हार्वेस्टर + ट्रॉली =2800 रुपए

कटाई और ढुलाई चार्ज में बढ़ोतरी

भाटापारा- मंजूर है 2200 रुपए प्रति एकड़ हार्वेस्टर से फसल कटाई। थोड़ा, मोल भाव प्रति ट्रॉली किराया को लेकर जरूर किया जा रहा लेकिन दोनों के बीच इस पर एक राय बन जा रही है।

शीघ्र तैयार होने वाली प्रजाति में बालियां पूरी तरह सूख चुकी हैं। पौधों का तना जरूर हरा है लेकिन नहीं काटी गई, तो हवा के झोंके पौधों को गिरा सकते हैं। यह सोच किसानों को हार्वेस्टर तक पहुंचा रही है। बीते खरीफ सत्र की तुलना में प्रति एकड़ किराया जरूर बढ़ा हुआ है लेकिन देर की तो, न केवल किराया बढ़ा हुआ देना होगा बल्कि रबी फसल की बोनी भी पीछे हो जाएगी।

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100 से 200 रुपए ज्यादा

बीते खरीफ सत्र में हार्वेस्टिंग चार्ज 1900 से 2000 रुपए प्रति एकड़ था। इस बरस इसमें 100 से 200 रुपए की वृद्धि हो चुकी है। डीजल की कीमत में वृद्धि को इसके पीछे बड़ी वजह मानी जा रही है। यह इस बार 2100 से 2200 रुपए प्रति एकड़ पर पहुंची हुई है। तेजी इसलिए स्वीकार की जा रही है क्योंकि फौरी ज़रूरतें पूरी करनी है। इसके अलावा ट्रॉली चार्ज, एक फेरे के लिए 600 से 700 रुपए लिए जा रहे हैं। यह दर भी किसान मंजूर कर रहे हैं।

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मजदूरों का टोटा

खुद की फसल तैयार हो चुकी है। दीपावली की तैयारी भी करनी है। इसलिए खेतीहर मजदूरों की जबरदस्त दिक्कत हो रही है, जो मिल रहे हैं वह प्रतिदिन मजदूरी 150 से 160 रुपए तक मांग रहे हैं। श्रम दर भले ही ज्यादा मांगी जा रही है लेकिन जहां मशीनों से कटाई संभव नहीं है वहां के लिए यह श्रम दर किसान स्वीकार कर रहे हैं। बाद के दिनों में यह दर इसलिए बढ़ने की आशंका है क्योंकि रबी फसल की तैयारी जोर पकड़ने लगेगी।

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थ्रॆशर इस दर पर

मजदूरी, हार्वेस्टर और ट्राली का किराया जब बढ़ा हुआ हो, तो भला थ्रॆशर क्यों पीछे रहता। सो इसने भी प्रति घंटा मिसाई की दरें बढ़ा दी है। इस बार थ्रॆशर मालिक प्रति घंटा 1200 रुपए चार्ज कर रहे हैं। इसमें वृद्धि के संकेत इसलिए मिल रहे हैं क्योंकि छोटे किसानों की जरूरत का दबाव बढ़ा हुआ है, तो आने वाले दिनों में बारीक धान की फसल ले रहे किसानों की भी मांग थ्रेशर में निकलेगी क्योंकि ऐसे खेतों में इस समय पर्याप्त नमी बनी हुई है। ऐसे में हार्वेस्टर का पहुंच पाना कठिन ही है।