Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – विचारधारा पर भारी है चुनाव का टिकिट

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र

सत्ता की सवारी सबको अच्छी लगती है। सत्ता पाने के लिए जरुरी है कि पहले पार्टी का टिकिट मिले, पार्टी जीते। यदि किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिले तो बागी विधायक, निर्दलीय विधायक के रुप में जैसी चाहे वैसी बारगेनिंग की जा सकती है। राजनीतिक विचारधारा, पार्टी के साथ जुड़ाव अब सेकेंडरी हो गया है। यही वजह है कि टिकिट कटते ही कल तक कांग्रेसी रहे भाजपाई, बसपाई समाजवादी हो जाते हैं। वैसे ही हिन्दुत्व की पाठशाला छोड़कर बहुत से भाजपाई धर्मनिरपेक्षता का राग अलापने लगते हैं। बहुत सारे नेता समय की गति को भांपकर जैसी चले बयार पीठ को तैसी कीजिए में विश्वास करते हैं। बहुत सारे लोग फिक्स, मिडिलमेन की भूमिका में होते हैं, वे बड़े फक्र से कहते हैं, कोई नृप होए हमें का हानि। हम जिस समय में रह रहे हैं वहां अधिकांश पार्टियों के नेताओं की समझ, चरित्र एक जैसा दिखाई देता है। उनकी अपनी आईडियोलॉजी अलग-अलग मुद्दों, विषयों पर समय साफ नहीं होती। यही वजह है कि वे बड़ी आसानी से पार्टी बदल लेते हैं। कल तक जो पानी पी-पीकर एक दूसरे को गाली देते नहीं थकते थे, वे अपनी विरोधी पार्टी का झंडा बैनर पकड़े जिंदाबाद के नारे लगाते दिखते हैं। कहावत भी है कि जब बाढ़ आती है तो बचने के लिए शेर, भालू, लोमड़ी, चीते सभी जीव-जंतु एक ही जगह इकट्ठे होकर अपनी जान बचाते हैं। चुनाव और बाढ़ एक चरित्र एक सा होता है।
कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी से बगावत करने के बाद कांग्रेस ज्वाइन करने वाले नेताओं को अपना हथियार बनाया है। बीजेपी से आने वाले करीब सात नेताओं को विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने टिकट दिया है। बीजेपी का साथ छोडऩे वाले दीपक जोशी को कांग्रेस पार्टी ने देवास जिले की खातेगांव सीट से टिकट दिया है। बीजेपी से बगावत करने वाले अभय मिश्रा को रींवा जिले की सेमरिया सीट से टिकट का इनाम मिला है। इंदौर में बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस ज्वाइन करने वाले वरिष्ठ नेता भंवर सिंह शेखावत को कांग्रेस ने धार जिले की बदनावर सीट से उम्मीदवार बनाया है। बागी समंदर पटेल नीमच जिले की जावद सीट पर टिकट पाने में कामयाब हुए हैं। बीजेपी से पूर्व विधायक रहे गिरजा शंकर शर्मा को होशांगाबाद सीट से टिकट देकर कांग्रेस ने जोरदार चाल चली है। अमित राय और राकेश सिंह चतुर्वेदी को क्रमश: निवाड़ी और भिंड सीट से टिकट देकर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ कांग्रेस की बात करें तो पार्टी के 4 बागी उम्मीदवारों को बीजेपी की पांचवी लिस्ट में जगह मिली है। पांचवी लिस्ट के उम्मीदवारों की बात करें तो भाजपा ने बड़वाह विधानसभा सीट के लिए सचिन बिड़ला, सुसनेर विधानसभा सीट के लिए राणा विक्रम सिंह, वारासिवनी विधानसभा सीट के लिए प्रदीप जायसवाल और त्योंथर विधानसभा सीट के लिए सिद्धार्थ तिवारी शामिल हैं।
अब तक कांग्रेस को बागियों से ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है। कांग्रेस से अब तक कम से कम 40 बागियों के नाम सामने आ चुके हैं जो चुनाव लडऩे की तैयारी कर चुके हैं। बीजेपी से भी बागियों की संख्या कम नहीं है। प्रदेश की अब तक 26 सीटों पर टिकट कटने के बाद बीजेपी को चुनावी बगावत का सामना करना पड़ रहा है। मध्यप्रदेश में विधान सभा की 230 विधानसभा हैं।
अंतरकलह का सामना कर रही कांग्रेस के लिए मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। विधानसभा चुनाव के दावेदार वरिष्ठ नेताओं से मिलकर लगातार उम्मीदवार बदलने की मांग कर रहे हैं। नए उम्मीदवारों में सुमावली से कुलदीप सिकरवार की जगह अजब सिंह कुशवाह, पिपरिया से गुरुचरण खरे की जगह विरेंद्र

बेलवंशी, बडऩगर से राजेंद्र सिंह सोलंकी की जगह मुरली मोरवल और जावरा से हिम्मत श्रीमाल की जगह विरेंद्र सिंह सोलंकी को मौका दिया गया है। कांग्रेस का कहना है कि पार्टी के अंदर आंतरिक लोकतंत्र है। पार्टी में किसी तरह की कोई तानाशाही नहीं है। गोटेगांव सीट से पूर्व विधायक शेखर चौधरी का टिकट बदलकर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति, दतिया से गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ अवधेश नायक का टिकट बदलकर राजेंद्र भारती और पिछोर सीट से शैलेंद्र सिंह की जगह अरविंद सिंह लोधी को टिकट दिया गया है।
इधर, निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर होने के बाद अब आमला विधानसभा सीटें से भी कांग्रेस प्रत्याशी बदले जाने की चर्चा है। कांग्रेस ने इस सीट से मनोज मालवे को टिकट दे दिया है। निशा बांगरे ने अब विधिवत कांग्रेस की सदस्यता ले ली है।
छत्तीसगढ़ में भी भाजपा कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर आंतरिक कलह खुलकर सामने आने लगी है। भाजपा के लोकप्रिय विधायक देवजी भाई पटेल हो या कांग्रेस में उत्तर रायपुर से टिकिट की आस लगाये बैठे अजित कुकरेजा। जोगी कांग्रेस ऐसे नेताओं को खोज-खोजकर टिकिट दे रही है जिन्हें उनकी ही पार्टी से टिकिट नहीं मिली।
आरंग विधानसभा में सतनामी समाज के धर्मगुरु बालदास के बेटे खुशवंत साहेब ने हज़ारों कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा ज्वाइन किया, लेकिन आरंग से सीट मिलने की गुंजाइश थी और सीट नहीं मिली, वहीं आरंग विधानसभा से हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं की भीड़ बीजेपी कार्यालय में नारेबाजी करती रही लेकिन पार्टी के उच्च स्तरीय नेताओं ने इस मामले पर चुप्पी साधी रखी, धरसींवा विधानसभा में भी अभिनेता से नेता बने अनुज शर्मा का विरोध हो रहा है। लोगों ने अनुज शर्मा का पुतला भी फूंक दिया। कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है। लोरमी विधानसभा से धर्मजीत सिंह को टिकट मिला है, इन्होंने जेसीसीजे से चुनाव लड़ा और फिर अब भाजपा में आए हैं। अब वे भाजपा की तखतपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा आम चुनाव को लेकर कांग्रेस की अंतिम सूची जारी होने के बाद बगावती सुर दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बनती जा रही है। यही विरोध महासमुंद में भी कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकती है। कांग्रेस टिकट वितरण से नाराज डेढ़ साल पहले कांग्रेस प्रवेश कर नगर पालिका अध्यक्ष बनी राशि त्रिभुवन महिलांग ने दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) से नामांकन पत्र खरीदा है। मनेंद्रगढ़ से कांग्रेस के बागी विधायक विनय जायसवाल ने नामांकन पत्र खरीदा । जीजीपी से लडऩे के कयास लगाए जा रहे हैं और कहा कि कई राजनीतिक दल संपर्क में हैं। सरायपाली से बागी कांग्रेस विधायक किस्मत लाल नंद को जोगी कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है।
जोगी के खिलाफ कांग्रेस से चुनाव लडऩे वाले गुलाब राज अब जोगी कांग्रेस में शामिल हुए। मरवाही से टिकट की उम्मीद है। बिल्हा विधानसभा से पूर्व विधायक और कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अरुण तिवारी ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया। कांग्रेस के रामशरण यादव ने बिलासपुर और बेलतारा से नामांकन फार्म खरीदा जबकि यहां से कांग्रेस ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। लोरमी से जिला कांग्रेस अध्यक्ष सागर सिंह बागी बने। जोगी कांग्रेस का दामन थामा। मुंगेली से ही टिकट नहीं मिलने से नाराज कांग्रेस की अंबालिका साहू ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है। बीजेपी प्रवेश से हड़कंप मचा हुआ है। छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण बोर्ड की सदस्य थीं। कांग्रेस के बागी प्रत्याशी अनूप नाग अंत सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में। राजनांदगांव से कांग्रेस के बागी नेता और पूर्व महापौर नरेश डकलिया निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। बीजेपी के राजेश श्यामकर ने डोंगरगढ़ सीट से निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने अपने 71 में से 22 सीटिंग एमएलए का टिकट काट दिया है। इसके साथ ही पार्टी ने 2018 में चुनाव हारे ज्यािदातर प्रत्याशियों को भी टिकट नहीं दिया है। अंतागढ़ से विधायक रहे अनूप नाग निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। नाग को मनाने की पार्टी की तरफ से हरसंभव

कोशिश की गई, लेकिन उन्हों ने नाम वापस नहीं लिया। इधर, सरायपाली से टिकट काटे जाने से नाराज विधायक किस्मतलाल नंद भी चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। नंद को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने टिकट भी दे दिया है। पार्टी में बगावत की तीसरी बड़ी खबर धमतरी से आ रही है। वहां 2018 में कांग्रेस प्रत्यााशी रहे पूर्व विधायक गुरुमुख सिंह होरा टिकट नहीं मिलने से बेहद नाराज हैं। होरा ने निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है।
दरअसल, चुनाव के समय दल-बदल करके टिकिट पाने वाले लोग हों या चुनाव के बाद सत्ता का स्वाद चखने के लिए पार्टी बदलकर दूसरी पार्टी ज्वाइन करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि हों, उनकी अपनी कोई राजनीतिक विचारधारा, आदर्श नहीं होते। उन्हें ऐन-केन प्रकारेण सत्ता चाहिए। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में इसका नजारा साफ दिख रहा है। भाजपा और उसके साथ दलों को सत्ता से बाहर रखन के लिए बना इंडिया गठबंधन के दल भी विधानसभा में एक-दूसरे के सामने प्रतिद्वंदी के रुप में खड़े हैं। छह माह बाद यही दल लोकसभा चुनाव के लिए आपस में गलबहियां करते दिखेंगे। जनता समझ नहीं पा रही है कि कौन किसके खिलाफ है और किसके साथ।
गजानन माधव मुक्तिबोध इसलिए उनसे मिलने वालों से अक्सर पूछते थे कि-
पार्टनर तुम्हारी पालिटिक्स क्या है?
चुनाव में यही बात अब पार्टी से बगावत करके चुनाव में डटे उम्मीदवारों से पूछना चाहिए।

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