-सुभाष मिश्र
अभी पश्चिम बंगाल में जब चुनाव हुआ था तो ये जुमला खूब चला था कि खेला हो गया। अब हरियाणा का चुनाव होने जा रहा है जहां बहुत से खिलाडिय़ों को टिकट मिल रही है। हम ये भी देखते हैं कि हमारे देश में जो सेलिब्रेटी बनता है या जो वोट दिला सकता है, तो सियासी पार्टियां उसको जल्दी से जल्दी लपकती हैं। यह सिलसिला लंबे अरसे से चल रहा है, चाहे वो क्रिकेट के खिलाड़ी हो, फुटबॉलर हों या फिर हॉकी के खिलाड़ी हों। पहलवान हो या फिर सिनेमा के एक्टर हों, जिस भी खिलाड़ी अथवा एक्टर ने नाम कमाया हो, उसको लेकर सियासी पार्टियों की यही कोशिश रहती है कि जल्दी से जल्दी उसका सियासत में प्रवेश करवा कर उसकी लोकप्रियता का लाभ उठाएं। ऐसे में अगर हम बात करें साउथ की तो वहां तो बहुत सारे एक्टर सियासत में आते हैं, मुख्यमंत्री भी बनते हैं। ये सभी लोग फिल्मी जगत से आते हैं। अब अगर हम बात करें उत्तर भारत की तो सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को उस वक्त के बड़े नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया था। प्रयागराज को हेमवती नंदन बहुगुणा की कर्मभूमि माना जाता था। वे वहां के एक बड़े जनाधार वाले नेता थे। हम देखते हैं कि गोविंदा जैसे एक्टर को भी चुनाव लड़ाया जाता है। उसको सांसद बनाया जाता है। बहुत से एक्टर राजनीति में आते हैं, इनमें से कुछेक टिक जाते हैं क्योंकि राजनीति उनको भाती है। भोजपुरी के सुपर स्टॉर मनोज तिवारी भी सियासत में आते हैं और अभी भी सांसद हैं। कुछ लोगों को लगता है कि उनकी ही दुनिया बेहतर है। अब हम बात करते हैं हरियाणा की जहां अभी चुनाव की टिकटें बंट रही हैं, और उसमें जिस तरह की सियासत हो रही है। हम उसको देखते हैं और जरा सा पीछे जाते हैं कुश्ती संघ में जो विवाद हुआ था, उसमें बृजभूषण शरण सिंह पर जो आरोप लगे थे। उनके उपर पहलवानों ने काफी गंभीर आरोप लगाए थे। बृजभूषण शरण सिंह भाजपा से सांसद थे। भाजपा उनके साथ उस तरह से खड़ी नहीं हुई। बाकी का विपक्ष वो खिलाडिय़ों के पक्ष में लामबंद हुआ। जब पेरिस में ओलंपिक गेम हुए उसमें हरियाणा के खिलाडिय़ों ने पदक के लिए जद्दोजहद की। हरियाणा की विनेश फोगाट वो कुश्ती के सेमी फाइनल में पहुंचती हैं, जहां से उनको वजन ज्यादा होने के आरोप में हटा दिया जाता है। उसके बाद हरियाणा की सरकार उसको ढेर सारे सम्मान देती है, उसका हीरों की तरह स्वागत होता है। ऐसे ही समय में हरियाणा में चुनाव डिक्लेयर होते हैं। हरियाणा में भाजपा सत्ता में तो है मगर सर्वे बता रहे हैं कि उसकी हालत बहुत खराब है। उसके अंदरखाने में ढेर सारे विवाद चल रहे हैं। ऐसे समय में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी यहां एक साथ मिलकर चुनाव लडऩा चाहती हैं। वहां की स्थानीय पार्टियां भी चुनाव लडऩा चाहती हैं।
हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर हो रहे चुनाव में 2019 की तरह कुछ खिलाड़ी भी लड़ रहे हैं। इनमें भाजपा की पहली लिस्ट में महम से कबड्डी खिलाड़ी दीपक हुड्डा और शूटिंग प्लेयर आरती राव का नाम है। वहीं कांग्रेस ने पहलवान विनेश फोगाट को जुलाना से मैदान में उतारा है। वैसे तो पहलवान योगेश्वर दत्त, बबीता फोगाट, बॉक्सर विजेंद्र और महिला बॉक्सर स्वीटी बूरा ने भी दावेदारी ठोकी थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला।
अभी हम देखते हैं कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया के बयान सोशल मीडिया में खूब आ रहे हैं। उनके बयान को बृजभूषण शरण सिंह लगातार काउंटर कर रहे हैं। अब ऐसे में अगर हम हरियाणा से आने वाले खिलाडिय़ों की बात करें तो मशहूर क्रिकेटर कपिल देव और वीरेंद्र सहवाग हैं, मगर ये दोनों ही लोकप्रिय खिलाड़ी सियासत में नहीं आए। तो वहीं अगर हम बात करते हैं रविंद्र जडेजा की तो उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद हाल ही में भाजपा ज्वाइन की है। वहीं हम देखते हैं कि यूसुफ पठान ने तृणमूल कांग्रेस से चुनाव लड़ा। गौतम गंभीर दिल्ली से चुनाव लड़े सांसद भी बने मगर उनको राजनीति रास नहीं आई, तो वे वापस क्रिकेट की दुनिया में वापस आ गए। इसके अलावा जयवर्धन सिंह राठौर जिन्होंने निशानेबाजी में नाम कमाया। वे मंत्री भी बनें, बबिता फोगाट ने भाजपा ज्वाइन किया था, वे काफी मुखर भी रही हैं। ऐसे तमाम नाम हैं, इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिनको संसद के उपरी सदन यानि राज्य सभा में भी भेजा गया। इनमें मैरीकॉम का नाम प्रमुख रूप से लिया जा सकता है। इन्हीं सब के बीच एक और नाम आता है नवज्योत सिंह सिध्दू का, वो क्रिकेटर थे और फिर बाद में राजनीति में आए। उसके बाद फिर वे टीवी के तमाम शो के लिए भी काम करते रहे, अभी भी कर रहे हैं। वो एक अलग किस्म के नेता और खिलाड़ी हैं। वो बहुत मुखर हैं, बाकी के खिलाड़ी उस तरह से मुखर नहीं हैं। मोहम्मद अजहरूद्दीन जो कि क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे। बाद में उन्होंने भी राजनीति में प्रवेश किया। वे सांसद भी बने थे।
परगट सिंह जो कि हॉकी के खिलाड़ी थे, उनको शिरोमणि अकाली दल से टिकट दिया गया था। इसके अलावा दिलीप तिर्की हैं जो हॉकी के खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने बीजू जनता दल से टिकट लेकर चुनाव लड़ा था। इसके बाद नवाब मंसूर अली खां पटौदी देश के नामी क्रिकेटर रहे, जो कि हरियाणा से ही थे। उन्होंने भी थोड़े समय के लिए सियासत की थी। ये तो हमने कुछ प्रमुख प्लेयर्स के सियासत में आने की बात की, मगर अब बात करते हैं हरियाणा की जहां से बड़ी तादाद में खिलाड़ी आते हैं। खिलाडिय़ों को वहां ढेर सारी सुविधाएं मिलती हैं। खिलाड़ी भी वहां से कबड्डी, डिस्कस थ्रो, कुश्ती के अलावा तमाम दूसरे खेलो में हिस्सा लेते हैं। हरियाणा में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दलों की कोशिश यही है कि कैसे हम यहां अपना सियासी प्रभुत्व कायम कर सकें। खेल के मैदान से विधानसभा तक जाने का सपना तो तमाम खिलाडिय़ों ने पाल रखा है मगर उनमें से कितनों को ये सौभाग्य नसीब हो पाता है? हरियाणा के सांसद रहे संदीप सिंह जिन पर उनके ही जूनियर खिलाड़ी ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। उसके कारण उनकी सांसदी भी जाती रही। हरियाणा की राजनीति में खेल और खिलाड़ी का बेहद ही गहरा तअल्लुक है। ये खिलाड़ी खेल के मैदान में तो खेलते ही हैं, मगर राजनीति में मैदान में भी अपने दांव लगाने से बाज नहीं आते हैं। इसमें कइयों को सफलता मिलती है तो कइयों को असफलता। ऐसे वक्त में अगर हम बात करें विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया की तो दोनों सोशल मीडिया में काफी चर्चा में हैं। ये खेल के कारण तो चर्चे में हैं ही, मगर सियासत में इनके जाने की चर्चा भी सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रही है। ऐसे में निश्चित रूप से हरियाणा की राजनीति में खिलाड़ी एक अहम रोल प्ले कर रहे हैं।
हरियाणा चुनाव के आंकड़े खिलाडिय़ों के मामले में काफी दिलचस्प हैं। हरियाणा में खिलाडिय़ों के लिए सियासी दंगल बिल्कुल भी आसान नहीं रहा है। वैसे तो खेल के मैदान से विधानसभा तक पहुंचने का सपना तो कई खिलाडिय़ों ने देखा, लेकिन सफल केवल हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह हो पाए। हालांकि, वे भी मंत्री रहते जूनियर महिला कोच के यौन शोषण केस में फंसकर पहले मंत्रीपद और अब सीट गंवा बैठे थे।
पिछले साल हरियाणा के पहलवानों द्वारा पूर्व कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ किए गए आंदोलन में सबसे आगे थे। बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीडऩ का आरोप लगा था। इसके अलावा, हाल ही में पैरिस ओलंपिक में पदक से चूकने के बाद विनेश के प्रति जनता की जबरदस्त सहानुभूति है जिसे भुनाने की फिराक में कांग्रेस पार्टी है। कांग्रेस को यह दॉव उल्टा भी पड़ सकता है। रोहतक में सर्वखाप पंचायत ने पेरिस में 50 किलोग्राम महिला वर्ग के फाइनल से पहले अयोग्य ठहराए जाने के बाद पहलवान विनेश को भारत लौटने पर स्वर्ण पदक से सम्मानित किया था। यानि वह जाट बहुल क्षेत्रों में अपार लोकप्रियता का फायदा उठा सकती हैं लेकिन गैर-जाट-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में भाजपा नेता उसकी उम्मीदवारी को इस बात का सबूत बता सकते हैं कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के पीछे कांग्रेस थी। वह जनता को यह दिखाने की कोशिश करेंगे देखो, हम तो पहले ही कह रहे थे कि ये राजनीति में घुसने की साजिश है।
किसी को भी बड़ा अवसर तब मिलता है जब वो बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय होता है, या फिर उसका नाम इतना बड़ा हो जाए कि लोग उसको उसके नाम से ही जानने लगें। जैसा अभी बांग्लादेश में हुआ कि वहां जब बड़ी आपदा आई तो वहां के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मौका दिया गया। सियासत में सिक्का उसी का चलेगा जिसकी जनता के बीच भी चलती हो। यही चीजें सियासी पार्टियों के आका देखा करते हैं। यही कारण है कि उनकी यही कोशिश होती है कि कोई रसूखदार और बड़े जनाधार वाला कलाकार या फिर खिलाड़ी अगर मिल जाता है तो उनका सियासी मकसद काफी हद तक हल हो जाया करता है। अभी हरियाणा का चुनाव होने जा रहा है इसके बाद ही पता चल पाएगा कि बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट का जादू हरियाणा के चुनाव में कितना चला। इसका कितना फायदा कांग्रेस पार्टी को वहां पर मिला? कांग्रेस ने हरियाणा की 90 सीटों में से जिन-जिन भी सीटों पर खिलाडिय़ों को उतारा है वे उन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को कितनी बढ़त दिला पाएंगे। ये एक सवाल है। अभी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ इनकी बैठकें हुई हैं और अब इनके बयान भी सामने आने लगे हैं। राजनीति में कोई गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल नहीं होता है। यहां बस एक ही चीज होती है वह है जीत और हार। सियासत एक बेहद ही क्रूर किस्म का काम है। यहां के कायदे-कानून उस तरह के नहीं होते जैसे कि खेल के मैदान के होते हैं। ये बात भी खिलाडिय़ों को समझनी पड़ेगी। यहां पर कोई न कोई आप पर सनसनीखेज आरोप लगाकर आपका सियासी कॅरियर चैपट कर सकता है। आपको सलाखों के पीछे तक भी भेज सकता है। इसका नमूना आप ऐसे समझें कि भाजपा के सांसद बृजभूषण शरण सिंह जिन पर महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोप लगा था। अब वे ही उन्हीं खिलाडिय़ों और पहलवानों को लेकर कुछ ज्यादा ही बयानबाजी कर रहे हैं। ऐसे में जो ये पहलवान अब सियासी अखाड़े में आए हैं आने वाले समय में उनके चाल-चरित्र और चेहरे को लेकर भी बहुत कुछ सुनने को मिलेगा। पर वे खिलाड़ी हैं उनको दिमागी तौर पर ऐसे आरोपों के लिए तैयार भी रहना होगा। ऐसे में देखने वाली बात तो ये होगी कि हरियाणा की राजनीति अब किस करवट बैठती है?