नई दिल्ली, 21 सितंबर 2025: जाति व्यवस्था के क्रांतिकारी उन्मूलन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में,20 सितंबर को अम्बेडकर भवन, नई दिल्ली में “जाति उन्मूलन: दशा और दिशा” विषय पर एक व्यापक जन कन्वेंशन का सफल आयोजन किया गया।

जाति उन्मूलन आंदोलन (CAM) और जाति उन्मूलन संगठन (CAO) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित देशभर के विभिन्न प्रगतिशील, वामपंथी, अम्बेडकरवादी संगठनों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
इसका उद्देश्य भारत में जातिगत उत्पीड़न की वर्तमान चुनौतीपूर्ण स्थिति का विश्लेषण करना और एक जाति-विहीन, समतामूलक समाज की ओर बढ़ने का रास्ता तय करना था।

सम्मेलन की अध्यक्षता संयुक्त अध्यक्ष मंडल द्वारा की गई, जिसमें जाति उन्मूलन संगठन के संयोजक कॉमरेड जे. पी. नरेला, कॉमरेड बुद्धिश मणि, जाति उन्मूलन आंदोलन के अखिल भारतीय संयोजक कॉमरेड तुहिन, केंद्रीय समिति सदस्य कॉमरेड शंकर, जाति उन्मूलन आंदोलन मध्य प्रदेश के संयोजक कॉमरेड विजय और अखिल भारतीय क्रांतिकारी महिला संगठन (AIRWO) की केंद्रीय समिति सदस्य कॉमरेड नीरजा शामिल थीं। सम्मेलन का संचालन अखिल भारतीय क्रांतिकारी विद्यार्थी संगठन (AIRSO) के अखिल भारतीय संयोजक कॉमरेड निरंजन ने और जाति उन्मूलन संगठन (CAO) के प्रमुख जे पी नरेला ने संयुक्त रूप से किया।

सम्मेलन का आरंभ बंगाल के प्रसिद्ध जन गायक एवं क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (RCF) के अखिल भारतीय संयोजक कॉमरेड असीम गिरी द्वारा प्रस्तुत क्रांतिकारी गीतों से हुआ। इसके पश्चात AIRSO, मध्य प्रदेश के कलाकारों कॉमरेड संदीप, रागिनी, स्मृति, धीरज, राजनती और शैतान सिंह ने जातिवाद, साम्प्रदायिकता और शोषण के खिलाफ जनवादी गीतों की एक मार्मिक प्रस्तुति दी, जिसने पूरे सभागार में एक जनवादी और संघर्षशील माहौल का सृजन किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए कॉमरेड जे. पी. नरेला ने कहा, “1936 में जात पात तोड़क मंडल द्वारा बाबासाहेब को रोके जाने के बाद उन्होंने ‘एनिहिलेशन ऑफ कास्ट’ लिखी थी। उनका स्पष्ट मानना था कि ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद से एकसाथ लड़े बिना एक लोकतांत्रिक समाज का निर्माण असंभव है।

लेकिन अम्बेडकर के नाम पर राजनीति करने वाले कथित दलित आंदोलन ने भी उनके विचारों और दृष्टिकोण को त्याग दिया है। डॉ अम्बेडकर ने उद्योगों और जमीन के राष्ट्रीयकरण को जरूरी बताया, वे भूमिहीनों को जमीन बांटने और क्रांतिकारी भूमि सुधार लागू करने के पक्षधर थे। आज का यह कन्वेंशन उसी क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाने और सभी प्रगतिशील ताकतों को एक मंच पर लाने का एक प्रयास है।”
कॉमरेड तुहिन ने अपने वक्तव्य में कहा, “जाति अब सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, यह सिलिकॉन वैली तक में अपना जहर फैला चुकी है। आरएसएस जैसा मनुवादी संगठन राजनीतिक सत्ता पर काबिज होकर देश को एक फासीवादी हिंदू राष्ट्र में बदलने पर तुला है। इसके उन्मूलन के बिना भारत में कोई भी क्रांति अधूरी रहेगी। इसे एक रणनीतिक लड़ाई के रूप में लड़ना होगा।”

कॉमरेड शंकर ने ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए कहा, “भारत में वर्ग संघर्ष का इतिहास ही ब्राह्मणवादी शासक वर्ग और श्रमण परंपरा (बुद्ध, कबीर, फुले, पेरियार, अंबेडकर) की टक्कर का इतिहास रहा है। हमें इस शानदार परंपरा को मजबूती से आगे बढ़ाना होगा और आरएसएस के मनुवादी एजेंडे का पूरी शिद्दत से प्रतिरोध करना होगा।”
कॉमरेड नीरजा ने महिलाओं पर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा, “मनुस्मृति आधारित हिंदुराष्ट्र की परिकल्पना दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के लिए और भी भयावह होगी। हाथरस से लेकर बिलकिस बानो तक की घटनाएं इसकी जीती-जागती मिसाल हैं। जाति और पितृसत्ता का उन्मूलन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।”
कॉमरेड बुद्धिश मणि ने आर्थिक पहलू को रेखांकित करते हुए कहा, “देश की 85% आबादी आज भी जातिगत भेदभाव झेल रही है, जबकि देश की संपदा और सत्ता पर एक छोटे से उच्च जातीय अभिजात वर्ग का कब्जा है। EWS आरक्षण जैसे कदम संविधान के मूल चरित्र पर हमला हैं और जाति आधारित जनगणना का विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि यह इस असमानता को उजागर करेगी।”

कॉमरेड विजय ने रणनीति पर बोलते हुए कहा, “जाति का सवाल हमारे लिए रणनीतिक (strategical) है, न कि सिर्फ कार्यनीतिक (tactical)। यह भारतीय संदर्भ में क्रांति का अभिन्न अंग है, इससे अलग नहीं।”
सम्मेलन में सर्वहारा जन मोर्चा के कॉमरेड मुकेश असीम, IFTU सर्वहारा की कॉमरेड विदुषी, सामाजिक न्याय मोर्चा उत्तर प्रदेश के संयोजक एडवोकेट रमाशंकर भीम, IFTU के कॉमरेड मृगांक, DTI के प्रोफेसर उमा, कॉमरेड नन्हेलाल, क्रांतिकारी मजदूर मोर्चा के कॉमरेड सत्यवीर सिंह, जाति उन्मूलन आंदोलन पंजाब के कॉमरेड नछतर सिंह, प्रोफेसर अश्विनी सुकरात, कॉमरेड सुभाशीष, संतोष कठेरिया, मुन्ना प्रसाद, रजत कलेक्टिव, आयुष हिमखंड, ज्ञानेंद्र, AITUC के विवेक श्रीवास्तव, सोमपाल और JSSN के अर्जुन सहित कई अन्य वक्ताओं ने भी अपने महत्वपूर्ण विचार रखे।

सम्मेलन के अंत में जाति उन्मूलन आंदोलन, मध्य प्रदेश के कॉमरेड फहीम सरफरोश द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। प्रस्ताव में एक जाति-विहीन, शोषण-विहीन, धर्मनिरपेक्ष, लैंगिक समानता पर आधारित, वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले समतावादी समाज के निर्माण के लिए संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया गया। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सभी जाति-विरोधी प्रगतिशील ताकतों के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु एक समन्वय समिति के गठन का भी प्रस्ताव पारित किया गया।