मधुमिता के गीतों और भजनों से एक इंसान का पांव कटने से बचा

मधुमिता के गीतों और भजनों से एक इंसान का पांव कटने से बचा

पुरानी फिल्मों के संगीत और भजनों मेंकितनी ताकत होती है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मधुमिता के , गीत और भजनों से एक इंसान का पैर् कटने से बच गया।

छत्तीसगढ़ बिलासपुर में28 अप्रैल को सरमाला का लाइव शो था जिसकी रिहर्सल के लिए इसी दिनमधुमिता अतुलकांत खरे के घर पर पहुंची श्री खरे डायबिटीज के मरीज हैं और वह बिस्तर पर थे पैरों में सेंसेशन बहुत कम हो चुका था डॉक्टरों की रिपोर्ट के अनुसार यह था कि यही स्थिति रही तो पैर काटना पड़ जाएगा
संगीत अभ्यास के दौरान मधुमिता ने शिवाभजन शिवनाथ तेरी महिमा गाया इस भजन के दौरान ही चमत्कारिक ढंग से श्री खरे के पैर में सेंसेशन आने लगा इसके बाद और पुराने गीतों गीतों की स्वर लहरी से उनके पैरों में हरकत होने लगी।
कुछ देर बाद भी वह अपने पैरों पर खड़े हो गए और खुद भी संगीत में शामिल हुए और दो-तीन गीत गए।
उन्होंने मधुमिता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भजन और पुराने गीतों की शक्ति ऐसी ही होती है की बंद पड़े हुए पैर में जान आ जाए।
श्री खरे वरिष्ठ पत्रकार हैं और संगीत में गहरी रुचि रखते हैं उनके पैरों का ऑपरेशन हुआ है और अब धीरे-धीरे चलने लग गए हैं। संगीत की शक्ति का चमत्कार देखकर उनके चिकित्सक भी आश्चर्यचकित हैं। उनके चिकित्सक डा वर्मा ने हमारी चैनल से बातचीत में कहा कि संगीत की शक्ति और इच्छा शक्ति से ही श्री खरे ने पुनर्जन्म हासिल किया है। नहीं तो उनकी शेष जिंदगी व्हीलचेयर पर गुजरती और वह कभी अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाते।
उन्होंने भी मधुमिता का इस तरह की म्यूजिक थेरेपी देने के लिए आभार व्यक्त किया।

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