Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – गांवों के बाद शहरी क्षेत्र में भेंट मुलाकात

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– Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

कई लोगों की व्यक्तिगत समस्याओं का निराकरण किया वहीं 117 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्यों की सौगात भी दी

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार गांवों में जाकर ग्रामीणों से भेंट-मुलाकात कर रहे थे, इस सिलसिले को और आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अब शहरी इलाकों में भी आम जनता से सीधा संवाद शुरू कर दिया है. सोमवार को मुख्यमंत्री बघेल ने राजधानी के उत्तर रायपुर विधानसभा क्षेत्र में लोगों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कई लोगों की व्यक्तिगत समस्याओं का निराकरण किया वहीं 117 करोड़ से ज्यादा के विकास कार्यों की सौगात भी दी.
अगर देश की राजनीति पर नजर डालें तो जहां बड़े नेता एकतरफा संवाद सोशल मीडिया के जरिए कर रहे हैं. वो भी उनके सोशल मीडिया मैनेजर के जरिए हो रहा है. ऐसे दौर में कोई नेता जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को भरी सभी में सुनने का साहस और समाधान की कोशिश करता है ये बेहद दुर्लभ और जोखिम भरा काम है. ये दुर्लभ नजारा अक्सर छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल पेश करते हैं. हम उनके साथ ग्रामीण इळाकों में, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दौरा कर देख चुके हैं कि वे किस तरह ग्रामीणों के साथ उनके ही रंग में रंग जाते हैं. वैसे छत्तीसगढ़ के साथ ही देशभर में भूपेश सरकार को लेकर एक आम धारणा ये है कि इस सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर पर किसानों के हितों में कई बड़े फैसले लिए हैं और कई योजनाओं का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है. इस बात पर कई बार केन्द्र सरकार के मंत्रियों ने भी मुहर लगाई है. लेकिन इस चुनावी साल में शहरी क्षेत्र में लोगों से सीधा संवाद करना वाकई में साहसिक कार्य कहा जाएगा. जब सरकार अपना साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा कर रही हो, जब उसके कामकाज और घोषणा पत्र को लेकर आम लोग हिसाब मांगने के मूड में हों तब एक मुख्यमंत्री का उनके बीच इस तरह जाना बताता है कि उनकी सरकार अपने इस कार्यकाल में खाली हाथ नहीं बैठी रही. शहरी क्षेत्र के लोगों के बीच जाना भी बताता है कि उनकी सरकार ने ग्रामीण इलाकों के साथ ही शहर में भी काफी कुछ किया है, भले ही इस बात को उस तरह से नोटिस नहीं किया गया.
अगर इसे चुनावी साल में शहरी मतदाताओं को साधने के लिए किए जा रहे प्रयास के तौर पर देखें तो पिछले चुनाव के नतीजे बताते हैं कि कांग्रेस ने ग्रामीण और आदिवासी बाहुल्य सीटों के साथ ही शहरी क्षेत्र में भी बेहतर प्रदर्शन किया था.

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – गांवों के बाद शहरी क्षेत्र में भेंट मुलाकात

पिछले चुनाव में जहां रायपुर के 7 में से 6 विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का कब्जा था, इसी तरह भिलाई, दुर्ग, बिलासपुर, कोरबा, जगदलपुर, अंबिकापुर, रायगढ़ जैसे बड़े शहर और कवर्धा, बेमेतरा, महासमुंद, जशपुर, कांकेर, बालोद जैसे छोटे शहरों में भी कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था. महज राजनांदगांव, धमतरी , जांजगीर-चांपा और मुंगेली जैसे कुछ शहरों में भाजपा ने बढ़त बनाई थी. यानि भूपेश बघेल की अगुवाई में कांग्रेस ने ये भ्रम तोडऩे में कामयाब रही थी कि कांग्रेस सिर्फ ग्रामीण इलाकों में सिमटी हुई पार्टी है बल्कि उसने प्रदेश के बड़े शहरी इलाकों में अपना जादू चलाया था. ऐसे में सरकार इन क्षेत्रों की अनदेखी कैसे कर सकती है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में पंडरी स्थित जिला अस्पताल के पास प्रगति मैदान में भेंट-मुलाकात के बाद आंगनबाड़ी सहायिका कौशल्या सोनी के घर भोजन के लिए पहुंचे। सोनी परिवार ने घर के मुख्य द्वार पर मुख्यमंत्री का तिलक और आरती कर तथा गुलदस्ता व गमछा भेंटकर आत्मीय स्वागत किया। इस दौरान सौनी परिवार ने छत्तीसगढ़ व्यंजनों से मुख्यमंत्री की खातिरदारी की वहीं आंगनाबाड़ी सहायिकाओं के मानदेय को बढ़ाकर 5 हजार रुपए किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री का शुक्रिया अदा किया.
इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर नगर निगम के 84 नए सफाई वाहनों को हरी झंडी दिखाई. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों ने पिछले कुछ सालों में साफ सफाई की और खासा फोकस लिया है इसके लिए रायपुर समेत कई निकायों को केन्द्र सरकार ने सम्मानित भी किय़ा है. कहीं न कहीं ये भी इस सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है. इन वाहनों को हरी झंडी दिखाकर मुख्यमंत्री ने इस अभियान को और आगे बढ़ाने का संकेत दिया है.
माना जाता है कि शहरी मतदाता की सोच और चिंता ग्रामीण इलाकों से कई मामलों में अलग होती है. ऐसे में शहरी जनता का सामना करना साहसिक कदम है. लेकिन इसकी अपनी चुनौतियां भी हैं. खासतौर पर उस दौर में जब चुनावी मौसम में कई राज्यों में धार्मिक रूप से समाज को बांटने की कोशिश हो रही हो, सोशल मीडिया पर सुनियोतिज तौर पर धार्मिक कट्टरता का जहर बोया जा रहा है. उस दौर में विकास की बात और अपने काम काज को लेकर जनता के सामने जाना एक सकारात्मक सिय़ासत का वो उदाहरण है जिसकी सबसे ज्य़ादा जरूरत है.

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