Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – मानव निर्मित आपदा

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

पिछले 24 घंटे में गुजरात से दिल्ली और छत्तीसगढ़ तक मौत का तांडव जारी रहा। दुष्यंत कुमार का शेर है- ‘मौत ने धर दबोचा, एक चीते की तरह
जिन्दगी ने जब छुआ फासला रखकर छुआ
आगजनी की बड़ी घटना में 19 बच्चों समेत 38 लोगों की मौत हो गई। दिल्ली बेबी केयर कांड में 7 बच्चों की मौत हो गई वहीं, राजकोट में राजकोट अग्निकांड में 12 बच्चों समेत 28 लोगों की मौत हो गई। इसके अलावा कृष्णा नगर के एक घर में आग लगने से तीन लोगों की मौत हो गई जबकि छत्तीसगढ़ के बेमेतरा स्थित बारूद फैक्ट्री ब्लास्ट में 12 लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह सारी आपदा मानव निर्मित है, क्योंकि गर्मी के मौसम में एसी, पंखे, कूलर आदि इलेक्ट्रिक उपकरणों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग होता है। एक छोटी-सी चिंगारी को आग पकडऩे में बिलकुल भी देर नहीं लगती। यही कारण है कि इस मौसम में आग की सर्वाधिक घटनाएं होती हैं।
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है तो तापमान बढ़ता है, तापमान पहले से ही ज्यादा है. ऐसे कोई भी स्पार्क होता है तो आग काफी तेजी से फैलती है। गर्मियों में इलेक्ट्रिक फायर ज्यादा होती है। एसी में एम इलेक्ट्रिक मीटर में आग तेजी से लगती है, इलेक्ट्रिक डिमांड की वजह से लोड भी पड़ता है।
आग लगने का वैज्ञानिक कारण यह हैं कि दहनशील पदार्थ पर्याप्त ऑक्सीजन की उपस्थिति में जब पर्याप्त उष्मा, जो श्रृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया को सुचारू रूप से चलाने में सक्षम हो, संपर्क में आता है तो आग पैदा होती है। इनमें से किसी एक की अनुपस्थिति से आग पैदा नहीं हो सकती है। आग लगने की घटना के बाद आमतौर पर भगदड़ मच जाती है। लोग अपनी जान बचाने में जुट जाते हैं. इस तरह की घटना के बाद कुछ दिन का शोर मचता है। कुछ लोगों पर एफआईआर दर्ज होती है और जांच के नाम पर मामला ठंडे बस्ते डाल दिया जाता है. बाकी सिद्दकी का शेर है
‘हर नए हादसे पर हैरानी पहले होती थी अब नहीं होती
जब बार-बार हादसे होते हैं तो लोगों की संवेदनाएं मर जाती हैं। लोग इस ध्यान नहीं देते। सब केवल अपनी परवाह करते हैं। कुछ समाजसेवी होते हैं, हर हादसे के बाद पीडि़तों की सेवा में जुट जाते हैं।
‘तुम अभी शहर में क्या नए आए हो
रुक गए राह में बस हादसा देखकर
आजकल आमतौर पर हादसों के बाद तमाशबीनों की भीड़ इकठ्ठी हो जाती है। कुछ लोग तो वीडियो बनाने में लग जाते है. मगर बचाव कार्य में उनका कोई योगदान नहीं होता। गुजरात के राजकोट में टीआरपी गेमिंग जोन हादसे में 27 लोगों की मौत हो गई। टीआरपी गेमिंग जोन में भीषण आग लगने से करीब पांच किलोमीटर तक धुएं का गुब्बार दिखाई दिया। गेमिंग जोन के अंदर भारी मात्रा में लकडिय़ों के फर्नीचर के अलावा, लकडिय़ों का अन्य मेटेरियल और टायर भी थे, पूरा गेम जोन ईंट कंाक्रीट की बजाय टीन शीट और स्ट्रक्चर लकडिय़ों से बनाया गया था। इस वजह से आग बढ़ती चली गई और पूरा गेमिंग जोन आग की वजह से खाक हो गया। करीब तीन घंटे में आग पर काबू पाया जा सका। इस हादसे में अब हाई कोर्ट ने फायर सेफ्टी को लेकर नगर निगम से जवाब मांगा है। राजकोट हादसे पर हाई कोर्ट की विशेष पीठ ने सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि यह मानव निर्मित आपदा है। अहमदाबाद में सिंधुभान रोड, सरदार पटेल रिंग रोड और एसजी हाईवे पर गेमिंग जोन सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं। कोर्ट ने यह भी पाया कि गेमिंग जोन के निर्माण और संचालन के लिए नियमित और उचित नियमों का पालन नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और खुद संज्ञान याचिका दायर की। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट समेत निगम से स्पष्टीकरण मांगा। कोर्ट ने कहा कि निगम को यह बताना होगा कि कानून के किस प्रावधान के तहत इस गेमिंग जोन को संचालित करने की अनुमति दी गई है।
गेमिंग जोन के आग की यह तपीश ठंडी भी नहीं हुई थी कि दिल्ली के विवेक विहार इलाके में स्थित एक बेबी केयर अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर में धमाका होने के बाद भीषण आग लग गई। अस्पताल में फंसे 12 नवजात बच्चों को कड़ी मशक्कत के बाद रेस्क्यू किया गया, लेकिन इनमें से सात बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि 5 की हालत गंभीर है। आग में अस्पताल पूरी तरीके से जलकर खाक हो गया है। आग इतनी भयानक थी कि अस्पताल के बगल की इमारत भी लपटों की चपेट में आ गयी।
बेबी केयर सेंटर में आग लगने से 7 बच्चों की मौत पर बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल बेबी केयर सेंटर की बिल्डिंग में नीचे अवैध ऑक्सीजन सिलेंडर की रिफिलिंग का काम चल रहा था। एक स्थानीय निवासी ने इसे लेकर कई बार शिकायत की थी और बेबी केयर सेंटर के मालिक को भी कहा था। कुछ डिपार्टमेंट तक से इसकी शिकायत की थी लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ। सवाल उठ रहे हैं कि यहां आखिर इतनी बड़ी संख्या में ऑक्सीजन सिलेंडर क्यों रखे गए थे और क्यों मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ किया गया।
दिल्ली के विवेक विहार अग्निकांड के बाद पूर्वी दिल्ली के ही कृष्णा नगर इलाके से भी भीषण आग की घटना सामने आई है। आग एक एक बिल्डिंग के चौथे फ्लोर पर लगी थी। आग से तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। जबकि 12 लोगों को दमकल कर्मियों ने स्थानीय लोगों की मदद से बचा लिया अब तक जांच में सामने आया है कि यहां कोई इलेक्ट्रिक टू व्हीलर ओनर अपने वाहन को चार्जिंग पर लगाकर चला गया था। पहले उसमें आग लग गई और उसके बाद इलेक्ट्रिक मीटर में लगी, जिससे धुंआ घर में भरता चला गया और तीन लोगों की मौत हो गई। दिल्ली फायर विभाग के एसटीओ ने बताया कि आग घर की स्टिल्ट पार्किंग में 11 दोपहिया वाहनों में लगी थी, जिस बिल्डिंग में आग लगी थी, उसमें चढऩे के लिए केवल एक सीढ़ी थी। सीढ़ी के पास बिजली मीटर लगे थे यही वजह है कि आग लगने से लोगों के भागने का रास्ता बंद हो गया। फायरकर्मियों ने 12 लोगों बचा लिया। दुर्भाग्य से दो लोगों की जान चली गई।
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा स्थित बेरला के ग्राम बोरसी में बारूद फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ था। इसमें 12 लोगों के मारे जाने की आशंका है। इस जोरदार धमाके में कई लोगों के मलबे में दबे होने की भी आशंका है। ब्लास्ट से आसपास की बिल्डिंग तक हिल गई। जहां ब्लास्ट हुआ वहां 15-20 फीट का गड्ढा हो गया। इसके बाद आसपास काम कर रहे मजदूरों को तुरंत निकाला गया। 3 सेटअप के आसपास एक्सप्लोसिव लिक्विड भरे 4 टैंक थे। इसमें से एक टंकी ब्लास्ट में जमींदोज हो गई है। नष्ट हुई टंकी से लिक्विड ब्लास्ट होता रहा। बताया जा रहा है कि किसी मशीन में आग लगी जिसके बाद यह ब्लास्ट हुआ। यहां 8-10 मजदूर मौके पर थे। फैक्ट्री में 800 से ज्यादा लोग काम करते हैं।
आग लगने पर सबसे पहले फायर की टीम को इत्तिला देनी चाहिए। बड़ी आग को खुद नहीं बुझाया जा सकता, उसके बाद खुद बाहर चले जाएं और फायर फाइटिंग ना करें. फायरफाइटर को रास्ता देना चाहिए, लोग भीड़ इक_ी कर लेते हैं जिससे फायर की टीम को पहुंचने में मुश्किल होती है। सबसे बड़ी मुश्किल फायर टीम के सामने यह है कि इनफार्मेशन समय पर नहीं मिलती, इनफॉरमेशन सही नहीं मिलती और लोग सड़क पर जमघट लगा लेते हैं और यही वजह है कि जो हमारा गोल्डन टाइम होता है 5 से 8 मिनट का वह खराब हो जाता है। आगजनी के मामले को देखते हुए सभी कामों के पैमाना तय होना चाहिए। साथ ही उन पैमाने के पालन के लिए भी सख्ती होनी चाहिए। पैमाने का पालन नहीं करने और ना करवा पाने वालों के विरूद्ध कार्रवाई भी सुनिश्चित होनी चाहिए।

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