Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – ये हादसा कहीं भी हो सकता है…

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

रायपुर के एक मॉल में लगे एस्केलेटर पर एक बेहद दर्दनाक हादसा हुआ जब संतुलन बिगडऩे पर इस पर सवार एक युवक के हाथ से उसका एक साल का बच्चा फिसल गया। नीचे गिरने से मौके पर ही उसकी मौत हो गई। विचलित कर देने वाली इस घटना से सभी को सबक लेने की जरूरत है, ये घटना किसी के भी साथ घट सकती है। पहले भी इस तरह लिफ्ट और एस्केलेटर पर हादसे हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी इसको लेकर पर्याप्त सुरक्षा नहीं बरती जा रही है। रायपुर समेत प्रदेश के कई मॉल और व्यापारिक परिसरों में एस्केलेटर लगाए गए हैं पर कहीं भी इससे जुड़े मानक सुरक्षा नियमों का पालन नहीं हो रहा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक एस्केलेटर दुर्घटनाओं में लगभग 90 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिक या छोटे बच्चे शामिल होते हैं। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अधिकांश दुर्घटनाएं चढ़ते और उतरते समय या तो लापरवाही या फिर किसी सुरक्षा चूक के कारण होती है। सबसे पहले नजर डालते हैं उन बातों पर जो हमें एक्सिलेटर के इस्तेमाल के दौरान ध्यान में रखनी चाहिए-चढऩे से पहले एस्केलेटर की दिशा जांच लें। हमेशा अपने पैर ऊपर उठाएं और एस्केलेटर पर या उससे बाहर सावधानी से कदम रखें। सीढ़ी के मध्य भाग में खड़े हो जाएं। अपने पैरों को कभी भी किनारे पर न खींचें और न ही सरकाएं। हमेशा आगे की ओर मुख करके रेलिंग को पकड़ें। रेलिंग पर न बैठें। एस्केलेटर के किनारों पर न झुकें और न ही उसके ऊपर पहुंचे। ऊपर पहुचंते ही एस्केलेटर से तुरंत बाहर निकलें। एस्केलेटर से उतरते समय कभी न रुकें, न ही खड़े हों, ऐसा करना खतरनाक साबित हो सकता है। यदि बच्चे साथ हों तो विशेष सावधानी बरतें। बच्चे और बुजुर्गों को अकेले न चढऩे दें। इस बात का ध्यान रखें कि जूते के ढीले फीते, स्कार्फ और दस्ताने एस्केलेटर में फंस सकते हैं, अत: सावधानी बरतें। यदि आप नंगे पैर हैं तो एस्केलेटर पर न चढ़ें। वरिष्ठ नागरिकों को एस्केलेटर पर चढ़ते-उतरते समय संतुलन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गति में अंतर के कारण अपना संतुलन खोना आसान है, अत: सावधानी जरूरी है। एस्केलेटर पर हमेशा बच्चों का हाथ पकड़कर रखें और बच्चों को सीढिय़ों पर बैठने या खेलने की अनुमति न दें। यदि आवश्यक हो तो आपातकालीन शटऑफ़ बटन का उपयोग करें। बटन आमतौर पर एस्केलेटर के प्रवेश और निकास द्वार पर स्थित होती है।
सेंटर फॉर कंस्ट्रक्शन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (सीपीडब्ल्यूआर) द्वारा लिफ्ट और एस्केलेटर दुर्घटनाओं पर 2018 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। इस संगठन ने लिफ्ट में या उसके आसपास काम करने वाले लोगों की मौतों और चोटों के साथ-साथ लिफ्ट यात्रियों की मौतों और चोटों का अध्ययन किया। इस रिपोर्ट के अनुसार, 1992 से 2009 के बीच लिफ्ट की वजह से हुई दुर्घटनाओं में 89 लोग मारे गए थे। इनमें से अधिकांश मौतें तब हुईं जब लिफ्ट का दरवाज़ा खुला रह गया और अंदर मौजूद लोग खुले शाफ्ट से नीचे गिर गए, क्योंकि लिफ्ट कार मौजूद नहीं थी। दरवाजे की शाफ्ट और लिफ्ट के दरवाजे के बीच फंसने से भी कई लोगों की मौत हुई। सन् 1997 से 2010 के बीच अमूमन हर साल औसतन पांच लिफ्ट यात्रियों की मौत हुई। इनमें से आधी मौतों का कारण फिसलन और गिरने की वजह से हुईं दुर्घटनाएं थीं, क्योंकि अक्सर लोग लिफ्ट में प्रवेश करते या बाहर निकलते समय लडख़ड़ा जाते हैं।
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, लिफ्ट दुर्घटना की तुलना में एस्केलेटर से होने वाली दुर्घटना में चोट लगने की संभावना 15 गुना अधिक रहती है। एस्केलेटर दुर्घटना में मौत की आशंका भी अधिक रहती हैं। एस्केलेटर से गिरने के सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे और बुजुर्ग होते हैं। कुछ दुर्घटनाओं में लोग फिसलकर एस्केलेटर पर या उससे नीचे गिर जाते हैं, ऐसी दुर्घटनाएं बहुत घातक होती हैं।
जानकारों की मानें तो सुरक्षा मानकों के अनुरूप एस्केलेटर की डिज़ाइन को और बेहतर करने की आवश्यकता है। मसलन कुछ जगहों पर एस्केलेट की चौड़ाई कम होती है तो वहीं कहीं-कहीं एस्केलेट की गति जरूरत से ज्यादा तेज़ रहती है। इसके अलावा लिफ्ट में करंट और फंसने या इसके गिरने के खतरे को न्यूनतम करने के लिए भी तकनीकि सुधार की जरूरत महसूस की जाती रही है। इसमें लगातार सुधार और नई तकनीकी का समावेश तथा सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने के प्रयास होते रहने चाहिए। मॉल्स, अपार्टमेंट और अन्य व्यावसायिक परिसरों की बहुमंजिला इमारतों में लगी लिफ्ट या एस्केलेट को समय-समय पर बदलना भी जरूरी है ताकि नई तकनीकों और सुरक्षा मानकों का समावेश हो सके। इसके अलावा व्यावसायिक परिसरों में लिफ्ट या एस्केलेट में सुरक्षा कर्मीं भी तैनात होने चाहिए जिससे किस अप्रिय स्थिति से बचने में मदद मिल सके। यदि बड़े प्रतिष्ठान और संस्थान इन चीजों पर ध्यान दें तो ऐसी दुखद स्थिति से बचा जा सकता था, जैसा रायपुर के एक मॉल में हुआ।

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