:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- नगर में सरकारी व निजी क्षेत्रो को मिलाकर 16 बैंक हैं पर आश्चर्य की बात यह है कि सभी बैंक किराये के मकानों में संचालित हो रहे है एक भी बैंकों ने अपना स्वयं का भवन नही बनाया है । अधिकांश बैंक मुख्य मार्ग के किनारे ही स्थापित हैं । कुछ बैंकों में सुरक्षा गार्ड व जनरेटर की भी कमी होने की भी जानकारी मिली है ।
नगर में नगरपालिका द्वारा बेहतर , सुरक्षित व सुगम यातायात को ध्यान में रखते हुवे गौरवपथ की योजना लाकर गौरवपथ का निर्माण किया गया किंतु दोषपूर्ण निर्माण किये जाने से इसका लाभ नगरवासियो को नही मिल रहा है । गौरवपथ निर्माण के बाद भी यातायात व्यवस्था में कोई सुधार नही है । नगर के कुछ बैंक सड़कों के किनारे स्थित होने व बैंकों का स्वयं का कोई पार्किंग व्यवस्था नही होने से सड़क तक ग्राहकों की गाड़ियों के खड़े होने से यातायात बाधित व असुरक्षित हो रहा है ।

इस सड़क तक भीड़ को नियंत्रित किये जाने हेतु स्वयं बैंक , नगरपालिका , पुलिस व स्थानीय प्रशासन गंभीर नही है । जिसकी वजह से गौरवपथ की आधी से अधिक सड़को तक दोपहिया वाहनों , कारो व ग्राहकों की भीड़ से जाम हो जाती है । यह स्थिति जयस्तम्भ चौक स्थित स्टेट बैंक , ओड़ियापारा चौक के पास एचडीएफसी बैंक व बस स्टैंड के सामने बैंक आफ बड़ोदा बैंकों में सर्वाधिक भीड़ होने से सड़के जाम होती रहती है । इसके लिए सिर्फ बैंक ही नही नगर में अनेक बड़ी प्रतिष्ठानों में भी पार्किंग के अभाव में सड़कों को जाम करने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका है । किंतु सुस्त प्रशासन व चुस्त व्यवसायियों के चलते प्रतिदिन हो रहे अव्यवस्थित व असुरक्षित ट्रैफिक जाम के यह लोग भी जिम्मेदार हैं ।
नगर अब धीरे धीरे व्यवसायिक केंद्र की शक्ल लेता जा रहा है । छोटी दुकानो के स्थान पर माल जैसी सुविधाएं व भवनों का निर्माण भी हो रहा है । अनेक बड़े भवनों में व्यवसाय भी संचालित हैं । बड़े व विशाल भवनों का निर्माण व्यवसायिक उद्देश्य के लिए किया तो जा रहा है किंतु पार्किंग व्यवस्था के बगैर इसे अंजाम दिया जा रहा है । व्यवसायिक काम्प्लेक्स भवन के निर्माण की अनुमति नगरपालिका द्वारा दी जाती है यहां यह देखने वाली बात है कि क्या नगरपालिका द्वारा इन भवनों के निर्माण की अनुमति दिए जाने के पूर्व पार्किंग स्थल , रेंन वाटर हार्वेस्टिंग व सुरक्षा यंत्र स्थापना को प्राथमिकता देते हुवे इसके निर्माण की आवश्यकता के आधार पर ही अनुमति दी जाती है ।

इस अनुबंध का पालन नही किये जाने की स्थिति में नगरपालिका को अनुमति रद्द किए जाने का भी अधिकार देती है । अब यह भी जांच का विषय है कि नगर में बन चुके , निर्माणाधीन काम्प्लेक्स भवनों व अनुमति के लिए आये भवन निर्माणकर्ताओ को नगरपालिका द्वारा उपरोक्त आवश्यक अनुबंध किया गया है या नही ? यदि नही तो नगरपालिका की शिकायत की जानी चाहिए कि उनके द्वारा शासन के नियमो के विरुद्ध अनुमति प्रदान की जा रही है । यदि उपरोक्त शर्तो के पालन के साथ यदि अनुमति दी गई है तो क्या भवन मालिको द्वारा इसका पालन किया जा रहा है या नही ?इसकी जांच भी नगरपालिका को करनी आवश्यक है । इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार अधिकांश भवन मालिको द्वारा पार्किंग स्थल का निर्माण नही किया गया है और जिन एक दो लोगो ने बनाया भी है तो उसका उपयोग पार्किंग के लिए नही बल्कि दुकान व गोदामो के रूप में किया जा रहा है । इसी वजह से इन बड़े दुकानो के सामने गाड़ियों की भीड़ सड़क तक आ जाती है जिससे यातायात बुरी तरह प्रभावित होता है ।
आज नगर के मुख्य मार्ग में स्थित अधिकतर बैंकों में पार्किंग की जगह ही नही है। इसके कारण यहां पहुंचने वाले ग्राहकों की वाहनें सड़क के किनारे से पार्किंग लाईन के बाहर तक खड़ी हो रही हैं। इसके कारण मुख्यमार्ग की चौड़ाई भी कम होने से दुर्घटनाओ की संभावना बढ़ रही है ।

नगर 3 बैंकों स्टेट बैंक आफ इंडिया ठीक जयस्तम्भ चौक के किनारे स्थित है । अधिकांश शासकीय , शासकीय कर्मियों , व्यापारियों व अन्यो के खाते इस बैंक में सर्वाधिक होने से सबसे अधिक भीड़ इसी बैंक में होती है । जयस्तम्भ से लगे होने व यहां डिवाइडर के निर्माण नही होने से खतरा हमेशा बना रहता है । यहां भी बैंक का कोई निजी पार्किंग स्थल नही है । दूसरा ओडिया पारा चौक पर स्थित एचडीएफसी बैंक व बस स्टैंड के ठीक सामने बैंक आफ बड़ोदा जहां सर्वाधिक भीड़ सड़क तक आ जाती है दिनभर यहां सड़क जाम की स्थिति बनी रहती है व इन बैंकों के आसपास लगातार यातायात प्रभावित होता रहता है।
वर्तमान में नगर में बैंक आफ बड़ोदा , आईसीआईसीआई , पीएनबी , एचडीएफसी , ऐक्सिस बैंक , सेंट्रल बैंक , बंधन बैंक , स्टेट बैंक , कोटक महिंद्रा बैंक , यूनियन बैंक , आईडीबीआई बैंक , बैंक आफ इंडिया , केनरा बैंक , आईओबी , छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक व जिला सहकारी केंद्रीय बैंक संचालित हैं । इन बैंकों के बाहर रोजाना पार्किंग को लेकर ग्राहकों को जद्दोजहद करनी पड़ती है। वहीं तो कई बार गाड़ियों को निकालने के नाम से वाद विवाद की भी स्थिति निर्मित होती रहती है । वाहनों को खड़े करने कोई आसपास के दुकानदार नही देते जिससे सड़क किनारे वाहनों की लंबी लाइन लग जाती है ।
इस संबंध में अनेक ग्राहकों का कहना है कि बैंक में काम से ज्यादा समय तो वाहन खड़ी करने व निकलने की जगह तलाशने में लग जाता है। हर बार बैंक आने पर यही समस्या होती है। महिलाएं और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशान होते हैं। किसी भी बैंक में बुनियादी सुविधाएं भी नही हैं जिससे सर्वाधिक परेशानी महिलाओं को होती है ।
इस सम्बंध में टीआई शशांक पौराणिक ने बताया कि यह समस्या तो है ।बैंक के आसपास रोज गाड़ियां गलत तरीके से खड़ी की जाती हैं। कई बार समझाइश के बाद भी स्थिति नहीं सुधरती। यदि बैंक प्रबंधन स्वयं पार्किंग स्पेस की व्यवस्था करे तो समस्या काफी हद तक हल हो सकती है।
इस समस्याओ के सम्बंध में अनेक व्यापारियों का कहना है कि बैंक आने-जाने वालों की गाड़ियां दुकानों के सामने लग जाने से व्यापार प्रभावित होता है। दुकानदार विजय अग्रवाल ने कहा कि नगर पालिका और बैंक प्रबंधन को मिलकर वैकल्पिक पार्किंग स्थल तय करना चाहिए। कई बार पार्किंग के लिए प्लानिंग होने के बावजूद इसे लागू नही किया जा सका है।
मुख्य नगरपालिका अधिकारी दिनेश यादव से इस संबंध में जानकारी लेनी चाही गई तो उनसे संपर्क नही हो सका ।