Editor-in-Chief सुभाष मिश्र की कलम से -बजट ने मिडिल क्लास को किया निराश 

Editor-in-Chief सुभाष मिश्र

-सुभाष मिश्र 

पिछले कुछ दिनों से लोगों के बीच बजट एक आम चर्चा का विषय बना हुआ था और अब पेश हो जाने के बाद भी बना हुआ है। वजह साफ है अगले कुछ महीनों में चुनाव जो हैं। जाहिर सी बात है जब चुनाव रहते हैं, तब अपेक्षाएं भी ज्यादा रहती हैं। ये अलग बात है की जनअपेक्षाएं कितनी पूरी होती हैं और कितनी अधूरी रहती हैं।
बजट के अलग-अलग पहलुओं पर बात करने के पहले आइये जानते हैं की आखिर ये बजट है क्या। दरअसल, बजट एक वित्तीय योजना है जो एक तय समय के लिए अपेक्षित आय और व्यय की रूपरेखा तैयार करता है। बजट समग्र विकास के लक्ष्यों और उद्देश्यों को हासिल करने के लिए संसाधन, आवंटन का मार्गदर्शन करने वाला एक रोडमैप है। इसमें भविष्य की आर्थिक जरूरतों का अनुमान, खर्च की सीमा और कर्ज जैसे पहलुओं का लेखाजोखा होता है। सरकारों की कोशिश यह रहती है कि बजट में सभी वर्गो का ख्याल रखा जाये और इसे लोककल्याणकारी स्वरुप दिया जाये।
चूँकि इस बार सामने लोकसभा चुनाव हैं इसलिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट पेश किया। वित्त मंत्री के रूप में यह उनका छठवां बजट था। आमतौर पर चुनाव से पहले अंतरिम बजट ही पेश होता है। अंतरिम बजट दो स्थितियों में पेश किया जाता है। एक या तो सरकार के पास पूर्ण या आम बजट पेश करने का समय नहीं हो या फिर तुरंत चुनाव होने वाला हो। दोनों ही स्थितियों में सरकार नए कारोबारी साल के बचे हुए महीने के लिए खर्च की अनुमति संसद से लेती है। जैसी परंपरा चली आ रही है मुताबिक चुनाव के बाद नई सरकार ही पूर्ण बजट पेश करती है।
इस अंतरिम बजट की खास बात यह रही है कि इसमें कुछ चुनिंदा वर्गों को खुश करने की कोशिश नजर आती है। अपने 58 मिनट के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने यह साफ कर दिया कि सरकार का फोकस चार जातियों पर है। ये चार जातियां हैं-गरीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता यानि की किसान। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं करके केंद्र सरकार ने मध्य्मवर्गीय आयकरदाताओं को साधने की कोशिश की है। वहीं फ्री बिजली का ऐलान कर आने वाले समय में रूफटॉप सोलराइजेशन से 1 करोड़ परिवारों को लाभ देने की बात कही। वित्त मंत्री ने कहा कि इससे हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलेगी। उन्होंने इसके जरिये पंद्रह हजार से अ_ारह हजार रुपये तक की बचत होने का दावा भी किया। अपने बजट भाषण में उन्होंने गरीबों को अपना घर मुहैया कराने की योजना भी बताई। इसके जरिये किराए के मकानों, झुग्गियों या अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को अपना घर खरीदने के लिए सरकार नई हाउसिंग स्कीम लाएगी। साथ ही यह जानकारी भी दी कि गरीबों के लिए अगले पांच साल में करीब दो करोड़ करोड़ नए मकान बनाने का लक्ष्य है। सत्तर फीसदी घरों का मालिकाना हक महिलाओं को दिया जायेगा।
वित्त मंत्री ने देश में आध्यात्मिक पर्यटन बढ़ाने की सम्भावनाओ पर भी चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों को उनके प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों का व्यापक विकास करने, वैश्विक स्तर पर उनकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। ऐसे में सरकार की मंशा उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर को भारत का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र बनाने की है। मंदिर में भगवन राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से पर्यटक बड़ी संख्या में श्री राम लला के दर्शन के लिए जा रहे हैं। इसके अलावा विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने इस अंतरिम बजट में केंद्र सरकार राज्यों को पचास साल के लिए 75 हजार करोड़ रूपये का ब्याज मुक्त कर्ज मुहैया कराएगी। वहीं स्कूल शिक्षा के लिए 73 हजार करोड़ रूपये का बजट में प्रावधान किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार मौजूदा अस्पतालों के बुनियादी ढांचे का उपयोग कर अधिक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना बना रही है। सर्वाइकल कैंसर का खात्मा करने के लिए 9 से 14 वर्ष की लड़कियों के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जायेगा। बजट में सरकार ने रक्षा खर्च को 11.1 फीसद तक बढ़ाने की बात कही है यह, सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 फीसद होगा। रेलवे के विकास और विस्तार की बात करते हुए उन्होंने कहा कि वंदेभारत स्तर के 40 हजार रेल डिब्बे बनाए जाएंगे। इसके अलावा ज्यादा भीड़ वाले रेल मार्गों के लिए 3 अलग कॉरिडोर बनाएं जाएंगे। वित्त मंत्री ने महिलाओं के लिए लखपति दीदी योजना का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने की योजना बनाई है और अभी तक एक करोड़ को लखपति बना दिया गया है।
हालांकि, इस लोक लुभावन और चुनावी अंतरिम बजट में कई वर्गो पर उस तरह फोकस नहीं हो पाया है जैसा होना चाहिए था। वहीं, केंद्र सरकार के कुल शुद्ध कर राजस्व में वैसी तेजी भी नहीं दिखी जैसा कि 2023 के बजट में अनुमान लगाया गया था। उस लिहाज से देखा जाए तो वैश्विक परिदृश्य के कुछ पहलू ऐसे हैं जिन पर लगता है कि बजट पर विचार के दौरान पूरी तरह गौर नहीं किया गया। ये वाले समय में व्यय को नियंत्रित करने की प्रतिबद्धता पर असर डाल सकते हैं। मसलन, यूरिया सब्सिडी में चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में अगले वर्ष 9 फीसदी कमी आने के आसार हैं। पेट्रोलियम सब्सिडी हालांकि अब बहुत कम है लेकिन उसमें भी गिरावट आने की सम्भावना है। इसमें मध्यम अवधि में तेल और गैस कीमतों को लेकर आशावादी रुख अपनाया गया है। पश्चिम एशिया में हालात ठीक नहीं हैं, ऐसे में तेल और गैस कीमतों को लेकर बहुत आशावादी होना भी उचित नहीं।
उधर, रक्षा बजट अल्पकालिक और दीर्घकालिक वैश्विक खतरों से अंजान नजर आता है। रक्षा के लिए आवंटन में काफी कमी की गई है यानी रक्षा बजट में कमी आना तय है। रक्षा क्षेत्र का पूंजीगत व्यय भले ही मामूली रूप से बढ़े लेकिन यह स्पष्ट है कि सरकार को लम्बी अवधि में अपने रुख का फिर से परीक्षण करना होगा ताकि सेना को जरूरी राशि मुहैया कराई जा सके। वेतन और खासतौर पर पेंशन को बड़े पूंजीगत सुधारों के हिस्से पर काबिज नहीं होने दिया जा सकता है। खासतौर पर तब जबकि सेना पर वास्तविक व्यय स्थिर हो या लगातार घट रहा हो।
वहीं उच्च सब्सिडी वाली औद्योगिक नीति की और वैश्विक रुझान को लेकर भारत ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया है। हालांकि कई उत्पादन सम्बंधित योजनाओं की घोषणा की गई जिनमें उभरती और अग्रणी प्रौद्योगिकी भी शामिल हैं। जो भविष्य की वृद्धि और आर्थिक सुरक्षा के लिए अहम हैं। परंतु इन योजनाओं के लिए वास्तविक बजट आवंटन और किये गए वादों से मेल नहीं खाता। अगर सरकार को वैश्विक सब्सिडी होड़ के चलते पीएलआई पर व्यय बढ़ाना पड़ा तो राजकोष के समक्ष जो जोखिम उत्पन्न होगा उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है।
इस बजट पर देश के विभिन्न राजनितिक दलों, शिक्षाविदों और अर्थशास्त्रियों की अलग अलग राय है। विपक्ष जहां इसे निराशावादी बजट बताते हुए कहता है कि इसमें मिडिल क्लास की उपेक्षा हुई है वहीं, सत्ता से जुड़े लोग इसे विकास को समर्पित बजट मान रहे हैं। कांग्रेस नेता शशि थरूर और डॉक्टर चरण दास महंत जहां इस बजट को निराशाजनक और सरकार की बिदाई वाला बता रहे हैं वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे भविष्य के निर्माण का बजट बता रहे हैं।
जबकि उद्यमी इस बजट को लेकर मिली जुली राय व्यक्त कर रहे हैं। उनका कहना है की पूरी स्तिथि तो मुख्य बजट में ही स्पष्ट होगी। बहरहाल, यह अंतरिम बजट था। हालाकिं इस बजट ने माध्यम वर्गीय लोगों को निराश किया है, लेकिन अगर मोदी सरकार फिर से चुनाव जीतकर सत्ता में आती है तब उसे बहुत से ऐसे दीर्घकालिक मुद्दों पर ध्यान देना होगा। जो इस बजट में अछूते रह गए हैं। भविष्य में रक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ साथ अन्य वैश्विक मुद्दों पर भी सरकार को ध्यान देना होगा।

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