History of Bhang : क्या आप जानते हैं होली पर भांग का सेवन क्यों किया जाता है?
History of Bhang : रंगों की होली 8 मार्च को खेली जाएगी। इस दिन लोग एक-दूसरे को पानी और पेंट से नहलाते हैं। इसको लेकर सभी के घरों में तैयारियां पूरी कर ली गई थी। आपको बता दें कि मुगल शासन काल में भी होली बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती थी और अलबरूनी ने अपने यात्रा वृत्तांत में होली का सुंदर
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History of Bhang : उल्लेख किया है। ऐसे में कई लोग इस दिन खूब भांग भी पीते हैं. होली और भांग का वास्तव में गहरा संबंध है। सनातन धर्म में भांग को सीधे भगवान शिव शंकर से जोड़ा जाता है, जबकि आयुर्वेद में देवताओं की चिकित्सा पद्धति भांग को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
बता दें कि प्राचीन हिंदू पवित्र ग्रंथ अथर्ववेद में, भांग के पौधे को पृथ्वी पर पांच सबसे पवित्र पौधों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है और इसे “खुशी का स्रोत” या “खुशी देने वाले पौधे” के रूप में भी जाना जाता है। कहा जाता है
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कि होली मस्ती और उल्लास के त्योहार के रूप में मनाई जाती है और हिंदू धर्म में भांग को उत्साह और शिव की जड़ी से जोड़ा जाता है।
कहा जाता है कि भांग और धतूरा का सेवन करने से भगवान महादेव को हलाहल विष के प्रभाव से मुक्ति मिली थी, जिससे लोग होली और भगवान हर और हरि का स्मरण करते हुए भांग का सेवन करते हैं।
वहीं एक बड़ा कारण यह भी है कि भांग एक ऐसी औषधि है जो पाचक का काम करती है इसलिए होली के मौके पर लोग गरिष्ठ भोजन करते हैं और भांग का सेवन कर उसे पचा लेते हैं.