:अमित वाखरिया:
गरियाबंद। जिले के नगर पंचायत कोपरा में रेत परिवहन के नाम पर खुलेआम अवैध उगाही की जा रही है। वाहन चालकों से ₹200 की राशि ‘नगर विकास दान पत्र’ नामक एक फर्जी रसीद के माध्यम से वसूली जा रही है, जबकि रेत खनन व परिवहन का पूरा अधिकार छत्तीसगढ़ शासन के खनिज विभाग के पास है। यह कार्यवाही न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि सार्वजनिक संपदा की अवैध लूट का जीवंत उदाहरण है।
नगर के श्रीरामजानकी मंदिर में हुई रेत खदान की डील,यहां नगर अध्यक्ष की मौजूदगी में पैरी नदी के रेत खदान को बेच दिया गया,तब से रेत खनन पर रॉयल्टी के नाम पर दान पत्र फर्जी पर्ची पर अवैध वसूली किया जा रहा है।
फर्जी रसीद, फर्जी सिस्टम — कोई वैधानिक आधार नहीं
स्थानीय लोगों द्वारा साझा की गई रसीद में न तो संस्था का नाम स्पष्ट है, न पंजीकरण विवरण, न बैंक खाता और न ही खनिज विभाग की कोई स्वीकृति। फिर भी इस तथाकथित ‘दान पत्र’ के नाम पर प्रतिदिन हजारों रुपये की वसूली हो रही है। इस मामले में नगर पंचायत के जनप्रतिनिधि की भूमिका भी संदिग्ध है। चूंकि पूर्व में नगर विकास के नाम पर रेत परिवहन करने पर स्थानीय कोपरा के ट्रैक्टर से 100 रुपए और बाहर के वाहन पर 200 रुपए शुल्क लेने नगर में मुनादी भी कराया गया था।
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कृषि समिति अध्यक्ष का बड़ा खुलासा: सीएमओ ने खुद छपवाई रसीद
नगर पंचायत कोपरा के पार्षद और कृषि समिति अध्यक्ष जेठू राम ध्रुव ने इस पूरे मामले पर चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि—
नगर विकास दान पत्र की रसीदें स्वयं नगर पंचायत के सीएमओ द्वारा छपवाई गई हैं और रेत खनन का ठेका नगर पंचायत और कृषि समिति ने संयुक्त रूप से दिया है।
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि रेत ठेका 1.50 लाख रुपए में साल भर के लिए निजी व्यक्ति को दिया गया है।
यह बयान न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि स्थानीय निकाय प्रतिनिधि और अधिकारी मिलकर अवैध वसूली को संगठित रूप दे रहे हैं।
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खनिज विभाग नदारद, प्रशासन मौन
पूरे मामले में खनिज विभाग की न तो कोई स्वीकृति है और न ही कोई निगरानी। नतीजतन, पैरी नदी जैसे संवेदनशील संसाधनों का दोहन अवैध रूप से हो रहा है।
इस संबंध में सीएमओ श्यामलाल वर्मा ने कहा कि मुझे रेत खनन और परिवहन से कोई लेना देना नहीं है।
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प्रशासन से जनता की मांगें:
1. नगर पंचायत सीएमओ व कृषि समिति अध्यक्ष पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
2. दान पत्र से हुई समस्त वसूली की ऑडिट जांच हो।
3. खनिज विभाग को हस्तक्षेप कर रेत खनन को वैधानिक दायरे में लाना चाहिए।
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नगर पंचायत कोपरा में हो रही यह कथित “दान आधारित” उगाही प्रशासनिक भ्रष्टाचार और लोक सेवा पद के दुरुपयोग का गंभीर मामला है। खनिज विभाग की चुप्पी और सीएमओ की सक्रिय भागीदारी, इस गोरखधंधे को सत्ता-प्रशासन के संरक्षण में संचालित होने का संकेत देती है। अब जरूरत है ठोस जांच और जवाबदेही की।