रायपुर | बहुचर्चित महादेव ऑनलाइन सट्टा एप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने सभी 12 आरोपियों को जमानत दे दी है। ये सभी आरोपी करीब ढाई साल से रायपुर जेल में बंद थे। सुप्रीम कोर्ट से आदेश जारी होने के बाद जेल प्रशासन द्वारा जल्द ही सभी को रिहा किया जाएगा।
किन आरोपियों को मिली जमानत
जिन आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है, उनमें रितेश यादव, भारत ज्योति, विश्वजीत राय, राहुल वकटे, नीतीश दीवान, भीम सिंह यादव, अर्जुन यादव, चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर समेत कुल 12 आरोपी शामिल हैं।
क्या है महादेव सट्टा एप मामला
महादेव ऑनलाइन बुक (Mahadev Book App) की शुरुआत सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और अतुल अग्रवाल ने साल 2016 में की थी। इस ऐप के जरिए क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन, पोकर, तीन पत्ती, वर्चुअल गेम्स और यहां तक कि चुनावी भविष्यवाणियों पर भी ऑनलाइन सट्टेबाजी कराई जाती थी।
यह पूरा नेटवर्क दुबई से संचालित होता था और जल्द ही यह अवैध जुए और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कुख्यात बन गया।
कैसे बढ़ा महादेव ऐप का कारोबार
शुरुआती कुछ सालों में ऐप के 12 लाख यूजर्स थे, लेकिन 2020 में इसके फाउंडर्स ने हैदराबाद स्थित “रेड्डी अन्ना” सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म को 1,000 करोड़ रुपये में खरीदा, जिसके बाद ऐप का यूजर बेस 50 लाख से अधिक हो गया।
एप संचालकों ने व्हाट्सऐप, टेलीग्राम और सोशल मीडिया चैनलों के जरिए नेटवर्क का विस्तार किया और कुछ ही वर्षों में यह हजारों करोड़ रुपये के कारोबार में तब्दील हो गया।
सिंडिकेट के रूप में चलता था नेटवर्क
महादेव ऐप एक संगठित सिंडिकेट के रूप में काम करता था, जिसमें देशभर में पैनल और फ्रेंचाइजी सिस्टम के जरिए सट्टेबाजी होती थी। मुनाफा 70:30 के अनुपात में बांटा जाता था। यूजर्स को मोबाइल नंबर के जरिए संपर्क कर आईडी दी जाती थी और दांव लगाने के लिए ऑनलाइन रकम जमा करनी होती थी। जीतने की स्थिति में उन्हें नकद भुगतान की अलग व्यवस्था थी।
करोड़ों का मुनाफा, भारी हेराफेरी
जांच एजेंसियों के अनुसार, यह ऐप प्रतिदिन लगभग 200 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाता था। ऐप का इंटरफेस और त्वरित भुगतान का वादा यूजर्स को आकर्षित करता था, लेकिन बाद में परिणामों में हेरफेर कर खिलाड़ियों को नुकसान पहुंचाया जाता था, ताकि संचालकों का मुनाफा सुनिश्चित रहे।
कब और कैसे कसा गया शिकंजा
महादेव ऐप पर 2022 में ईडी और आयकर विभाग की नजर पड़ी। प्रवर्तन निदेशालय ने ऐप से जुड़ी कंपनियों और ठिकानों पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में बड़ी कार्रवाई की। ईडी की जांच में करीब ₹6,000 करोड़ के अवैध लेनदेन का खुलासा हुआ।
छापेमारी के दौरान हवाला नेटवर्क, शेल कंपनियों और राजनीतिक संरक्षण से जुड़े कई सबूत भी सामने आए।
अब क्या आगे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सभी आरोपियों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वहीं, ईडी की ओर से इस मामले में मुख्य आरोपियों सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ जांच अब भी जारी है।