Dussehra 2023 : कब है दशहरा ? जानें हवन विधि, रावण दहन का समय और महत्व….
मुहूर्त- दोपहर 02 बजकर 05 मिनट से 02 बजकर 51 मिनट तक है। पूजन की अवधि 46 मिनट है।
पूजन मुहूर्त- अपराह्न मुहूर्त का समय दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक है। श्रवण नक्षत्र प्रारंभ 22 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा जो कि 23 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि-
1. दशहरा की पूजा हमेशा अभिजीत, विजयी और अपराह्न काल में की जाती है।
2. अपने घर के ईशान कोण में दशहरा पूजन करें।
3. पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करें।
3. कमल की पंखुड़ियों से अष्टदल बनाएं इसके बाद देवी अपराजिता से सुख-समृद्धि की कामना करें।
4. अब भगवान राम और हनुमान जी की पूजा करें।
5. अंत में माता की आरती करें और भोग का प्रसाद वितरित करें।
हवन विधि…
- दशहरा के दिन प्रात: जल्दी उठ जाना चाहिए।
- स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- शास्त्रों के अनुसार हवन के समय पति- पत्नी को साथ में बैठना चाहिए।
- किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें।
- हवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें।
- हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति दें।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति देनी चाहिए। आप इससे अधिक आहुति भी दे सकते हैं।
हवन साम्रगी-
- आम की लकड़ियां, बेल, नीम, पलाश का पौधा, कलीगंज, देवदार की जड़, गूलर की छाल और पत्ती, पापल की छाल और तना, बेर, आम की पत्ती और तना, चंदन का लकड़ी, तिल, कपूर, लौंग, चावल, ब्राह्मी, मुलैठी, अश्वगंधा की जड़, बहेड़ा का फल, हर्रे, घी, शक्कर, जौ, गुगल, लोभान, इलायची, गाय के गोबर से बने उपले, घी, नीरियल, लाल कपड़ा, कलावा, सुपारी, पान, बताशा, पूरी और खीर।