अब मिल संचालक के मुंशी ने लगाया धोखाधड़ी का आरोप
पत्थलगांव(दिपेश रोहिला) । बीते दिनों पत्थलगांव और लैलूंगा के व्यवसायियों के बीच हुए विवाद ने अब नया मोड़ लिया है। यहां एक पक्ष ने पहले ही अपहरण और मारपीट का मामला दर्ज कराया था, तो अब वही मामला पलट गया है। राइस मिल के संचालक परशुराम अग्रवाल के मुंशी ने झगरपुर, लैलूंगा के मुकेश अग्रवाल, यश अग्रवाल व अन्य के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। इससे पूर्व झगरपुर लैलूंगा वालों ने कमला राइस मिल संचालक परशु अग्रवाल, आयुष अग्रवाल और उनके भतीजे श्रीराम कुलर वाला के खिलाफ धारा 140(3), 296, 115(2), 351(3) के तहत अपराध दर्ज कराया था।
रिपोर्ट के मुताबिक मुंशी ने थाने में बताया कि जुलाई 2024 से 11 अप्रैल 2025 तक मुकेश अग्रवाल और उसका बेटा यश अग्रवाल बार-बार कमला राइस मिल में चावल बेचने आते थे। मगर कांटा (तौल) के वक्त चुपके से पीकप के पीछे मजदूरों को बैठाकर वजन बढ़ाते थे — और इस तरीके से करीब 5 लाख रुपये का नुकसान राइस मिल को पहुंचाया गया। 11 अप्रैल को भी ऐसा ही कुछ हुआ। दो पीकपों में 5270 किलो चावल को तौल कर 1,52,830 रुपये नगद दिए गए, लेकिन बाद में पुनः कांटा करने पर प्रत्येक वाहन में 400-400 किलो वजन कम पाया गया। पूछताछ में मुकेश ने माना कि “कांटे के वक्त कुछ लोग पीकप में बैठा दिए थे।”
पूजा में बुलाया, पैसा लौटा, फिर भी एफआईआर!
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घटना के दिन परशुराम अग्रवाल के घर कुलदेवी की पूजा थी उन्होंने मुकेश व यश को घर बुलाया और नुकसान के बदले 3 लाख रुपये मांगने की बात कही। मुकेश ने सहमति जताई और अपने परिचित हरिराम पूनमचंद मुकेश के यहां से 3 लाख दिलवा दिए। इसके पश्चात शाम को विवाद के दौरान समाज की बैठक में अपनी गलती मानते हुए सबके सामने राजीनामा करने के उपरांत परशुराम ने उन्हें 3 लाख रुपये की राशि लौटा दी। बता दे कि समाज के वरिष्ठों ने भी समझौते को मंजूरी दी।राशि लौटाने के कुछ ही घंटों बाद मुकेश अग्रवाल ने परशुराम और उनके बेटे पर अपहरण व मारपीट का केस दर्ज करा दिया। अब सप्ताह भर बाद धोखाधड़ी का अपराध पंजीबद्ध मामला सामने आने पर लोगों को हैरान कर दिया है।
समझौते के बाद भी मुकदमा?
अग्रवाल समाज अब दो धड़ों में बंटता हुआ प्रतीत हो रहा है। एक ओर पत्थलगांव के परशुराम अग्रवाल — जो समाज के अध्यक्ष हैं, वहीं दूसरी ओर लैलूंगा के मुकेश के भाई समाज सचिव हैं। अब प्रश्न यह उठ रहा कि जब समाज ने मामले का निपटारा कर दिया था तो फिर कानूनी कार्रवाई का मार्ग क्यों अपनाया गया? हालांकि इस मामले में पिटाई का एक वीडियो भी वायरल हो चुका है। अब लोगों को निगाहें प्रशासन और समाज दोनों पर टिकी हुई है।
कमला राइस मिल विवाद अब सिर्फ व्यापारिक नहीं रहा, ये सामाजिक तौर पर प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। समाज के मध्य खलबली मच गई है, और अब हर कोई जानना चाहता है कि आखिरकार मामले की सच्चाई क्या है? और क्या चावल के साथ-साथ सच भी तौल में भारी-हल्का हो रहा है?