Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – सियासी अनुमान या बहती हवा की पहचान 

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

चुनाव की दहलीज पर देश खड़ा है। प्रधानमंत्री मोदी समेत तमाम बड़े नेता अब पूरी तरह से चुनावी मोड पर नजर आ रहे हैं। हाल ही में संसद में संबोधन देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार भाजपा को 370 सीट और एनडीए को 400 पार पहुंचाने की बात कही। इस दौरान वे तमाम मुद्दों पर विपक्ष पर निशाना साधते हुए देश को अपने तीसरे टर्म में दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने का दावा किया। प्रधानमंत्री जब अपना संबोधन दे रहे थे, उसके पहले ही विपक्ष का ड्रीम प्रोजेक्ट इंडिया गठबंधन अपनी अंतिम सांसें गिन रहा था। सियासी अनुमान यही कह रहा है कि देश में मोदी सरकार के पक्ष में माहौल है। ये बताने के लिए किसी तरह के सिद्धी की आवश्यकता नहीं है। चुनाव के पहले विपक्ष को लेकर इतनी उदासीनता हाल फिलहाल में नहीं दिखाई पड़ती जितनी की अभी। ऐसे बिखरे हुए विपक्ष के सामने मोदी जैसे शक्तिशाली नेता होने से भी सियासी हवा की पहचान की जा सकती है।

इसी हवा को पहचानने की कोशिश की है इंडिया टुडे और सी-वोटर ने। मूड ऑफ द नेशन सर्वे में राज्यवार पार्टियों को मिलने वाली सीटों का अनुमान लगाया गया है। इन अनुमानों में भी देश में भाजपा की स्थिति मजबूत होने का संकेत मिल रहा है। सर्वे के लिए कुल 1,49,092 सैंपल लिए और यह काम लगभग डेढ़ महीने के बीच हुआ। 15 दिसंबर 2023 से 28 जनवरी 2024 के बीच 35 हजार लोगों से बातचीत की गई, जबकि अलग-अलग तरीकों से डेढ़ लाख इस सर्वे में शामिल किए गए। वैसे यह जरूरी नहीं है कि सर्वे में बताई गई बातें सही ही हों। पूर्व में इस तरह के कई चुनावी सर्वे गलत भी साबित हुए हैं। ज्यादातर सर्वे का अनुमान था कि यहां कांग्रेस वापसी कर सकती है लेकिन नतीजे इसके उलट आए।

हाल ही में छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम सर्वे गलत साबित हुए थे। बीजेपी ने हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनाई है। तीनों ही राज्यों में बीजेपी बड़ी जीत हासिल करती नजर आ रही है। इन तीनों राज्यों में 65 लोकसभा सीटें आती हैं, जिनमें से 62 सीटों पर बीजेपी को जीत मिलने का अनुमान है। जबकि, कांग्रेस को सिर्फ तीन सीटें मिलने के आसार हैं। सर्वे मूड ऑफ द नेशन में छत्तीसगढ़ में बीजेपी को बंपर फायदा होता दिखाई दे रहा है।

छत्तीसगढ़ में पिछले चुनाव के आंकड़ों की बात करें तो राज्य में बीजेपी ने 11 में से 9 सीटें जीतीं थीं, जबकि कांग्रेस के खातों में दो सीटें आई थीं। हालांकि सर्वे के मुताबिक, अब कांग्रेस को एक सीट का नुकसान होता हुआ दिख रहा है। मध्य प्रदेश में बीजेपी को 27 सीटें मिलती दिख रही हैं, जबकि कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों से संतोष करना पड़ सकता है। पश्चिम बंगाल में फिर बड़ा खेला होने जा रहा है। सर्वे में बीजेपी और टीएमसी का वोट शेयर लगभग बराबर दिख रहा है। सीटों के मामले में भी बहुत ज्यादा अंतर दिख नहीं रहा है। पिछले चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 18 और टीएमसी ने 22 सीटें जीती थीं। इस बार भी टीएमसी को 22 सीटें ही मिलती दिख रहीं हैं, जबकि बीजेपी को 19 सीटें मिल सकतीं हैं। इसी तरह इस सर्वे में कर्नाटक से मिल रहे अनुमान बेहद चौंकाने वाले हैं। विधासभा चुनाव में यहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन लोकसभा चुनाव में यहां की जनता भाजपा पर ही भरोसा जता सकती है।

अयोध्या स्थित राम मंदिर में मूर्ति स्थापना के बाद से उत्तर भारत में गांवों से लेकर शहर तक का माहौल राममय है। राम से जुड़े कई आयोजन किए जा रहे हैं। इसका लाभ भी भाजपा को मिलते नजर आ रहा है, क्योंकि भाजपा का इतिहास राम मंदिर आंदोलन से गहरे से जुड़ा हुआ है। वही इतिहास अब भविष्य में भाजपा के लिए सोने का अंडा साबित होने जा रहा है। आज देश के सामने महंगाई, बेरोजगारी, जैसे कई मुद्दे हैं, लेकिन इसको लेकर सड़क की लड़ाई लड़ते कोई नहीं नजर आ रहा है। आज इस बिखरे हुए विपक्ष का लाभ भाजपा को जोरदार तरीके से मिल रहा है। इंडिया के नाम से हुए प्रयास को भाजपा के रणनीतिकारों ने ध्वस्त कर दिया। इस गोलबंदी के प्रमुख किरदार नितिश कुमार अब एनडीए में शामिल हैं। ममता बनर्जी बंगाल में कांग्रेस की बखिया उधेड़ती नजर आ रही है। राहुल गांधी मणिपुर से मुंबई पदयात्रा पर हैं। कई लोग इस यात्रा की टाइमिंग को भी रणनीतिक चूक बता रहे हैं। राम मंदिर, फिर झारखंड और बिहार का राजनीति एपिसोड के बीच इस यात्रा को उस तरह का मीडिया कवरेज नहीं मिल पाया है, जिस तरह भारत जोड़ो यात्रा को मिला था। ऐसे में ये सर्वे भले सटिक न हो लेकिन देश में बह रही सियासी हवा को तो राजनीति की थोड़ी बहुत समझने रखने वाला भी भांप सकता है।

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