ED द्वारा तलब कर राहुल गांधी को बदनाम करने की साजिश : आलम

ED द्वारा तलब कर राहुल गांधी को बदनाम करने की साजिश : आलम

राजनांदगांवED छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव आफताब आलम ने कहा कि वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी को ED द्वारा तलब कर बदनाम करने की साजिश जो केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लगातार की जा रही है, ED परिस्थितिवश केंद्र सरकार की स्थिति हास्यास्पद हो गई।

ED डर भी लगता है और शेर का सामना भी करना है की तर्ज पर मोदी सरकार ईडी द्वारा कार्रवाई करने का डर दिखा रही है।

ED जबकि राहुल गांधी के समर्थन में पूरा देश खड़ा हो गया है, जिसे देख मोदी सरकार सकते में है तथा स्वयं डर में डूबी हुई है।

ED इस डर की वजह से आज तक न कोई एफआईआर हो सकी और न ही कोई सार्थक कार्रवाई कर पाई, क्योंकि झूठ की बुनियाद पर कभी सत्य खड़ा नहीं हो सकता।

आलम ने कहा कि वर्तमान में मोदी एवं उनकी सरकार की स्थिति हास्यास्पद हो गई।

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लगभग 10 वर्ष पूर्व 2012 में भाजपा नेता  सुब्रह्मणयम स्वामी द्वारा एक जनहित याचिका दायर कर एसोसिएट जनरल लिमिटेड एवं यंग इंडिया द्वारा गड़बड़ी की बात कही थी!

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जो कि तथ्यहीन था, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने 2005 में तथ्यहीन मानते हुए सुब्रह्मण्यम स्वामी एवं आयकर विभाग के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

आलम ने कहा कि केवल और केवल कांग्रेस एवं उनके नेताओं की राजनीतिक बदनामी की मंशा से लगातार राहुल गांधी को जवाब-तलब करने ED द्वारा बार-बार बुलाया जा रहा है,

जिसे मीडिया भी लगातार कवरेज कर रही है और देश को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि कहीं तो कुछ आर्थिक अनियमितता हुई।

इस घटनाक्रम का गौरतलब पहलू यह है कि यदि कहीं आर्थिक अपराध हुआ है तो इन पिछले 10 वर्षों में एक एफआईआर तक नहीं हुई है।

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ईडी ने पूर्व में यह कहकर प्रकरण को बंद कर दिया था कि पूरा पैसा बुक ट्रांसफर हुआ है !

कैश ट्रांसफर नहीं हुआ है। PM मोदी सरकार ने राजनीतिक द्वेष निकालने के लिए जिस प्रकार से शासकीय मशीनरियों एवं संस्थानों का लगातार दुरूपयोग कर रही है !

वह निश्चित तौर पर प्रजातंत्रिक व्यवस्था पर एक गहरा कुठाराघात है।

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ज्ञात हो कि यह यंग इंडिया एक नॉन प्राफिटेबल संस्था है, उसके किसी भी शेयर होल्डरों के व्यक्तिगत खातों में कोई भी पैसा ट्रांसपफर नहीं हुआ है।

केंद्र सरकार और ED का लगातार इस बात को लेकर व्यर्थ ही उठाया जा रहा है कि एक निजी संस्था ने दूसरी संस्था को लोन दिया और उसे माफ क्यों कर दिया,

जबकि खुद केंद्र सरकार ने चंद उद्योगपतियों का 5 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक कर्ज माफी की गई। क्या उसमें उन्हें कोई अनियमितता नहीं दिखती?

जबकि इससे भारत के आर्थिक संस्थाओं को गहरा नुकसान उठाना पड़ा तथा यह निश्चित रूप से आर्थिक अनियमितताओं का जीता-जागता उदाहरण है।

चूंकि सत्ता उनके हाथ है, तो क्या यह किसी भी प्रकार की जनता के दिए टैक्स के द्वारा कमाई का ऐसा दुरूपयोग कर सकते हैं?

यह भी एक ऐतिहासिक घटनाक्रम है कि देश की एक बड़ी कंपनी वोडा फोन को हजारों-करोड़ों का टैक्स रिलीव दे दिया गया तथा उस कंपनी के पैरवी कर रहे वकील को देश का वित्त मंत्री बना दिया गया।

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