High profile election अनूप वर्मा
High profile election चारामा ! भाजपा के दिग्गज नेता भी भाजपा को जीत नहीं दिला पाए। भानुप्रतापपुर उप चुनाव छत्तीसगढ का सबसे हाई प्रोफाइल चुनाव रहा।इसके पहले हुए अन्य 04 उप चुनाव में शायद ही इतना अधिक चुनाव को लेकर कश्मकश हुआ हो।क्योंकि भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी के लिए यह बेहद अहम चुनाव था।
कांग्रेस को जहाँ अपनी सीट बचानी थी ,तो वही भाजपा की पूरी कोशिश रही की इस चुनाव को कैसे भी जीतकर वह पूरे छत्तीसगढ़ में आम जनता की प्रदेश सरकार के प्रति नाराजगी को आने वाले चुनाव के लिए एक विज्ञापन के रूप में भुनानी चाहती थी।
High profile election इसीलिए भाजपा के पूरे प्रदेश भर के बड़े बड़े कद्दावर नेता और वर्तमान में भाजपा के सभी विधायक ,हर नगर पालिका,निगम के पार्षद,नामांकन के बाद से चारामा से लेकर भानुप्रतापपुर तक जमे रहे,पूर्व सीएम रमन सिंह को भी 02 बड़ी बड़ी रैलियां करनी पड़ी।
इस चुनाव को सस्पेंस और रोमांच अदिवासी समाज से निर्दलीय प्रत्याशी ने किया।हालाकि आदिवासी समाज में वोट का बिखराव पहले दिन से ही देखा गया।जिससे यह तो समझ आ गया था की निर्दलीय प्रत्याशी अकबर कोहराम चुनाव में कही पर भी नही खड़े हैं,बस वे कांग्रेस के वोट बैंक पर चोट कर सकते हैं।
High profile election और हुआ भी ऐसा ही कुछ।लेकिन उनकी यह चोट कांग्रेस को कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचा सकी।लेकिन शायद भाजपा अंदर ही अंदर इस बात से खुश थी की अकबर कोहराम अगर आदिवासी समाज का वोट काटेंगे तो वह भाजपा के लिए फायदे मंद होगा। लेकिन वो इतना असर दार नहीं रहा।भाजपा के जबरजस्त प्रचार प्रसार के चलते कांग्रेस भी पूरी तैयारी कर मैदान मैं कूदी,और छत्तीसगढ़ के अपने सभी नेता ,मंत्री ,विधायक को मैदान मैं उतार दी।
मुख्यमंत्री ने भी लगातार 03 दिनो तक क्षेत्र का दौरा और सभा की।लेकिन शुरू से अंत तक चुनाव में भाजपा कही पर भी कांग्रेस पर भारी नहीं दिखी। शायद इसका एक कारण भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम के ऊपर लगे बलात्कार का आरोप भी रहा होगा। अंत में यह चुनाव 2018 का विधानसभा की ही दूसरी झलक बनकर सामने आई।जिसने यह बता दिया की भानुप्रतापपुर कांग्रेस का गढ़ हैं। भाजपा को इसमें सेंध लगाने के लिए और अधिक मेहनत करनी होगी।