जीवन ठाकुर मौत मामला: बेटा नीरज और पूर्व सरपंच शोप सिंह जेल से रिहा, जेल में प्रताड़ना और अभद्रता के गंभीर आरोप

:अनूप वर्मा:

चारामा: आदिवासी समाज और कांग्रेस नेता स्व. जीवन ठाकुर की संदिग्ध मौत के मामले में नए खुलासा सामने आया है,जीवन ठाकुर के बड़े पुत्र नीरज ठाकुर और ग्राम मायना के पूर्व सरपंच शोप सिंह नेताम जिला जेल से रिहा हुए। रिहाई के बाद बड़ी संख्या में समाजजन और परिवार के लोग जेल पहुंचकर उनसे मिले। दोनों ने बाहर आते ही मीडिया के सामने जेल के भीतर हुई प्रताड़ना, अत्याचार, और अमानवीय व्यवहार से जुड़े कई गंभीर आरोप लगाए।

नीरज ठाकुर ने कहा कि उनके पिता जीवन ठाकुर और मामा को 12 अक्टूबर को एक मामले में गिरफ्तार किया गया था, और गिरफ्तारी के बाद से ही जेल प्रशासन द्वारा लगातार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जा रही थी। नीरज के मुताबिक, उनके पिता की तबीयत जेल में बार-बार बिगड़ रही थी, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज देने के नाम पर कई बार रकम की मांग की। उन्होंने बताया कि जब भी वे डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाते थे, तो 40,000 तक की रिश्वत मांगी जाती थी। दवाइयां तक ठीक समय पर नहीं दी जाती थीं, न ही सही जांच की जाती थी। बार-बार इलाज मांगने पर डॉक्टर उनके पिता को गाली-गलौज करते थे और कह देते थे कि पहले पैसे दो, फिर इलाज होगा।

नीरज ने यह भी बताया कि जेल प्रशासन ने उन्हें और उनके पिता को अलग-अलग शेल में रखा ताकि वे आपस में मिल न सकें। उनके अनुसार, डॉक्टरों और जेलर द्वारा उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। वे बताते हैं कि जब भी वे पिता के लिए दवाइयां लेकर जाते थे, तो उन्हें बाहर खड़ा कर दिया जाता था और सबसे ज्यादा गाली-गलौज की जाती थी। नीरज का आरोप है कि कुछ कैदियों का इस्तेमाल डॉक्टर अपना निजी काम करवाने के लिए करते थे, जिन लोगों को इलाज की बुनियादी जानकारी तक नहीं थी उनसे इंजेक्शन लगवाया जाता था। खाना अत्यंत बदतर होता था दाल-सब्ज़ी पानी जैसी और कई दिनों तक सिर्फ खिचड़ी दी जाती थी। पिता की तबीयत इतनी बिगड़ चुकी थी कि उनके पैरों और चेहरे में सूजन आने लगी थी, पेट में दर्द रहता था और वे ठीक से टॉयलेट तक नहीं बैठ पाते थे। नीरज कहते हैं कि उन्हें यह देखकर बहुत कष्ट होता था, लेकिन जेल प्रशासन ने बार-बार उनकी शिकायत को दबा दिया।

नीरज ठाकुर यह कहते हुए भावुक हो गए कि उनके पिता को रायपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किए जाने की जानकारी उन्हें नहीं दी गई। उन्हें बाद में पता चला कि 4 दिसंबर को जीवन ठाकुर की मौत हो गई थी, लेकिन यह खबर भी परिवार को घंटों बाद दी गई। वह कहते हैं कि मैं अपने पिता से अंतिम बार भी नहीं मिल पाया।

वही मृतक जीवन ठाकुर के मामा और ग्राम मायना के पूर्व सरपंच शोप सिंह नेताम ने भी जेल के भीतर हुए अत्याचार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि जीवन ठाकुर की तबीयत बिगड़ने पर जब भी डॉक्टर इलाज करने आते थे, उन्हें और नीरज को अंदर नहीं जाने दिया जाता था। डॉक्टरों के व्यवहार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इलाज के नाम पर पैसे की मांग की जाती थी और किसी भी बात पर आपत्ति जताने पर सज़ा के रूप में सिर्फ खिचड़ी दी जाती थी। उन्होंने बताया कि जेल में कैदियों को चप्पल और बेल्ट से मारने की धमकी देकर डराया जाता था। शोप सिंह ने कहा कि तीनों को अलग-अलग शेल में रखा गया और जानबूझकर मिलने नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि एक इंजेक्शन दिए जाने के बाद जीवन ठाकुर की हालत अचानक बहुत ज्यादा बिगड़ गई थी।

इन सारी बातों को बताते हुए शोप सिंह कई बार भावुक हो उठे और कहा कि जीवन ठाकुर के साथ जो हुआ उसकी पूरी ज़िम्मेदारी जेलर और डॉक्टर की है। उन्होंने मांग की कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि किसी और गरीब आदिवासी परिवार के साथ ऐसी त्रासदी न हो।

जीवन ठाकुर की मौत के बाद पूरे बस्तर और आदिवासी समाज में आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। समाज के लोगों ने जिलाधिकारी को न्यायिक जांच की मांग का ज्ञापन सौंपा, उसके बाद चारामा थाना के सामने कई घंटों तक चक्काजाम किया गया। फिर एक दिवसीय बस्तर बंद का ऐलान कर पूरे क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन किए गए। इस दौरान कांग्रेस के कई बड़े नेता जीवन ठाकुर के परिवार से मिलने पहुंचे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी परिवार से मिले और सरकार पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। वहीं दीपक बैज सहित कई नेताओं ने भी परिवार से मुलाकात कर न्याय की मांग उठाई। कांग्रेस पार्टी ने इस मामले की जांच के लिए एक जांच टीम गठित की है, जो लगातार परिवार और समाज के लोगों से मुलाकात कर जानकारी जुटा रही है।

अब पूरे क्षेत्र में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर इस मौत का जिम्मेदार कौन है? क्या जेल प्रशासन की लापरवाही, डॉक्टरों की कथित रिश्वतखोरी और बदसलूकी, तथा अमानवीय परिस्थितियाँ जीवन ठाकुर की मौत का कारण बनीं? समाज अब न्यायिक जांच की मांग पर अड़ा हुआ है।अब देखने वाली बात यह होगी कि जीवन ठाकुर के परिवार को कब न्याय मिल पाता है।

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