इसमें भी अपेक्षित मात्रा में नहीं निकल पाई। इसलिए ओल्ड जूट बैग 5 रुपए की टूट के बाद, अब 14 रुपए जैसी निम्न कीमत पर शांत है।

इसलिए टूट रही कीमत

परिपक्वता अवधि के दौरान सिंचाई पानी नहीं मिला रबी फसल को। इसलिए नहर और सिंचाई पंपों के पानी से फसल तैयार करनी पड़ी। कटने की अवस्था में आ चुकी थी फसल इसलिए आनन- फानन में हार्वेस्टर से काम पूरा किया गया। यह कोशिश अब खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों पर भारी इसलिए पड़ रही है क्योंकि नमी की मात्रा मानक से ज्यादा आ रही है। भंडारण और उत्पादन में यह स्थिति गुणवत्ता खराब कर सकती है। इसलिए इकाइयां विविध उपायों के बीच खरीदी के लिए विवश हैं। इसका पहला असर ओल्ड जूट बैग मार्केट पर टूट के रूप में देखा जा रहा है।