साइबर फ्रॉड से बचाव की पाठशाला…स्टूडेंट्स को बताए गए डिजिटल सुरक्षा के टिप्स

कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का उदाहरण देकर बताया कि किस तरह अपराधी सरकारी एजेंसियों या पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाकर ठगी करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को सावधान करते हुए कहा — “ऐसे किसी भी कॉल पर भरोसा न करें, बल्कि तुरंत अपने परिजनों या नजदीकी पुलिस अधिकारी से संपर्क करें।”

टीआई यादव ने आगे बताया कि आज के दौर में बैंक अकाउंट फ्रॉड, आधार कार्ड अपडेट धोखाधड़ी, एपीके फाइल और एआई ऐप्स के जरिए ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से फेक इमेजेस और फेक वीडियो कॉल के माध्यम से की जा रही ऑनलाइन ठगी के बारे में भी सचेत किया, जहां साइबर अपराधी जान-पहचान के लोगों की तस्वीरें इस्तेमाल कर पैसों की मांग करते हैं।

उन्होंने विद्यार्थियों को यह भी समझाया कि यदि कभी साइबर फ्रॉड का शिकार हों या संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर सूचना दें। साथ ही, उन्होंने सलाह दी कि सोशल मीडिया पर अपनी या परिजनों की निजी तस्वीरें अनावश्यक रूप से साझा न करें, क्योंकि अपराधी इनका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।

टीआई यादव ने छात्रों को न सिर्फ साइबर सुरक्षा की शिक्षा दी बल्कि जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण और लक्ष्य निर्धारण पर भी प्रेरणादायक बातें कहीं। उन्होंने कहा — “विद्यार्थी जीवन तपस्वी जीवन है, जिसमें अनुशासन, लक्ष्य और जागरूकता सफलता की कुंजी हैं।”

कार्यक्रम में विद्यालय के प्राचार्य दीपक कुमार बौद्ध, उप-प्राचार्य किशोर कुमार साहू, किरण नंद, महिमा तिर्की, श्रीमती बागेश्वरी कुंजाम सहित समस्त शिक्षक और कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

इस अवसर पर विद्यार्थियों ने भी साइबर सुरक्षा से जुड़े सवाल पूछे और जागरूक नागरिक बनने का संकल्प लिया। गरियाबंद पुलिस की यह पहल न केवल डिजिटल युग के खतरों से बचाव का संदेश दे रही है, बल्कि भविष्य की पीढ़ी को जिम्मेदार और सतर्क नागरिक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।

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