बड़ा तालाब सौंदर्यीकरण के नाम पर मनमानी… लाखों खर्च फिर भी नही बदली सूरत

:दिलीप गुप्ता:

सरायपाली :-  नगरपालिका परिषद द्वारा नगर विकास की जो भी योजनाएं बनाई जाती है उसका असर तत्काल तो नही कुछ दिनों बाद जरूर देखने को मिलता है । इसका साक्षात उदाहरण नगर में बन रहे गौरवपथ व नाली निर्माण में दिख ही रहा है । इसी तरह नगर का बड़ा तालाब भी नगरपालिका के लिए किसी सफेद हाथी से कम नही है । बड़ा तालाब सौंदर्यीकरण के नाम से 2 बार योजनाएं बनाई गई ।

पिछली योजनाओं में राशि कम थी पर उस बार यह योजना 70 -80 लाख रुपये की बनाये जाने की जानकारी मिली है ।नगरपालिका परिषद द्वारा योजनाएं ऐसी बनाई जाती है जिसका लाभ नगरवासियो को कम व अपनो को अधिक मिलता है ।

तालाब सौंदर्यीकरण के आड़ लेकर यह तीसरी बार सौंदर्यीकरण की योजना पर काम चल रहा है ।
तालाब में बन रहे सौंदर्यीकरण के कार्यो के निरीक्षण के दौरान बताया कि पम्प हाउस लाइन में सीमेंटीकरण का मार्ग बनाया गया है जो आधे मार्ग जाने के बाद सड़क की चौढ़ाई लगभग 6-8 इंच कम हो गई है । मोड़ के आगे कुछ दूरी तक पेवर ब्लाक लगाया जा रहा है । उसके आगे कुछ किसानों की जमीन आने के कारण उन्होंने निर्माण कार्यो पर न्यायालय के माध्यम से स्टे लगा दिए जाने के कारण निर्माण कार्य प्रारंभ होने की संभावना कम है ।
इस सीमेंट मार्ग को बनाये अभी कुछ ही दिन हुवे हैं व सड़क किनारे सड़क टूटने लगी है । ऐसा लगता है कि निर्धारित माप पर नही बनाये जाने या घटिया सामग्रियों के उपयोग से अभी से सड़क टूटने लग गई है ।

इन मार्गो के किनारे सौंदर्यीकरण के नाम से पाम के पेड़ लगाए जा रहे हैं । पाभ पेड़ो को लगाए अभी कुछ दिन बीते भी नही है अनेक पाम पेड़ या तो आधा टूट चुके हैं कुछ पेड़ जड़ सहित उखाड़ गया है तो अनेकों पेड़ो को सही ढंग से नही रोपे जाने के कारण वे आने वाले हल्के हवा पानी आने पर उखड़ कर गिरने की संभावना है । वरिष्ठ नेता विपिन उबोवेजा ने बताया कि इस तालाब के किनारे 400 पाम के पेड़ लगाए जाएंगे जिसे मद्रास से मंगाया गया है । वही तालाब के किनारे लगाए जा रहे पाम पेड़ो का अनेक लोगो ने विरोध किया है । इस पेड़ को लगाने से सिर्फ सुंदरता बढ़ सकती है पर इससे न इंसान को और न ही पक्षियों को कोई लाभ होगा । इसके स्थान पर छायादार , फूल ,व फलों के पौधे लगाए जाने से इंसानों व पक्षियों को भी इसका लाभ मिलेगा । घूमने आने वालों को थकान मिटाने व गर्मी से बचने इन छायादार वृक्षो से राहत की सांस ले सकेंगे । तो वही पक्षी भी अपना घोंसला बना सकेंगे । इससे एक ओर पक्षियों का सरंक्षण व संवर्धन भी हो सकेगा तो वही पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी लाभकारी साबित होगा ।


इस पाम पेड़ के संबंध में कुछ संबंधित जानकारों का कहना है कि पाम पेड़ सिर्फ सुंदरता के लिए है । इससे पर्यावरण व आम आदमी को कोई विशेष लाभ नही होता । इस पेड़ के लगाने के पहले कुछ सावधानियां बरतनी होती है इसके साथ ही इसके कुछ संभावित नुकसानों की भी जानकारी दी गई है जिनमे पाम के सूखे पत्ते कभी-कभी गिर सकते हैं और तालाब में गिरकर गंदगी कर सकते हैं। चूंकि यह सभी पेड़ तालाब के किनारे ही रोपे जा रहे हैं इससे गंदगी की संभावना भी बढ़ जायेगी । छायादार पेड़ नही होने के कारण बहुत अधिक छाया नहीं मिलती । गहराई वाले जड़ नहीं होने के कारण तेज़ तूफान या भारी हवा में गिर सकती हैं (खासकर अगर सही ढंग से न लगाई जाएं) । इन पेड़ो में पक्षियों को घोसला बनाये जाने की जगह की कमी होने के कारण पक्षी भी इन पेड़ों से दूर ही रहते हैं । इस सबंध में महासमुंद लोकसभा के पूर्व आईटी सेल के अध्यक्ष जफर उल्ला ने कहा कि खूबसूरती ही सब कुछ नहीं होती नगर पालिका अध्यक्षा को चाहिए था कि इस जगह पर फूलदार,फलदार, छायादार वृक्ष लगाते पाम ट्री नहीं जो न की छाया दे सकता हैं न फल और न ही फूल यहाँ तक की ये पक्षियों के घरोदा तक नहीं बन सकता, लाखों रुपए की बर्बादी सिर्फ सौंदर्य करण के नाम से की जा रही । यह उचित नही है । तालाब सौंदर्यीकरण के नाम से जो बंदरबाट व भृष्टाचार किया जा रहा है उसकी शिकायत कर जांच की मांग की
इस तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए यह तीसरी बार योजना बनाई गई है । एक अध्यक्ष आता है सौंदर्यीकरण का बहाना बनाकर कमीशन के चक्कर मे दूसरी योजनाएं लागू करता है ।दूसरा आता है इसी चक्कर मे तोड़फोड़ कर फिर योजना बनाता है । नगरपालिका में यही खेल वर्षो से चल रहा है । इस भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी के चलते सरकारी व करदाताओं के टेक्स के पैसों की सिर्फ बर्बादी होती है । विकास के नाम पर विकास तो नही सिर्फ आर्थिक विनाश नगरवासियो के हिस्से में आ रहा है ।


नगरपालिका परिषद द्वारा जो भी योजनाएं बनाई जाती है उनमें दूरदर्शिता व पारदर्शिता का हमेशा अभाव रहता है । यही कारण होता है की ये योजनाएं विवादित हो जाती है । इस वजह से एक ही योजनाओं के लिए 2 से 3 बार राशि खर्च की जाती है । झिलमिला स्थित टाउनहाल व बड़ा तालाब सौंदर्यीकरण इसका एक उदाहरण है । इसी तरह नगरवासियो व युवाओं के लिए जगह जगह लाखो रुपये खर्च कर जिम लगाये गए हैं जिनमे अधिकांश जिम वाम के लायक ही नही बचे हैं । स्वच्छ भारत के तहत सफाई मित्रों की सुविधा के लिए अनेक ई रिक्शा खरीदा गया आज सड़क में एक दो ही रिक्शे दिखाई देते हैं । हल्के स्तर के ई रिक्शा खरीदने से अनेक रिक्शा को कबाड़ी में खड़े होते देखा जा सकता है । इसी तरह कुछ ही महीने पहले जयस्तंभ चौक से बड़ा तालाब तक सड़क के दोनों किनारों पर लाखों रुपये खर्च कर पेवर ब्लाक लगाया गया था लोगो के पैदल चलने के लिए इसे अभी सड़क चौड़ीकरण के समय बेदर्दी से पेवर ब्लाक को निकाला गया । और भी बहुत उदाहरण है जो दूरदर्शी योजनाओं के अभाव में नागरिको के टेक्स के रूप में मिलने वाली राशि को कमीशन की भूख के चलते बर्बाद होते देखा जा सकता है ।
इन सब से दूर नगरवासियो को अपने निजी स्वार्थ को कोई नुकसान न हो यह सोचकर चुप्पी साध लिए जाने से कमीशनखोरी का धंधा बेधड़क चल रहा है ।