Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – शिवराज-बृजमोहन के दिल्ली शिफ्ट होने से बदल जाएगी एमपी-सीजी की राजनीति!  

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

विधानसभा चुनाव की तर्ज पर ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची चुनाव के तारीखों के ऐलान के पहले ही जारी कर दिया है। जब ज्यादातर बड़ी पार्टी कई स्तरों पर मंथन कर रही है, उसमें भाजपा ने अलग-अलग राज्यों के 195 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में देखा जाए तो यहां की सभी 11 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा भाजपा ने कर दी है वर्तमान सांसदों में से सिर्फ दुर्ग से विजय बघेल और राजनांदगांव से संतोष पांडे को ही मौका दिया है। अरुण साय, रेणुका सिंह और गोमती साय को पहले ही विधानसभा चुनाव में उतार दिया गया था ऐसे में तय था कि इन सीटों पर नए नाम को मौका मिलेगा।

राज्य की सत्ता में काबिज होने के बाद से ही भाजपा राज्य की सभी 11 सीटों पर कब्जा करने का दावा कर रही है। इस बीच प्रधानमंत्री मोदी ने भी 400 पार का नारा बुलंद कर दिया है। उसके बाद से पार्टी में एक नए जोश और उत्साह का माहौल दिख रहा है। छत्तीसगढ़ में जिन 11 नामों का ऐलान किया गया है उस पर कुछ लोग हैरान भी हो सकते हैं इनमें राजधानी रायपुर से बृजमोहन अग्रवाल का नाम और कोरबा से सरोज पांडे को उम्मीदवार बनाना है. बृजमोहन अग्रवाल कई बार के विधायक और मंत्री रहे हैं वे छत्तीसगढ़ की स्थानीय राजनीति के स्थाई शक्ति केन्द्र माने जाते हैं। सरकार किसी की भी हो लेकिन बृजमोहन अग्रवाल के प्रभाव में कहीं कोई कमी नजर नहीं आई। राजधानी के सियासी गलियारे की तो उन्हें रौनक माना जाता है। देर रात उनके बंगले में गहमागहमी बने रहना सामान्य बात है। जब लगभग पूरा शहर सो जाता है तब भी बृजमोहन अग्रवाल से मिलने वालों की लाइन उनके बंगले में होती है। बृजमोहन अग्रवाल अब राष्ट्रीय राजनीति में अपना दम दिखाएंगे।

जिस तरह का माहौल दिख रहा है, देशभर में विपक्ष में बिखराव नजर आ रहा है उससे एक बार फिर मोदी सरकार बनने की उम्मीद है, ऐसे में बृजमोहन जैसे कद्दावर नेता अगर दिल्ली में मौजूद रहेंगे तो छत्तीसगढ़ के लिए संभावनाओं के कई दरवाजे खोल सकता है। बृजमोहन अग्रवाल छोटे विभाग से बड़ा काम करने के लिए जाने जाते हैं। दुर्ग से पहले सांसद रह चुकी सरोज पांडेय को कोरबा से चुनावी मैदान में उतारा गया है। भाजपा नेतृत्व के इस फैसले पर लोगों की अलग अळग राय है। कुछ लोग तो इसे ओवर कॉफिंडेस तक मान रहे हैं। हालांकि एक एक नाम पर बहुत बारीकी से विचार करने के बाद ये नाम तय किए गए हैं, ऐसे में कोरबा में जरूर भाजपा ने इसको लेकर स्टडी किया होगा। खास बात ये भी है कि हाल के दिनों में सरोज पांडे प्रदेश की राजनीति में बहुत ज्यादा सक्रिय नजर भी नहीं आई हैं। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में भी वो सिर्फ भिलाई दुर्ग के शहरी सीटों तक सीमित रही हैं। हालांकि राज्यसभा सदस्य रहते हुए उन्होंने कोरबा से जुड़े सवाल सदन में जरूर उठाते नजर आई हैं। कोरबा के स्थानीय पत्रकारों से जब हमने सरोज पांडे के उम्मीदवारी पर बात की तो उनका मानना था कि सरोज पांडे को लेकर फिलहाल उत्साह का माहौल है वैसे भी पीएम मोदी की लोकप्रियता और राम मंदिर के प्रभाव में सरोज पांडे के लिए कोरबा उतना चुनौतीपूर्ण नहीं होगा जैसे कि पिछले चुनाव में यहां भाजपा को सामना करना पड़ा था। गौरतलब है कि पिछले चुनाव में बस्तर के साथ कोरबा ही ऐसी सीट थी जहां से भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था जहां तक बाहरी उम्मीदवार की बात है तो वर्तमान सांसद ज्योत्सना महंत भी यहां से स्थानीय नहीं रही है। फिर कोरबा सीट का भूगोल भी कई जिलों में फैला हुआ है ऐसे में सरोज पांडे को लेकर बाहरी वाला फैक्टर यहां उतना प्रभावी नजर नहीं आएगा। प्रदेश में सरोज पांडे के अलावा  और महिला प्रत्याशी भाजपा ने उतारा है। संघ की पसंद का भी ख्याल रखा गया है। बस्तर से महेश कश्यप और राजनांदगांव से संतोष पांडेय को मौका मिलना इसकी तस्दीक करते हैं। महेश कश्यप विहिप से जुड़े रहे हैं और बस्तर में धर्मांतरण के मुद्दे को उठाने में काफी सक्रिय नजर आए हैं। उसी तरह संघ के पृष्ठभूमि वाले संतोष पांडेय को विधानसभा चुनाव में बस्तर की जिम्मेदारी मिली थी जहां उन्होंने 12 में से 8 सीटों पर पार्टी को जीत दिलाने में अहम रोल निभाया था।  वे भी धर्मांतरण को आक्रामकता के साथ उठाते रहे हैं इसलिए भी उन्हें पार्टी ने राजनांदगांव से दोबारा मौका दिया है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में 24 नामों का ऐलान भाजपा ने किया है। पूर्व मुख्यमंत्री को विदिशा से उतारा गया है। इस घोषणा के साथ ये तय हो गया है कि पिछले दो दशक से मध्यप्रदेश की राजनीति का सबसे बड़े चेहरा रहे शिवराज अब दिल्ली में काम करते नजर आएंगे। पहले कई बार शिवारज ने एमपी में रहने की इच्छा जताई थी लेकिन पार्टी ने तय कर दिया है कि उनकी जरूरत अब राष्ट्रीय राजनीति में है। माना जा रहा है कि सरकार बनने की स्थिति में उन्हें भी केन्द्र में बड़ा प्रोर्टफोलियो मिल सकता है। हालांकि पार्टी ने अभी पांच सीटों पर उम्मीदवार तय नहीं किया है। पहली लिस्ट में भाजपा ने 195 प्रत्याशियों के नाम शामिल किए हैं। इनमें 28 महिलाएं, 47 युवा, 27 एससी, 18 एसटी और 57 ओबीसी प्रत्याशी हैं। पीएम मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ेंगे। इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश की 51, पश्चिम बंगाल की 20, मध्य प्रदेश की 24, गुजरात की 15, राजस्थान की 15, झारखंड की 11, छत्तीसगढ़ की 11, केरल की 12, तेलंगाना की 9, असम की 11, दिल्ली की 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार तय कर दिए हैं। नितिश कुमार के साथ हाथ मिलाने के बाद अभी बिहार से उम्मीदवार पार्टी ने तय नहीं किया है, हो सकता है वहां विभिन्न सहयोगी पार्टियों के मशवरा के बाद घोषणा हो। भाजपा की लिस्ट में 4 भोजपुरी सिंगर को टिकट दिया गया है। इनमें मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव निरहुआ और पवन सिंह को टिकट दिया गया है। हालांकि भोजपुरी सिंगर पवन सिंह ने पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से चुनाव लडऩे से इनकार कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा-भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को दिल से आभार, लेकिन किसी कारणवश मैं आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा।

कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा ने उम्मीदवारों की घोषणा कर एक तरह से पॉलटिकल लीड ले ली है। अब इसका चुनावी मैदान में कितना लाभ मिलता है ये देखने वाली बात होगी। इतना जरूर है कि छत्तीसगढ़ में बृजमोहन अग्रवाल और मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जैसे कद्दावर नाम के दिल्ली जाने से राज्य की राजनीति में जरूर बदलाव नजर आएगा।

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