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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – चुनाव : मुद्दों पर मैनेजमेंट भारी !

 -सुभाष मिश्र लोकतंत्र में पांच साल के अंतराल में जनता की बारी आती है और वो अपने अधिकार का उपयोग कर किसी को सत्ता के शीर्ष पर बैठाती है तो किसी को वहां से नीचे गिरा देती है। कई मिले जुले कारकों से मिलकर आता है जनादेश। पिछले कुछ सालों में इन कारकों को अपने […]

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Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से – विचारधारा पर भारी है चुनाव का टिकिट

-सुभाष मिश्र सत्ता की सवारी सबको अच्छी लगती है। सत्ता पाने के लिए जरुरी है कि पहले पार्टी का टिकिट मिले, पार्टी जीते। यदि किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत न मिले तो बागी विधायक, निर्दलीय विधायक के रुप में जैसी चाहे वैसी बारगेनिंग की जा सकती है। राजनीतिक विचारधारा, पार्टी के साथ जुड़ाव अब सेकेंडरी

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