Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – पेटीएम और महादेव एप बनाम मनी लॉन्ड्रिंग

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

हाल के दिनों में पेटीएम पेमेंट बैंक और महादेव एप का नाम मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चर्चा में है। भारतीय रिजर्व बैंक ने पेटीएम पेमेंट बैंक पर एक्शन लिया है तो महादेव ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी एप के मामले में ईडी ने कारवाई की है। आरबीआई ने पेटीएम में मनी लॉन्ड्रिंग और नो-योर-कस्टमर यानी केवायसी से जुड़ी गड़बडिय़ां पाई हैं। कुछ महीने पहले आरबीआई ने श्वष्ठ को पेटीएम में इस उल्लंघन के बारे में सचेत किया था। इसके बावजूद पेटीएम लगातार नियमों का उल्लंघन करता रहा। अब आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट बैंक पर पाबंदी का ऐलान किया है। वहीं, महादेव ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी एप मामले में ईडी की जांच का दायरा बॉलीवुड के कई स्टार्स तक पहुंच गया।

मनी लांड्रिंग शब्द से भले ही वाकिफ हों, लेकिन एक समय ऐसा था जब वहां पर कुछ ऐसे माफिया सक्रिय हुआ करते थे जो जबरन वसूली, जुआ इत्यादि अवैध कामों से हुई कमाई को वैध स्रोत से कमाया हुआ पैसा दिखाते थे। वहीं से इस मनी लांड्रिंग नामक शब्द की उत्पति हुई थी। 1980 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए मनी लांड्रिंग नामक यह शब्द चिंता का कारण बन गया था। उसके बाद वहां की सरकार ने इससे निपटने के लिए कठोर नीति पर काम करना शुरू किया। भारत में भी हम आए दिनों मनी लांड्रिंग जैसे शब्द बार बार सुनते हैं। इसे भारत में एक अन्य नाम हवाला के नाम से भी जानते हैं।

आम बोलचाल की भाषा में गलत तरीके से कमाए गए धन को सही तरीके से कमाए गए धन के रूप में बदलने की प्रक्रिया ही मनी लांड्रिंग कहलाती है। गलत तरीका यानी जिस तरीके से धन कमाने की इजाजत हमारा कानून हमें नहीं देता। इस प्रक्रिया में अवैध तरीके से कमाए हुए धन को ऐसे ऐसे प्रोजेक्ट या निवेश के विकल्पों में निवेश किया जाता है कि जांच एजेंसियों को उसे काला धन सिद्ध करने में पसीने छूट जाते हैं। हमारे देश में ऐसे मामलों में अधिकतर नाम नेताओं के आते हैं। 1990 के दशक में जब कई नेताओं के नाम इस तरह के मामलों में उजागर हुए, तब से यह शब्द हमारे कानों में आए दिनों बार बार गूंजता रहता है।

रिजर्व बैंक को पेटीएम पेमेंट्स बैंक के निरीक्षण में कई ऐसे मामले मिले हैं, जहां एक पैन नंबर पर 1000 हजार से अधिक अकाउंट्स खोले गए। ऐसे में सरकार और जांच एजेंसियों को मनी लॉन्ड्रिंग का भी शक है। इसके बाद रिजर्व बैंक ने डिपॉजिट स्वीकार करने या क्रेडिट ट्रांजेक्शन करने या किसी भी कस्टमर अकाउंट में टॉपअप करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया है। आरबीआई ने खातों की केवाइसी प्रक्रिया के नियमों के लगातार उल्लंघन और लेनदेन की सही जानकारी नहीं देने पर सख्त कदम उठाया है।
इससे पहले रिजर्व बैंक ने सिस्टम ऑडिट रिपोर्ट व अन्य जांच के बाद खुलासा किया था कि पेटीएम पेमेंट बैंक ने बिना नियमों का पालन किए अंधाधुंध खाते खोले, जिनसे फंड इधर से उधर किए जाने की आशंका है। इसमें मनी लांड्रिंग का मामला दिख रहा है। पेटीएम की बढ़ती मुसीबतों के बीच कारोबारी संगठनों ने भी ऐप से दूरी बनाने का फैसला किया है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (कैट) ने कारोबारियों से अपील की है कि वे पेटीएम को छोड़कर अन्य भुगतान ऐप पर शिफ्ट हो जाएं।

पेटीएम का पेमेंट बाजार में करीब 17 फीसदी हिस्सा है। ऐसे में आरबीआई की इस पाबंदी का असर बड़े तबके पर पड़ा है। आरबीआई के एक्शन से करोड़ों यूजर्स प्रभावित हुए हैं। अभी भी बहुत से लोगों में कन्फ्यूजन है। आरबीआई की इस कार्रवाई का असर पेटीएम के शेयर पर भी पड़ा है। पेटीएम के शेयर में लोअर सर्किट लग रहे हैं। शेयरों में निवेशकों की भारी बिकवाली देखने को मिल रही है।

महादेव एप से जुड़े धनशोधन के मामले में हाल में की गई छापेमारी के दौरान दुबई स्थित हवाला कारोबारी की 580 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां जब्त कर लीं और 3.64 करोड़ की नकदी एवं कीमती सामान अपने कब्जे में ले लिया। इस मामले में 28 फरवरी को कोलकाता, गुरुग्राम, दिल्ली, इंदौर, मुंबई और रायपुर के विभिन्न परिसरों में फिर से छापे मारे गए थे।

महादेव ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी एप के मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दौरान छत्तीसगढ़ के विभिन्न उच्च पदस्थ नेताओं और नौकरशाहों

की कथित संलिप्तता का संकेत मिला है। केंद्रीय एजेंसी ने इस मामले में एक ‘हवाला कारोबारीÓ हरि शंकर टिबरेवाल की पहचान की है। वह कोलकाता का रहने वाला है लेकिन फिलहाल दुबई में रह रहा है। टिबरेवाल ने महादेव एप के प्रवर्तकों के साथ साझेदारी की और वह कथित अवैध सट्टेबाजी एप ‘स्काईएक्सचेंजÓ का मालिक और संचालक भी है। टिबरेवाल के ‘लाभकारी स्वामित्व वालीÓ 580.78 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों को निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत जब्त कर लिया है। छापेमारी के दौरान एजेंसी ने 1.86 करोड़ की नकदी और 1.78 करोड़ रुपये की कीमती वस्तुएं बरामद की।

महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप कई वेबसाइट व एप का एक सिंडिकेट है। सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने मिलकर इस एप को शुरु किया था। यह करीब पिछले 4 सालों से चालू है। कंपनी के प्रमोटर छत्तीसगढ़ के भिलाई के रहने वाले हैं। यह प्लेटफॉर्म कथित तौर पर क्रिकेट, टेनिस, बैडमिंटन, पोकर और कार्ड गेम सहित कई तरह के लाइव गेम में अवैध सट्टेबाजी के लिए ऑनलाइन मंच मुहैया कराती है। बेटिंग ऐप को 70:30 के लाभ अनुपात पर फ्रेंचाइजी देकर चलाया जाता है। इसका हेडक्वार्टर यूएआई में स्थित है। इस एप्लिकेशन के कॉल सेंटर श्रीलंका, नेपाल में भी है।

महादेव एप घोटाला मामला करीब 5000 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। गेम के प्लेटफॉर्म पर मौजूद सभी लॉटरी और बेटिंग ऑप्शन को इस तरह से डिजाइन किया गया था, इसे खेलने वाला प्लेयर्स हमेशा पैसे खोता था और कंपनी फायदे में रहती थी। दरअसल महादेव एप पर सट्टे का खेल 500 रुपये से शुरू होता था। इसे खेलने वाला अगर हार भी जाता था तो कंपनी उसे कुछ धनराशि दे देती थी। लोगों की इसकी लत लग जाती थी। इस एप का विस्तार कितना था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले छत्तीसगढ़ में ही इसके 30 सेंटर थे। जांच एजेंसियों को शक है कि यह घोटाला 5000 करोड़ रुपये का हो सकता है।

ईडी ने इस मामले में कई शहरों में इस एप से जुड़े लोगों की 417 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त और फ्रीज की। महादेव एप का हवाला सिंडिकेट सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में पैसे का पैसे का लेन-देन करता था। ईडी को इस मामले में पाकिस्तान से कनेक्शन के भी सबूत मिले हैं। आरोप है कि एप की मदद से पाकिस्तान के हवाला ऑपरेटरों से भी करोड़ों का लेनदेन किया जाता था।

इस मामले में ईडी की जांच का दायरा बॉलीवुड के कई स्टार्स तक पहुंच गया है। इस मामले में टाइगर श्रॉफ, नेहा कक्कड़, एली अवराम, भारती सिंह, सनी लियोनी, भाग्य श्री, पुलकित, कीर्ति खरबंदा, नुसरत भरूचा, आतिफ असलम, राहत फतेह अली खान, अली असगर, विशाल डडलानी और कृष्णा अभिषेक का भी नाम सामने आया है। इस सट्टा एप के बारे में कई तरह की बातें बाजार में हैं, ऐसे में जब इस मामले का पूरी तरह से पर्दाफाश होगा तभी पूरा सच सामने आएगा।

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