कोरिया/सोनहत। पंचायत सचिवों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने एक नया मोड़ ले लिया है। सचिवों ने 21 मार्च को पंचायत संचालनालय द्वारा जारी किए गए आदेश की प्रति जलाकर अपना विरोध दर्ज कराया है, जिसमें उन्हें 24 घंटे के भीतर अपने कर्तव्यों पर लौटने का निर्देश दिया गया था। यह हड़ताल 17 मार्च से जारी है और इसके पीछे सचिवों की एक प्रमुख मांग है – शासकीयकरण।
हड़ताल का कारण
पंचायत सचिवों का कहना है कि उनकी मांग को भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के शासन में मोदी गारंटी के तहत शामिल किया गया था, जो पार्टी के घोषणा पत्र में 7वें नंबर पर थी। सचिवों का आरोप है कि 400 दिन बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उनका मुख्य उद्देश्य स्थायी कर्मचारी का दर्जा प्राप्त करना है, जिससे उनकी नौकरी की सुरक्षा और वेतन में सुधार हो सके।
सचिवों की एकजुटता
हड़ताल के दौरान, सचिवों ने अपनी एकजुटता दिखाई है और विभिन्न विकासखंडों से सचिवों ने इस आंदोलन में भाग लिया है। हड़ताल में शामिल प्रमुख सचिवों में विजय शंकर जायसवाल, प्रवीण कुमार पांडे, रामलाल राजवाड़े, उजागिरर प्रसाद गुप्ता, बृजलाल राजवाड़े, शिवनारायण साहू, श्यामलाल सूर्यवंशी, लक्ष्मी नारायण कुर्रे, लालमन, पारस लाल राजवाड़े, कृष्ण प्रकाश तिवारी, और सीमा त्रिपाठी शामिल हैं। सभी सचिव विकासखंड सोनहत के उपस्थित रहे हैं।
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पंचायत संचालनालय ने सचिवों को कार्य पर लौटने का आदेश दिया है, लेकिन सचिवों ने इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपने कर्तव्यों पर लौटने के लिए तैयार नहीं हैं। इस स्थिति ने सरकार के लिए एक चुनौती उत्पन्न कर दी है, क्योंकि पंचायत सचिवों की हड़ताल से ग्रामीण विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिवों की अनिश्चितकालीन हड़ताल ने एक गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। सचिवों की एकजुटता और उनकी मांगों के प्रति सरकार की अनदेखी ने इस आंदोलन को और भी मजबूत बना दिया है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे को कैसे सुलझाती है और क्या सचिवों की मांगों को मान्यता दी जाएगी या नहीं। इस बीच, सचिवों का आंदोलन जारी रहेगा, और वे अपनी आवाज को उठाते रहेंगे।