2000 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया
रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी समाप्त हो चुकी है, जिसमें 25.49 लाख किसानों ने 31 जनवरी तक 1.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान बेचा। हालांकि, खरीदी के दौरान किसानों को समर्थन मूल्य की राशि मिलती रही, लेकिन 17 से 31 जनवरी के बीच धान बेचने वाले लगभग 17 लाख किसानों को 3000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि नहीं मिल सकी।
नगरीय निकाय चुनाव संपन्न होते ही अब किसानों को उनके पैसे मिलने शुरू हो गए हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर दो दिन पहले 1000 करोड़ रुपए जारी किए गए। सूत्रों के अनुसार, सोमवार को करीब एक महीने बाद पुनः 1000 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई, जबकि अभी भी 2000 करोड़ रुपए का भुगतान बकाया है।
धान खरीदी और भुगतान की स्थिति
छत्तीसगढ़ सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 17 से 31 जनवरी के बीच 16,99,596 किसानों ने लगभग 17.42 लाख मीट्रिक टन धान बेचा था। औसत समर्थन मूल्य के अनुसार प्रति क्विंटल 2300 रुपए की दर से इन किसानों को कुल 3000 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाना था। हालांकि, लंबित भुगतान के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
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निकाय चुनाव के बाद किसानों को राहत
करीब एक महीने के इंतजार के बाद सरकार ने 1000 करोड़ रुपए जारी किए, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में किसानों को उनका भुगतान नहीं मिला है। जांच में यह भी सामने आया है कि खाद्य विभाग ने 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा था, लेकिन बैंक से केवल 145 लाख टन के लिए लोन स्वीकृत किया गया था। 31 जनवरी तक प्रदेश में कुल 149.24 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका था, जिससे अतिरिक्त खरीदी का भुगतान करने के लिए सरकार को धन की व्यवस्था करनी पड़ी। मार्कफेड ने पुनः प्रस्ताव तैयार कर अतिरिक्त धन की स्वीकृति ली और बैंक से लोन प्रक्रिया पूरी की, जिसके बाद यह राशि जारी हुई।
2000 करोड़ रुपए का भुगतान अभी भी शेष
दुर्ग जिला सहकारी बैंक के सीईओ एसके जोशी के अनुसार, बैंक को भुगतान मार्कफेड के माध्यम से मिलता है। 17 जनवरी के बाद से पैसे का प्रवाह रुक गया था, लेकिन सोमवार को प्रदेश के लिए 1000 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। अभी भी लगभग 2000 करोड़ रुपए आना बाकी है। दुर्ग जिले के लिए 118 करोड़ रुपए भेजे गए हैं, जबकि 230 करोड़ रुपए की राशि और आनी बाकी है।
राज्य सरकार द्वारा किसानों के लंबित भुगतान को जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन अभी भी 2000 करोड़ रुपए का भुगतान लंबित है। किसानों को पूरी राशि मिलने तक राहत अधूरी मानी जा सकती है। सरकार की आगामी रणनीति पर किसानों की निगाहें टिकी हैं।