जल संकट को देखते हुए प्लास्टिक ड्रम और खाद्य तेल डिब्बों की बढ़ती मांग, कीमतों में भी हुआ इज़ाफ़ा…

राजकुमार मल, भाटापारा- अब 1150 से 1250 रुपए। अनिवार्य है जल का भंडारण इसलिए प्लास्टिक के ड्रम की खरीदी जोर पकड़ने लगी है। सामानंतर में खाद्य तेल के छोटे डिब्बे भी खूब खरीदे जा रहें हैं।

गिरता भूजल, सूखते बोरवेल्स और पतली होती पानी की धार को देखते हुए जल संचय की ओर गंभीर हैं शहर और गांव। ऐसे में प्लास्टिक के ड्रम में मांग निकलने लगी है। ताजा स्थितियों में मांग को मौका मानते हुए विक्रेता संस्थानों ने प्रति ड्रम कीमत में 100 से 200 रुपए की वृद्धि कर दी है। इसके बाद भी खरीदी का प्रवाह लगातार बढ़ते क्रम पर है।

इसलिए खरीदी तेज

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दोपहर और रात का बढ़ता तापमान। साथ ही नलों से निकलने वाली धार का कमजोर होना, संकेत है जल संकट की शुरुआत का। इसलिए आबादी क्षेत्र आपातकालीन स्थितियों का सामना करने के लिए जल संचय के साधन जुटा लेने की कवायद में है। असर प्लास्टिक ड्रम, बाल्टी और खाद्य तेल के खाली डिब्बों में बढ़ती मांग के रूप में देखा जा रहा है। मांग का दबाव ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा है, जहां खरीदी में पहली प्राथमिकता खाद्य तेल के खाली डिब्बे को दी जा रही है। कीमत प्रति डिब्बा 70 से 80 रुपए प्रति नग है।

शहरी क्षेत्र में यह

खूब बिकते थे लोहे के ड्रम। अब जगह प्लास्टिक के ड्रम ने ले ली है क्योंकि परिवहन में आसान है। उम्र सीमा भी ज्यादा होती है। रही बात पानी की, तो शहरी उपभोक्ता क्षेत्र पानी का सबसे ज्यादा जरूरत वाला क्षेत्र माना जाता है। इसलिए प्लास्टिक ड्रम के बाजार में सर्वाधिक खरीदी इसकी ही है। तेज कीमत के बावजूद प्रति ड्रम 1100 से 1250 रुपए स्वीकार कर रहा है उपभोक्ता। मालूम हो बीते सत्र में यह 1000 से 1100 रुपए पर था।

कमजोर है बाल्टी

पखवाड़े भर पहले शुरू हुआ यह बाजार खरीदी की मात्रा को देखकर हैरान है, उतनी ही परेशानी प्लास्टिक की बाल्टी की गिरती मांग को देखकर व्यक्त कर रहा है। फैंसी और डिजाइनर बाल्टियों पर वार्निश और पेंट की बाल्टियां भारी पड़ रहीं हैं। 100 से 150 रुपए नग पर मिल रही यह बाल्टियां एक तरह से चलन से बाहर होती नजर आ रही है। फिर भी संस्थानें और स्ट्रीट वेंडर मांग के निकलने की प्रतीक्षा में हैं।

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